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________________ आशंक ८२ आश्वास स्थान (७) सूर्बु ते - शयन (८)निवास- आशुतोष वि० जलदीथी प्रसन्न थाय एवं स्थान; आधारस्थान ; आधार (९) (२) पुं० शंकर पशने पकडवा माटे करातो खाडो आशुशुक्षणि पुं० पवन (२) अग्नि आशंक १ आ० शंका करवी; वहेम आश्चर्य वि० अद्भुत; विलक्षण (२) लाववो (२) बीवू; डर (३) कल्पवू न० आश्चर्यकारक वस्तु के बनाव (३) आशंका स्त्री० शंका; संशय (२) भय (३) अचंबो; विस्मय अविश्वास; वहेम आश्मन वि० पथ्थरनुं बनेलं आशंस् १ आ० (कदीक प०) आशा आश्यान वि० सुकाईने गठ्ठो थयेलु राखवी;इच्छा राखवी (२) शुभ इच्छवं आश्रम पुं० साधु-तपस्वीनो निवास; (३)प्रशंसा करवी (४) डर (५) कहेवू - झूपडी (२) तपोवन (३) जीवननो आशंसा स्त्री० इच्छा (२) आशा (३) विभाग (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ कल्पना (४) कथन अने संन्यास -ए चारमांनो कोई पण) आशंसु वि० आशावाळू; इच्छावाळं। आश्रमधर्म पुं० तपस्वीनो धर्म (२) आशा स्त्री० उमेद; धारणा (२)दिशा दरेक आश्रममुं कर्तव्य आशातंतु पुं० आशानो तांतणो आश्रमपद न० आश्रम अने तेनी आजुआशाबंध पुं० आशानुं बंधन; आसानो बाजुनो प्रदेश; तपोवन आधार; आश्वासन [वस्त्रवाळं) आश्रय पुं० आधार (२) निवासस्थान(३) आशावासस् वि० नग्न (दिशाओ रूपी आश्रयस्थान (४) बाण राखवा, भा) आशास् २ आ० आशीर्वाद आपवो (२) आश्रयण वि० आश्रय लेतुं - शोधतुं इच्छq; आशा राखवी (३) हुकम (२)-ने लगतुं; -ता संबंधी । करवो; आज्ञा करवी (४) प्रशंसा करवी आश्रव वि० आज्ञांकित ; नम्र (२) पुं० आशास्य वि० आशीर्वादथी प्राप्त करवा वचन (३) करार (४)दोष ; क्लेश योग्य (२) आशीर्वाद आपवा योग्य (३) आश्रि १ आ० आधार लेवो; आश्रय इच्छवा योग्य (४) न० इच्छा (५) लेवो (२) अनुभवq (३) चोटवू; आशीर्वाद [खाउधरुं वळगवू (४) पसंद करवं आशित वि० भोजनथी तृप्त थयेलु (२) आश्रित वि० आशरे रहेल-आवेलं (२) आशिन वि० खानारुं ; खातुं (समासमां; -मां रहेतुं -वसतुं; उपर रहेढुं-बेठेलु उदा० 'फलाशी') - आवेलं (३) -ने उपयोगमा लेतुं (४) आशिस स्त्री० आशीर्वाद (२) इच्छा -ने आचरतुं (५) संबंधी; ने लगतुं (६) (३) सापनी दाढ पं. आशरे रहेलो सेवक - दास आशी २ आ० उपर सूवं (२) सूवामां आश्लिष ४ प० भेटवं (२) चोटवू पसार करवू (३) इच्छq;प्रार्थQ (४) आश्लिष्ट वि० आलिंगन करेलुं; भेटेलु वसवं; रहेवू (२) वळगेलं; चोटेलु आशीविष, आशीविष पुं० (जेनी दाढमां आश्लेष पुं० आलिंगन; भेटवू ते (२) विष छे तेवो) झेरी साप निकट संबंध आशु वि० उतावळ; वेगयुक्त (२) अ० आश्वस् २ प. श्वास लेवो (२) जलदीथी; त्वराथी पुं० बाण __आश्वासन पामवं; विश्वास राखवो आशुग वि० जलदी जनाएं; उतावळू (२) आश्वास पुं० श्वास लेवो ते (२)सांत्वन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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