SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 88
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मानृशंस आनृशंस, आनृशंस्य वि० दया; मायाळु (२) न० दयाळूपणुं; दया आन्वीक्षिकी स्त्री० आत्मविद्या (२) तर्कशास्त्र आप ५ प० मेळवदूं; पामq (२)पासे पहोंचq (३) व्यापवू आपगा स्त्री० नदी आपण पुं० बजार; दुकान (२) वेपार आपणक, आपणिक वि० बजार संबंधी; व्यापार संबंधी (२) बजारमाथी प्राप्त थयेलं (जकात) (३) पुं० दुकानदार; वेपारी (४) दुकानो उपरनो कर आपत् १५० हुमलो करवो; तूटी पडवू (२) पहोंचवू ; पासे आवq (३) वेगे घस, (४) थर्बु ; बनवु (५) माथे आवी पडवु (६) स्फुर; लागवं आपत्काल पुं० दुःखनो - संकटनो समय आपत्ति स्त्री० -ना रूप थई जq - बनी जq ते (२) प्राप्ति (३)आफत; विपत्ति (४) भंग; उल्लंघन ; दोष आपद् ४ आ० नजीक जq (२) -ना रूप बनवू;-नुं रूप प्राप्त कर (३) विपत्तिमां आवी पडवू (४) बनवू; थवं आपद् स्त्री० संकट; विपत्ति (२) दुर्भाग्य आपदा स्त्री० आपत्ति (२) दुर्भाग्य आपद्गत, आपद्ग्रस्त वि० दुःखमां आवी पडेलु; दुःखी (२) दुर्भागी । आपद्धर्म पुं० आपत्तिना समयनो धर्म; आपत्तिना समय न छूटके धर्मशास्त्रे जे करवानी रजा आपी होय ते आचार । आपन्न वि० पामेलं; प्राप्त (२) -मां जई पडेलु; -ने प्राप्त थयेलं (३) दुःखमां आवी पडेलु (४) आवी पडेलु आपन्नसत्त्या स्त्री० गर्भिणी; सगर्भा स्त्री आपस्कार न० शरीरन थडियं आपा १५० [आपिबति पी जq (२) (कान के आंख वडे) खूब ध्यानथी जोवू के सांभळवं आप्तकाम आपात पुं० उपर तूटी पडq ते - धसी जवू ते (२) नाखवू ते; पाडवं ते (३) चालु क्षण; चालु समय (४) अचानक आवq ते आपाततः अ० नजर पडतां ज; तत्काळ आपात्य वि० धसी आवत:हमलो करतुं आपाद पुं० प्राप्ति (२) फलप्राप्ति आपादन न० थाय एम करवू ते; कोई स्थितिमां लावq ते आपान न० (दारू) पीवानी महफिल (२) दारूनुं पीठं (३) हवाडो आपिंजर वि० रताश पडतुं आपीड् १० प० दाबवू ; भार देवो (२) पीलवू; कचर आपीड वि० दुःख आपतुं; ईजा करतुं (२) कचरतुं; पीलतुं (३) पुं० माथे बंधाती कलगी ; तोरो (४)झरj आपीत वि० पीळाश पडतुं (२) थोडं पीधेलु [आउ; आंचळ आपीन वि० जाडु (२,पुं० कुवो (३)न० आपूर पुं० प्रवाह; पूर (२) भरी काढवू ते आपूरण वि० भरी काढतुं; पूर्ण करतुं (२) न० भरी काढवू ते आपूर्यमाण वि० भरी कढात; पूर्ण करातुं आपूष न० कलाई नमस्कारायेलु आपृष्ट वि० पुछायेलु (२) सत्कारायेलं; आप ९ उ० भरवू; पूर्ण करवू आपेक्षिक वि० अपेक्षा ऊभुं करतुं आप्त ('आप'नुं भू० कृ०) वि० प्राप्त (२) विश्वासपात्र (३) यथार्थ ज्ञानवाळू (४) युक्ति - दलीलवाळु (५) कुशळ (६) संपूर्ण ; पुष्कळ (७) परिचित; संबंधी (८)पहोंचेलं ; व्याप्त (९) पुं० स्नेही ; मित्र ; संबंधी (१०) विश्वासपात्र माणस आप्तकाम वि० जेनी इच्छा पूर्ण थई छे तेवू (२) जेणे सर्व सांसारिक वासनाओनो त्याग कर्यो छे एवं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy