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________________ ७१ आत्मज्ञान आत्मज्ञान न० पोताना संबंधी ज्ञान (२) आध्यात्मिक ज्ञान; आत्मानो साक्षात्कार संतुष्ट आत्मतृप्त वि० आत्मतत्त्वमां तृप्त - आत्मत्याग पुं० स्वार्थत्याग (२) आत्महत्या आत्मदर्श पुं० अरीसो आत्मज्ञान आत्मदर्शन न० आत्मसाक्षात्कार (२) आत्मन् पु० आत्मा; जीव ; प्राण (२) पोते-पोतानी जात (३) परमात्मा (४)स्थूळ शरीर ; देह (५) मन (६) बुद्धि (७)समज (८)आकृति; स्वरूप (९)जोम; वीर्य; यत्न (१०)वायु (११) पुत्र (१२)स्वभाव; प्रकृति(१३)विशिष्ट गुण (१४) ध्येय (१५) समासने अंते '-न बनेलु' ए अर्थमां वपराय छे आत्मना अ० पोते; जाते (२) 'द्वितीय,' 'तृतीय' वगेरे क्रमवाचक शब्दो साथे 'पोताने गणतां' एवो अर्थ थाय छे आत्मनिवेदन न० पोतानी जात के पोतानु बधु ईश्वरनां चरणोमां समी देवं ते आत्मनीन वि० पोतानुं (२) पोताने माटे उचित एवं (३) प्राणधारी; जीवतुं (४) पुं० पुत्र (५) साळो (६) विदूषक आत्मप्रत्ययिक वि० जातअनुभवथी जाणनारं आत्मप्रभव पुं० जुओ 'आत्मज' आत्मप्रशंसा स्त्री० पोतानी जातनां वखाण आत्मभू पुं० ब्रह्मा (२) विष्णु (३)शंकर (४) कामदेव (५) पुत्र वफादार आत्मभूत वि० पोतामांथी जन्मेल (२) आत्ममानिन् वि० अभिमानी; गर्वित (२) सर्व प्राणीने आत्मवत् माननाएं आत्मयोनि पुं० जुओ ‘आत्मभू' आत्मवत् वि० पोताने वश चित्तवाळं (२) डाहयु; समजणु (३) अ० पोतानी जेम आत्म्य आत्मवश्य वि० आत्माना-पोताना काबमां होय तेवू (२) पोतानी जात उपर काबूवाळ ब्रह्मज्ञानी आत्मविद् वि० आत्माने ओळखना; आत्मविद्या स्त्री० ब्रह्मविद्या आत्मवृत्ति वि० आत्मामां स्थिर वृत्तिवाळं २) स्त्री० पोतानो धंधो के कर्तव्य आचरवां ते (३) हृदयनी लागणी (४) पोताना संजोग मुजबर्नु कार्य आत्मशुद्धि स्त्री० आत्मानी-पोतानी जातनी शुद्धि आत्मस्तुति आत्मश्लाघा स्त्री० आत्मप्रशंसा; आत्मसंपन्न वि० जितेंद्रिय; जात उपर काबूवाळ (२) बुद्धिशाळी आत्मसंभव पुं० पुत्र (२) कामदेव (३) परमात्मा स्वाभिमान आत्मसंभावना स्त्री० आत्मश्लाघा; आत्मसात् अ० संपूर्ण रीते पोताने स्वाधीन -पोतार्नु होय तेम आत्मसिद्धि स्त्री० मोक्ष (२) पोताना हेतुनी सिद्धि - प्राप्ति आत्मस्थ वि० स्वाधीन आत्महत्या स्त्री० आपघात आत्महन् वि० आत्मघाती आत्मादिष्ट वि० आपमेळे सूझेलु आत्मानुरूप वि० पोताने योग्य तेवू आत्मापहार पुं० जातने छुपाववी ते आत्माराम वि० आत्मज्ञान माटे प्रयत्न करनाएं (२) आत्मा ए ज जेने __ आनंदवें स्थान के साधन छे तेवू आत्माश्रय वि० स्वाश्रयी आत्मीक ८ उ० जीत आत्मीय वि० पोतार्नु काबूवाळं आत्मेश्वर वि० पोतानी जात उपर आत्मोद्भव पुं० पुत्र (२) कामदेव आत्मौपम्य न० पोताना जेवू मानवं ते आत्म्य वि० पोतानु; पोतानी जात(२) (समासने अंते)-ना गुणधर्मवाळं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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