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________________ क्रोधमूच्छित ६८० खर कोधमूच्छित वि० गुस्साथी गांडा जेवू क्षीरकुंड न० दूध दोहवानुं वासण बनी गयेलं होय एवं क्षीरदग्धजिह्वान्यायः जुओ पृ० ६३२ क्रौंचवर्ण पुं० एक जातनो घोडो क्षीरनीरन्यायः जुओ पृ० ६३२ क्लिश्नत् वि० दूर करतुं क्षीरस्निग्ध वि० दूध जेवा रसथी चीक' क्लेशित वि० व्यथित - भीनुं बनेल क्लेशिन् वि० व्यथा के ईजा पमाडतुं क्षीरोमि पुं० क्षीरसागरनुं मोजें क्लोम न० मूत्राशय (२) फेफसुं। क्षुद्रक पुं० एक जातनुं बाण क्वत्य वि० कयां क्षुद्रता स्त्री० नानापर्यु; तुच्छता (२) क्वथन न० उकाळवू ते सूक्ष्मता क्वथित वि० उष्ण; ऊकळतुं क्षुधाशांति स्त्री० भूखनी तृप्ति थवीक्षत्रवेद पुं० धनुर्विद्या धराई जq ते क्षत्रियका स्त्री० क्षत्रिय स्त्री क्षुब्ध पुं० वलोववानो रवैयो क्षत्रियहण (-न) पुं० परशुराम क्षुरप्रमाला स्त्री० चंद्रकळाना आकारना क्षत्रिया, क्षत्रियिका स्त्री० क्षत्रिय स्त्री मणकाओनो हार क्षपण न० उपवास (२) शरीरनुं दमन क्षुरभांड न० हजामनी कोथळी (३)अशौच ; सूतक (४)नाश करवो ते क्षत्रिय वि० खेतर संबंधी (२) बीजा क्षपाट पुं० निशाचर; राक्षस जन्ममां मटे तेवू; आ जन्ममां न क्षययुक्ति स्त्री० विनाश करवानी तक मटे तेवू (३) पुं० याचक क्षवथु पुं० उधरस; छींक (२) गळामां क्षेपणीय न० गोफण जेवू पथ्थर वगेरे खरखरी बाझवी ते फेंकवानुं हथियार क्षार न० खार क्षारक पुं० पक्षी पकडवानी जाळ क्षेप्त वि० फेंकनारे; मोकलनाएं क्षारक्षत वि० सूरोखारथी नुकसान क्षेप्य वि० -मां मूकवा लायक (२) पामेलं फेंकवा - नाखवा लायक क्षितिधेनु स्त्री० पृथ्वी रूपी गाय क्षेमाश्रम पुं० गृहस्थाश्रम क्षितिवर्धन पुं० शब; मडहूँ क्षेमेंद्र पुं० जुओ पृ०६०५ क्षितिसुत पुं० वृक्ष (२) विष्णुए मारेलो क्षोदक्षम वि० तपास के कसोटीमांटकी नरकासुर (३) कीडो (४) मंगळग्रह शके तेवू (२) नक्कर; दृढ क्षितीश्वर पुं० राजा क्ष्माय १ आ० कंपाव; ध्रुजाव क्षिप्न वि० -फेंकतुं (२)मारतं; हणनाएं वेडन न० अस्पष्ट उच्चार करवो ते क्षीणबल वि० जेनुं जोर के बळ क्षय (२) गणगणवू ते; सुतवाट करवो पाम्यं छे तेवू (जेम के रोग) के सिसोटी जेवो अवाज करवो ते ख खग वि० आकाशमां गतिवाळं खट्वयति प० (खाटलानी जेम उपयोग करवो) खड्गधारा स्त्री० तलवारनी धार खधूप पुं० दारूगोळाथी फेंकातुं बाण खनित्रक न०, खनित्रिका स्त्री० नानी कोदाळी [स्थानमा रहेतो हतो) खर पुं० रावणनो ओरमान भाई (जन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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