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________________ कदलीफलन्यायः ६७२ फलमगोपवधू कदलीफलन्यायः जुओ पृ० ६३१ करकृतात्मन् वि० दरिद्र; रंक (मांड कदंबकोरकन्यायः, कदंबमुकुलन्यायः हाथमां आवे तेनाथी निर्वाह करतुं) जुओ पृ० ६३१ करटमुख न० हाथीनुं गंडस्थळ ज्यांथी कदंबानिल पुं० वर्षा ऋतु (२)कदंबनां फाटे छे ते जगा पुष्पोथी सुवासित एवो पवन करतोया स्त्री० जुओ पृ० ६०२ कदंबी स्त्री० एक छोड (देवडांगर) करविन्यस्तबिल्वन्यायः जुओ पृ० ६३२ कद्रथ पुं० खराब रथ के वाहन करंबित वि० मिश्रित [हाथी कद्रू स्त्री० जुओ पृ० ६०१ [नीच फरिवर, करीश्वर पुं० गजराज; श्रेष्ठ कद्वद वि० खराब के खोटं बोलतु (२) करुणम् अ० दयाजनक रीते कनककदली स्त्री० केळनो एक प्रकार करूष पुं० कलुषितता; गंदकी (२) कनकदंडिका स्त्री० सोना- म्यान जुओ पृ० ६०२ कनखल न० जुओ पृ० ६०१ कर्का स्त्री० सफेद घोडी कनप पुं० एक अस्त्र - शक्ति कर्ण पुं० एक वृक्ष (२)जुओ पृ० ६०२ कनयति प० (नान करवू; घटाडवू) कर्णक पुं० सफेद वाळ; पळियु कनीयस् पुं० नानो भाई कर्णचूलिका स्त्री० एरिंग कर्णजाह न० कान- मूळ कन्यकाजन पुं० युवान कन्या कर्णज्वर पुं० काननी पोडा कन्यागर्भ पुं० कुंवारी कन्यानो दीकरो कर्णमागम् काने पहोंचq; जाण थवी कन्याभक्ष्य न० कन्यानी याचना करवी ते कर्णमल न० काननुं मूळ कन्यामय वि० कन्यारूपी कर्णलता स्त्री० काननो पुट कन्यारत्न न० अत्यंत सुंदर कन्या कर्णस्रोतस न० काननो मेल- मळ कन्यावतस्था स्त्री० ऋतुधर्ममां आवेली कर्णदा ध्यानथी सांभळवू - रजस्वला स्त्री कर्णीरथ पुं० स्त्री माटेनी बंध पालखी कन्यांतःपुर न० अंतःपुर कर्णीसुत पुं० कर्णीनो पुत्र - मूलदेव कप पुं० राक्षसोनो एक वर्ग (चोरविद्यानो प्रवर्तक) कपटपटु वि० छळकपट के हाथचालाकी कर्दमित वि० कादववाळू (२) कादव मां कुशळ एवं [वाळी सुलेह जेवू घट्ट ययेलुं - जामेलं कपालसंधि पुं० बने पक्षे समान शरतो कर्पर पुं० काचबानुं पीठ उपरतुं हाडकुं कपित्थ न० छाश; तक्र कर्मगति स्त्री० भाग्य के दैवनी गति कपिल पं० जुओ पृ० ६०१ कर्मचंडाल, कर्मचांडाल पुं० अत्यंत हीन कपिलवस्तु न० जुओ पृ० ६०२ कर्म करनाएं कपिशा स्त्री० जुओं पृ० ६०२ कर्मचोदना स्त्री० अमुक कर्म करवा कपिशित वि० रतूमडु बनी गयेलं माटेनो विधि के नियम (२) धर्मकृत्य (तपवाथी) करवा माटेनो प्रेरक हेतू कपोलपत्र न० गाल उपर चीतरेलं चित्र कर्मज वि० कर्म करवाथी परिणमतुं कफोणिगुडन्यायः जुओ पृ० ६३१ - प्राप्त थतुं (२) पुं० स्वर्ग (३) कबंध पुं०, न० पाणी नरक (४) कळियुग कमित पुं० पुरुष; नर; पति कलमगोपवधू स्त्री० डांगरना क्यारडाकयाधु स्त्री० जुओ पृ० ६०२ नी रखवाळण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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