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________________ अग्निमुख ६४० अतिदिश् अग्निमुख पुं० देव (२) ब्राह्मण (३) अघ पुं० जुओ पृ० ५९७ । अग्निहोत्री (४) माकण अचलकन्यका, अचलसुता स्त्री० पार्वती अग्नियोग पुं० चार वाजु अग्नि अने अचिरांशु स्त्री० वीजळी उपर सूर्यनो ताप - एम पांच अग्नि अचितितोपनत वि० अणधार्यु के अणतपवारूपी तपस्या चितव्यु थतुं के वनतुं अग्निविहरण न०, अग्निविहार पुं० अज पुं० जुओ पृ० ५९७ अग्निमां आहुति अर्पवी ते अजननि स्त्री० उत्पत्ति ज न थवी ते अग्निशरण, अग्निशाल न० अग्निहोत्रनु (अस्तित्व न होवू ते) स्थान अजप पुं० नियमित के विधिसर जप अग्निशिख वि० टोचे अग्निवाळं न करनारो ब्राह्मण अग्निष्ठ न० रसोडु [धुमाडो अग्निसख, अग्निसहाय पुं० पवन (२) अजाकृपाणीयन्यायः जओ पृ० ६३० अग्निसाक्षिकम् अ० अग्निने साक्षी अजागलस्तनन्यायः जुओ पृ० ६३० तरीके राखीने (करेलु लग्न) अजाजि (-जी) स्त्री० जीएं [६३० अग्निसात्कृ ८ उ० बाळी नाखवू; भस्मी अजातपुत्रनामोत्कीर्तनन्यायः जुओ पृ० भूत करवू अजामिल पुं० जुओ पृ० ५९७ अग्निसुत, अग्निसून पुं० कार्तिकेय । अजाविक न० घेटाबकरां वगेरे जानवर अग्न्यगार, अग्न्यागार पुं०, न० होमनो अजिह्मगामिन वि० सरळ ; सीधं; प्रमाणिक (वांकुं न चालना) अग्नि राखवावें स्थान अग्रकेश पुं० आगळना वाळ अजीवनि स्त्री० मरण; मृत्यु अग्रदूतिका स्त्री० आगळथी संदेश अतऊर्ध्वम् अ० जुओ ‘अतःपरम्' लावनारी दूती अतटप्रपात पुं० ऊभी भेखड के कराड अग्रपातिन् वि० पहेलां थतुं के बनतं उपरथी पडवं ते अग्रपाद पुं० पगना पहोंचानो आगळनो अकितागत, अकितोपनत वि० -टोचनो भाग ओचितुं आवी पडेलु अग्रप्रदायिन् वि० अगाउथी आपतुं अतःपरम् अ० आनाथी आगळ; आथी अग्रभागिन् वि० (शेष रहेलानो) प्रथम वधु; आनाथी पछी भाग लेनाएं के तेनो दावो करनाएं अतिकोप वि० क्रोधरहित; शांत अग्रभाव पुं० आगळ - प्रथम होवू ते । अतिगहक न० ऊंचं घर (२) अगाशी अग्ररंध्र न० छिद्र के बाकोरानो शरू अतिचिरम् अ० घणुं मोडं होय तेम आतनो के टोचनो भाग (२) लांबा समय सुधी अग्रशोभा स्त्री० शिखरोनी शोभा (२) अतिच्छेद पुं० अतिशय अंतर श्रेष्ठ शोभा अतिजित वि० पूरेपर हरावेलं अग्रसंख्या स्त्री० प्रथम स्थान के पद अतितष्णा स्त्री० वधारे पडतो लोभ अग्रसंध्या स्त्री० वहेली सवार; मळसकुं अतिथिधर्म पं० आतिथ्यनो हक के अग्राक्षि न० तीक्ष्ण नजर; त्रांसी अधिकार (२) अतिथि प्रत्ये बजावनजरे जोवू ते वानुं कर्तव्य अग्रेसरिक पुं० (मालिकनी आगळ अतिदिश् ६ प० सोपी देवं ; आपी देवू चालनारो) सेवक (२) नेता (२) अन्यने लागु करवं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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