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________________ मारट्ट आरट्टपुं० पंजाबनी उत्तर-पूर्वमां आवेलो देश; तेना घोडाओ माटे जाणीतो. (रावळपिंडीमां गुजरातना लोको हजु पोताना देशने हैरत के ऐरत देश आरण्य, आरण्यक पं० उज्जैन अने विदर्भनी दक्षिणे आवेलो देश; तगर तेनी राजधानी. आर्जीकीया स्त्री० विपाशा नदी (पंजाबनी बियास) आर्यभट्ट पुं० प्रसिद्ध ज्योतिषी. जन्म ई० स० ४७६. तेमनो प्रसिद्ध ग्रंथ 'आर्यसिद्धांत' उच्च गणितने आधारे रचायो छे. आर्यावर्त पुं० पूर्व अने पश्चिम समुद्र वच्चेनो, तथा उत्तरे हिमालय अने दक्षिणे विंध्य पर्वतनी वच्चेनो प्रदेश; आर्योर्नु रहेठाण. आर्यावर्त अने दक्षिणापथनी वच्चे नर्मदा नदी सरहद रूप. इक्षुमती स्त्री० कालिंदी नदी. रोहिल खंडना कुमाऊंमां थईने अने कनोज प्रदेशमां थईने वहेती. इक्ष्वाकु पुं० सूर्यवंशनो प्रथम राजा; वैवस्वत मनुनो पुत्र. इरावती स्त्री० पंजाबनी रावी नदी. इंदुमती स्त्री० अजराजानी पत्नी. दशरथनी माता. इंद्रजित् पुं० रावणनो पुत्र; महापराक्रमी योद्धो. छवटे लक्ष्मणने हाथे मरायो. इंद्रप्रस्थ न० यमुनाने डाबे कांठे आवेलं प्राचीन नगर; युधिष्ठिरनी राजधानी. अत्यारनुं जूनुं दिल्ही (जोके जमणे किनारे छे) ए नगरना स्थान तरीके गणावाय छे. उग्रसेन पुं० मथुरानो राजा; कंसनो पिता. उज्जयंत पुं० रैवतक पर्वत; आजनो गिरनार. उर्वशी उज्जयिनी स्त्री० माळवामां आवेल आज- उज्जैन; विक्रमादित्यनी राजधानी. हिन्दुओनी सात पवित्र नगरीओमांनी एक ('अवंति'); हिंदुओर्नु प्रथम याम्योत्तर वृत्त त्यांथी पसार थाय छे. उत्कल पुं० आजनुं ओरिसा. (ताम्रलिप्तनी दक्षिणे अने कपिशा नदी सुधी विस्तरेलो प्रदेश.) कटक अने पुरी तेनां मुख्य शहेर छे. कलिंगनो उत्तरनो भाग पण ते कहेवातुं ('उत्कलिङ्ग'); वैतरणी नदी तेनी उत्तरनी हद. उत्तर पुं० विराट राजानो पुत्र. उत्तरकुरु पुं० जगतना नव विभागोमांनो एक. हिमालयनी पेली बाजुए आवेलो मनाय छे तथा त्यां नित्यसुख प्रवर्ते छे एम कहेवाय छे. उत्तरकोसल पुं० अयोध्याप्रांत. उत्तरपंचाल पुं० रोहिलखंड. उत्तरा स्त्री० विराट राजानी पुत्री; अभिमन्युनी पत्नी. उत्तानपाद पुं० ध्रुवनो पिता. उदयन पुं० वत्सदेशनो राजा. उज्जयिनीनो राजा चंडमहासेन तेने पोताना नगरमा ठगीने लई आव्यो, पण उदयन पोताना प्रधाननी मददथी चंडमहासेननी पुत्री वासवदत्ता साथे नासी छूटयो. पछी राजकीय कारणोथी मगधना राजा प्रद्योतनी पुत्री पद्मावती साथे पण तेनु लग्न गोठववामां आव्यु. तेनी राजधानी कौशांबी. उर्वशी स्त्री० बदरिकाश्रममां तप करता नर-नारायणने लोभाववा इंद्रे अप्सराओ मोकली; त्यारे नारायणे पोताना उरुमाथी उर्वशीने पेदा करी, जेने जोईने पेली अप्सराओ शरमाई गई. एक वार शाप पामी उर्वशी पृथ्वी उपर आवी त्यारे पुरूरवाना प्रेममां पडी. अने तेनी पत्नी तरीके रही. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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