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________________ स्वप्ननिकेतन स्वप्ननिकेतन न० शयनखंड [ - भ्रम स्वप्नप्रपंच पुं० स्वप्नमा देखाती दुनिया स्वप्नशील वि० ऊंघणशी स्वप्रकाश वि० पोताना ज प्रकाशथी प्रकाशित ( २ ) पोतानी मेळे समजाय तेवुं स्वप्रयोगात् अ० जातमहेनतथी स्वभाव पुं० प्रकृति; मूळ गुण; सहजधर्म (२) स्वाभाविक वलण [ स्वाभाविक स्वभावसिद्ध वि० कुदरती ; साथे जन्मे लुं; स्वभावात्मक वि० साहजिक : कुदरती स्वयम् अ० जाते; पोतानी जाते (२) आपमेळे; महेनत वगर स्वयंग्रह पुं० पोतानी मेळे लई लेबुं ते ( रजा विना) स्वयंग्राह वि० स्वैच्छिक ऐच्छिक (२) बळजबरीथी लेनाएं ( ३ ) पुं० पोतानी पसंदगी स्वयंभु पुं० ब्रह्मा स्वयंभुव पुं० प्रथम मनुनुं नाम ( २ ) ब्रह्मा (३) शंकर स्वयंभू वि० पोतानी मेळे उत्पन्न थयेलुं; जेनुं बीजुं कोई कारण नथी तेनुं (२) पुं० ब्रह्मा, विष्णु शिव ; कामदेव स्वयंवर पुं० जाते पति पसंद करवो ते स्वयंवरा स्त्री० जाते पति पसंद करनारी कन्या स्वयूथ्य पुं० सगो स्वयोनि वि० पोताना मातृपक्षनु संबंधी (२) स्त्री० बहेन के नजीकनी सगी स्वर् अ० स्वर्ग; पुण्यशाळीओनं मृत्यु पछीनुं तात्कालिक स्थान ( २ ) त्रण व्याहृतिओमांनी एक (प्रथमा, द्वितीया, षष्ठी अने सप्तमीना अर्थमां वपराय छे ) स्वर पुं० अवाज ; ध्वनि; सुर ( २ ) संगीतना सात सुरमांनो दरेक ( ३ ) जेनो पूर्ण उच्चार कोईनी मदद विना थई शके तेवो वर्ण ( व्या० ) Jain Education International ५८१ स्वगिन् स्वरब्रह्मन् न० नाद रूपे प्रगटेलुं ब्रह्म स्वरमंडल न० स्वरोनी गोठवण ; स्वरोनी रचना [ अवरोह स्वरोनो आरोह स्वरसंक्रम पुं० स्वरसंदेहविवाद पुं० एक रमत स्वरसंयोग पुं० स्वरोतुं जोडाण (२) अवाज ; सूर स्वराज् वि० स्वयंप्रकाश [ गंगा स्वरापगा स्त्री० स्वर्गगंगा (२) आकाशस्वरित वि० अवाज करेलु; ध्वनित अर्थवाळा होवु (२) सुरीलुं ( ३ ) पुं० स्वरना त्रण विभागमांनो एक, जेमां उदात्त अने अनुदात्त बनेनां लक्षण होय स्वरितत्व न० अर्थ नीकळवो ते; [ बाण स्वरु पुं० तडको (२) यज्ञ (३) वज्र (४) स्वरुचि स्त्री० पोतानी खुशी स्वरूप वि० तुल्य; सरखुं (२) सुंदर (३) विद्वान डाहयुं (४) न० कुदरती आकार ( ५ ) कुदरती स्थिति; कुदरती स्वभाव (६) स्वभाव; प्रकृति ( ७ ) विशिष्ट लक्ष्य ( ८ ) प्रकार; जात स्वर्ग पुं० देवोनो लोक स्वर्गत वि० मृत स्वर्गतरंगिणी स्त्री० गंगानदी स्वर्गति स्त्री० मृत्यु (२) स्वर्गमा जनुं ते स्वर्गद्वार न० स्वर्गनुं वारण; स्वर्गमां प्रवेश स्वर्गपति पुं० इंद्र स्वर्गपथ पुं० आकाशगंगा स्वर्गरोदः कुहर पुं० स्वर्ग अने पृथ्वी बच्चे पोल स्वर्गवधू स्त्री० अप्सरा स्वर्गसद् पुं० देव स्वर्गस्त्री स्त्री० अप्सरा स्वगंगा स्त्री० जुओ 'स्वरापगा' स्वगिन् वि० स्वर्गनुं ; स्वर्ग संबंधी (२) पुं० देव ( ३ ) मरी गयेलो माणस For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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