SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 583
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सौत्य सौत्य न० सारथीपणुं सौत्रामणी स्त्री० पूर्व दिशा (२) एक यज्ञ (जेमां दारू वपराय छे ) सौदर्य न० भ्रातृभाव सौदामनी, सौदामिनी, सौदामनी स्त्री० वीजळी (२) एक जातनी सर्पाकार वीजळी ( ३ ) इंद्रना हाथीनी मादा सौष वि० अमृत संबंधी ( २ ) चूनो लगावेलं; धोळेलं (३) न० धोळेलं मकान ; छोये मोटुं मकान; महेल (४) रूपं सौधकार पुं० घोळनारो (२) कडियो सौषोत्संग पुं० महेलनी अगासी सौन पुं० कसाई; खाटकी सौनंद न० बळरामनुं मुशळ सौनंदिन् पुं० बळराम सौनिक पुं० खाटकी; कसाई सौपर्ण वि० गरुडने लगतुं; गरुडनुं सौपाक पुं० एक मिश्र जाति ( चंडाळथी थती अने चंडाळ समान धंधो करती ) सौप्तिक न० ऊंघ (२) रात्रिनो - राते करेलो हुमलो; ऊंघता माणसो उपर कलो हुमलो [ ( युद्धमां) सौप्तिकवध पुं० सूतेला माणसनो संहार सौबल पुं० शकुनि [धृतराष्ट्रनी पत्नी सौबली, सौबलेयी स्त्री० गांधारी; सौभ न० हरिश्चंद्रनुं शहेर (आकाशमां गमन करतुं ) (२) शाल्वोनुं शहेर सौभद्र, सौभद्रेय पुं० अभिमन्यु सौभागिनेय पुं० मानीती स्त्रीनो पुत्र सौभाग्य न० सद्भाग्य; भाग्यशाळीपणुं (खास करीने स्त्री - पुरुषने एक बीजा प्रत्येनो प्रेम अने वफादारी होवां ते) (२) मांगळिकता; कल्याणकारी होवापणं (३) सौंदर्य; भव्यता (४) सघवापणुं (५) अभिनंदन; शुभेच्छा दर्शाववी ते सौभाग्यवती स्त्री० सधवा स्त्री [ नारुं सौभाग्यविलोपिन् वि० सौंदर्यने बगाड सौभिक्ष न० सुकाळ Jain Education International ५६९ ( सौष्ठव सौभ्रात्र न० बंधुप्रेम; भ्रातृभाव सौमकि पुं० द्रुपद राजा [ पुत्र) सौमदत्ति पुं० भूरिश्रवा ( सोमदत्तनो सौमनस वि० मनने प्रसन्न करे तेवुं ( २ ) फूल संबंधी (३) न० खुशी; संतोष (४) भलाई सौमनस्य न० खुशी; प्रसन्नता ( २ ) फूल सौमित्र, सौमित्रि पुं० लक्ष्मण (सुमित्रा - नो पुत्र ) सौमुख्य न० प्रसन्नता; मधुर देखाव सौमेरव, सौमेरुक न० सोनुं सौम्य वि० चंद्रने लगतुं ( २ ) सोमरसना गुणधर्मवाळं (३) सुंदर; मोहक (४) कोमळ; मृदु ( ५ ) शुभ; मांगलिक ६) पुं० बुधगृह [पुं० सूर्यपूजक सौर वि० सूर्यने लगतुं; सूर्य संबंधी (२) सौरभ वि० सुगंधीदार (२) न० सुगंधी सौरभेय वि० सुगंधीदार सौरभेयी स्त्री० सुरभि गायनी पुत्री सौरम्य न० सुगंधी सौरसेंधव वि० गंगानदीनं [ कारभार सौराज्य न० सारं राज्य; सारो राज्यसौरि पुं० शनिनो ग्रह सौर्य वि० सूर्य संबंधी [होवापणं सौलक्षण्य न० शुभ लक्षणो-चिह्नोवाळा सौवर्ण वि० सोनानुं (२) न० सोनुं सौवर्णहर्म्य न० रूपानो महेल [ सोनी सौर्वाणिक वि० सोनानुं बनेलुं ( २ ) पुं० सौविद, सौविदल्ल पुं० अंतःपुरनो रक्षक सौवीर पुं० ते नामनो एक देश सौवीरक पुं० सुवीर देशनो वतनी (२) जयद्रथ सौवीरांजन न० काळो सुरमो सौवेल वि० त्रिकूट पर्वत संबंधी सौशाम्य न० समाधान; सुलेह सौशील्य न० सुशीलपणुं सौष्ठव न० उत्तमपणु; घाटीलापणं; सौंदर्य (२) कुशळता; प्रवीणता (३) वधारे होवापणुं (४) चपळता For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy