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________________ सकाल सूत्रकर्मन् सूत्रकर्मन् न० सुतारीकाम सूत्रकार पुं० सूत्रवाक्यनो रचनार (२) सुतार जर्जरित सूत्रदरिद्र वि० ओछा दोरावाळु; सूत्रधार पुं० नाटकनो प्रधान नट जे नांदी तेम ज प्रस्तावना भजवे छे (२)सुतार सूत्रपिटक पुं० बौद्ध ग्रंथोना त्रण मुख्य संग्रहो- विभागोमांनो एक सूत्रयंत्र न० साळनो कांठलो (२) वणवानी साळ पुं० जीवात्मा सूत्रात्मन् वि० सूत्र-दोरा जेवू (२) सूद १ आ०,१० उ० मारवू ; ईजा करवी मारी नाखवू पाप; दोष सूद पुं० कतल ; नाश (२) रसोइयो (३) सूदन वि० नाश करनारुं; हणनारं (२) न० नाश; वध सूदशाला स्त्री० रसोडु सून वि० जन्मेलं; उत्पन्न थयेलं (२) खीलेलं (३) खाली; शून्य (४) न० प्रसव ; प्रसूति (५) फूल सूननायक पुं० कामदेव सूना स्त्री॰ वधस्थान; कसाईखानुं (२) मारी नाखवू ते; वध सूनु पुं० पुत्र; दीकरो (२) बाळक; संतान (३) पौत्र (४) नानो भाई सूनत वि० साचुं अने प्रिय (२) मायाळु; ममतावाळू (३) शुभ ; मांगळिक (४) प्रिय ; वहालुं (५) न० साची अने प्रिय लागे तेवी वाणी (६) मधुर-प्रिय-विनयी वाणी सूप पुं० राब; सेरवो (२) तेजानो; मसालो (३) रसोइयो सूपकार पुं० रसोइयो सूय न० सोमरस काढवो ते (२)होम; आहुति ; यज्ञ [प्राज्ञ सूर पुं० सूर्य (२) सोम (३) विद्वान; सूरि पुं० सूर्य (२) विद्वान; प्राज्ञ; ऋषि विद्वान ; पंडित सरिन् वि० डाहयु; विद्वान (२) पुं० सूर्प पुं०, न० सूपडं सूर्पणखा स्त्री० रावणनी बहेन सूमि (-ौं) स्त्री० लोखंडनी के धातुनी मूर्ति (२)घरनो थंभ (३)तेज; ज्वाळा सूर्य पुं० सूरज सूर्यकांत पुं० एक मणि (जेना उपर सूर्यनां किरण पडतां अग्नि उत्पन्न थाय छ एम मनाय छे) सूर्यतनया स्त्री० यमुना नदी सूर्यपाद पुं० सूर्य किरण सूर्यपुत्र पुं० जुओ 'सूर्यसुत' सूर्यपुत्री स्त्री वीजळी (२) यमुना नदी सूर्यप्रभव वि० सूर्यमांथी ऊतरी आवेलु "(जेमके, सूर्यवंश) सूर्यमणि पुं० सूर्यकांतमणि सूर्यवार पुं० रविवार सूर्यसारथि पुं० अरुण सूर्यसुत पुं० सुग्रीव (२) कर्ण(३)शनिग्रह (४) यम (°) यम पू त्री [पुत्री सूर्या स्त्री॰ सूर्यनी पत्नी (२) सूर्यनी सूर्यातप पुं० तडको सूर्यापाय पुं० सूर्यास्त सूर्याय आ० सूर्यनी पेठे तेजवाळा थवं सूर्याश्मन् पुं० सूर्यकांत मणि सूर्यास्त न० सूर्यनुं आथमवू ते सूर्यदुसंगम पुं० अमास सूर्योढ पुं० सांजने वखते आवेलो अतिथि (२) सूर्यास्तनो समय सूर्योदय पुं० सूर्यनू ऊगq ते सूर्योपस्थान न० सूर्यनी पूजा स १, ३ ५० [सरति, ससति, धावति] जवू; सरवू (२) पासे जq; पहोंचवू (३)धसवं, हुमलो करवो (४) दोडी जq; सरकी जq (५) वहेवू -प्रेरक० धीमेथी हाथ फेरववो (वीणा इ० वगाडवा माटे) (२) धकेली काढवू; दूर सरकावq सृकाल पुं० शियाळ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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