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________________ संराग संयतवस्त्र ५४२ संयतवस्त्र वि० वस्त्रो एकठां बांधी संयुगगोष्पद न० (गायना पगलामांनी) दीधां होय के जकडी दीधां होय तेवू नजीवी तकरार संयताहार वि० खावामां संयम राखना; संयुगमर्धन पुं० लडाईनो मोखरो मिताहारी [राखनाएं संयुज् ७ उ० भेगा थq; जोडावु (२) संयतेंद्रिय वि० इंद्रियोने संयममां चोटाडवू(३) सजवू (४) आ० जोडावू संयत्त ('संयत् 'नुं भू० कृ०) सज्ज; -कर्मणि-नी साथे जोडावू(२)-नी तैयार (२) सावचेत साथे परणवू संयम् १ प० [संयच्छति ] नियंत्रित -प्रेरक० जोडवू (२)झूसरे जोडQ करवू; निग्रह करवो; ताबे करवू (२) (३)सजवं; सज्ज करवू बंधनमां नाखवू; केद पूरवु (३) संयुज वि० जोडायेलं; संबद्ध (२) सारा १ आ० [संयच्छते] एकत्रित करवु (४) गुणोथी युक्त वासवू; बंध करh (५) भेगुं करवू; संयुत वि० जोडायेलं; संबद्ध भेगुं करी गांठ वाळवी (वाळनी) संयोग पुं० जोडाण; संबंध (२)पासे संयम पुं० निग्रह; काबू (२) धारणा होवू ते प्राप्त थयेलं होवू ते (३)सट ध्यान-समाधि ए त्रणनो समुदाय (३) (घरेणां इ० नो) (४) सरवाळो (५) तपश्चर्या (४) नाश; प्रलय (५) समान हेतु माटे बे राजाओवच्चे सुलेह संरक्त वि० रंगीन; रातुं (२)आसक्त व्रत; तप (६) मानवता संयमन न० निग्रह करवो ते; संयम (३)गुस्से थयेलं (४)मनोहर संरक्ष १५० रक्षण करवु (२) रोक; (२) बांधवं ते (३) केद संयमनी स्त्री० यमराजानी नगरी दूर राख ते माटे सोपण संरक्षण न० रक्षण; सुरक्षित राखवं ते(२) संयमित वि० निग्रहमां लीधेलु (२) संरक्षा स्त्री० रक्षा ; संभाळ बांधेलु (३)अटकावेलु (४) भेगुं करेलु संयमिन वि० निग्रह के संयममां राख संरब्ध ('संरम् ' नुं भू० कृ०) वि० नारुं(२) पुं० जेणे पोतानी इंद्रियो उश्केरायेलं; क्षुब्ध (२) गुस्से थयेल; उपर काब मेळव्यो छे ते; तपस्वी वकरेलु (३) गाढपणे जोडायेलं संरब्धमान वि० जे- अभिमान वायु संयंत्रित वि० बंधनमां नाखेलं; अटकावेलुं छे- उश्केरायं छे तेवं संया २५० साथे जq (२) चाल्या जवू; संरभ १ आ० क्षुब्ध थq (२)वकरवं; विदाय थर्बु (३) प्रवेशq; पामवु (४) उश्केरावं (३) बीवू भंगा थq(५) युद्ध करवं संरम् १ अ० राजी थर्बु संयान न० साथे जq ते (२) मुसाफरी संरंभ पुं० आरंभ (२) तोफान (३) (३) शबने लई जर्बु ते(४)वाहन; उश्केराट (४) आवेश; जुस्सो; आवेग गाडु (५) हांकवू ते (५) अभिमान ; गर्व (६) विरोध; संयुक्त वि० जोडायेलं; जोडेलु; संबद्ध वेर (७) तीव्रता (२) मिश्रित (३) युक्त; सहित;-वाळु संरंभरूक्ष वि० अतिशय कठोर एवं (४) -मां लागेल (५) संबंधी (5) संरंभिन् वि० उश्केरायेलं (२) गुस्से -नी साथे परणेलं थयेलं वकरेलु (३) गर्विष्ठ (४) लगनीसंयुग पुं० संयोग जोडाण; मिश्रग (२) वाळू; उद्यमी गुस्सो नजीकपणुं; संबंध (३) युद्ध संराग पुं० रंगवू ते (२) राग; प्रीति (३) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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