SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 535
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समाविष्ट ५२१ समाह समाविष्ट वि० पूरेपूरुं पेठेलु; व्यापेखें समासक्त वि० जोडायेखें; संकळायेलु (२) पकडायलं ; ग्रस्त (३) भूतप्रेतना (२) आसक्त; लागेलुं (३) अटकावळगाडवाळ (४) -थी पूर्ण वायलं (जेम के झरने, व्यापतां) समावृ ६ उ० बधी बाजुथी ढांक समासतः अ० ढूंकमां; संक्षेपमा (२) घेरवू; वींटवू (३) संताडवू समासद् १० उ० मेळवq; प्राप्त करवं (४)बंध करवू (६) रोक ; अवरोधq (२) पकडी पाडवू (३) हल्लो करवो समावृत् १ आ० पासे जq (२) पाछा समासन न० साथे बेसवं ते फरवू (ब्रह्मचारीए अभ्यास बाद) समासन्न वि० नजीकर्नु ; पासेनुं भेगा मळवू (३) सफळ थर्रा (४) समासंज् १ प० [समासजति] जोडg; अंत आववो; पूरुं थर्बु वळगाड, समावृत वि० घेरायेलु;वींटायेलुढंकायेलु समासेन अ० ट्रंकमां; संक्षेपथी (२) छुपावेलु (३) रक्षित (४) रोकेलं समास्या स्त्री० मुलाकात (२) साथे (५) बंध करेलु बेसबुं ते (३)बेठक समावृत्त वि० पूरु थयेल के करेलु (२) समाहर वि० संहार करनाएं पार्छ फरेल (३) एकटु थयेलं समावेश पुं० प्रवेश (२) अंतर्भाव (३) समाहर्तृ पुं० कर वसूल करनारो समाहार पुं० जथ्थो; समुदाय (२)संक्षेप; भूतपिशाचनो वळगाड (४) आवेश; जुस्सो; मनोविकार ट्रॅकाण (३) एक समास (व्या०) समाश्रय पुं० आश्रय ; आधार; रक्षण समाहित वि० भेगुं करेलु (२)समाधान करेल:शांत पाडेलु (३)एकाग्र;समाधि(२) आश्रयस्थान; रहेठाण । समाधि १ उ० आशरा माटे जq युक्त (४) कबूलेलं (५)गोठवेलु (६) दोडवू (२) अनुभव_; भोगवq (३) पूरुं करेलु (७) मूकेलं; सोंपेल (८) आचरवू;पालन करवू(४)-नो आधार समशीतोष्ण (९) मोकलेलु लेवो (५) विश्वास मूकवो (६)पामवं समाह १ प० लावq; लई आवद्रू (२) समाश्रित वि० एकडु-भेगुं थयेलु (२) भेगुं करवु (३) आकर्षq; खेंचq (४) आशरो-अवलंबन लेतुं (३)-ने लगतुं संहार करवो (५) पूरुं कर समाश्लेष पुं० गाढ आलिंगन . समाहृत वि० भेगुं करेलु; एकळु करेलु समाश्वस् २ प० आश्वासन पाम; (२) पुष्कळ; अतिशय (३) लीधेलं; स्वस्थ थq (२)-मां मानवू स्वीकारेलु (४) कावेलु; संक्षिप्त (५) समाश्वस्त वि० आश्वासन पामेलु (२) खेंचेलं (पणछ) -मां विश्वास मूकतुं समाहृत्य अ० एकी साथे ; कुल सरवाळे समाश्वास पुं० छूटकारानो श्वास लेवो ते समाह्वय पुं० आह्वान ; पडकार (२) (२) आश्वासन ; सांत्वन (३) विश्वास युद्ध (३) साठमारी (क्रीडा के जुगार समाश्वासन न० आश्वासन आपq ते माटे) (४) नाम (२) सांत्वना समाह्वा स्त्री० नाम समास पुं० एकीकरण; संयोग (२) बे समाह्वान न० आह्वान ; पडकार (२) के वधारे शब्दोना संयोगथी थयेलो बोलावीने भेगुं करवू ते शब्द (व्या०) (३) समुदाय (४) कुल समाढे १५० आमंत्र; बोलावq (२) -समग्र एवं ते (५) संक्षेप; सारांश पडकार करवो (युद्धमां) (३) कहेवू; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy