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________________ दुर्भागी अम्यूह अभ्यूह पुं० वादविवाद ; चर्चा; दलील (२) तर्क; अनुमान अध्र १५० जर्बु (२) रखडवू अभ्र न० वादळु (२) आकाश ; वाता वरण (३) अबरक अभ्रक न० अबरक अभ्रपुष्प न० आकाशकुसुम (अमंभवित वस्तु) अभ्रम स्त्री० ऐरावतनी सहचरी अभ्रंकष, अभ्रंलिह वि० वादळांने अडके तेवु; घणुं ऊंचु (२) पुं० पवन अधित वि० वादळथी घेरायेलं अम् अ० जराक (२) जलदी अमनस , अमनस्क वि. विचारहीन (२) बुद्धिहीन (३) बेदरकार; लक्ष विनानुं (४) मन उपर काबू विनानुं (५) प्रेमरहित अमम वि० ममतारहित (२)निरभिमानी अमर वि० अविनाशी (२) पुं० देव अमरगुरु पुं० देवोना आचार्य-बृहस्पति अमरतटिनी स्त्री० गंगा नदी अमरतर पुं० कल्पवृक्ष (२) देवदार अमरपति पुं० इंद्र अमरपुर न० स्वर्ग अमराडि पुं० मेरु पर्वत अमराषिप पुं० इन्द्र अमरापगा स्त्री० गंगा नदी अमरालय पु० स्वर्ग अमरावती स्त्री० इंद्रनी नगरी अमरांगना स्त्री० देवनी स्त्री(२)अप्सरा अमरेश्वर पुं० देवोनो राजा - इन्द्र । अमर्याद वि० मर्यादा बहार-; मर्यादानुं उल्लंघन करतुं (२) मर्यादा न जाळवतु; अनादर करतुं (३) हद बहारनु; अनंत अमर्ष पुं० असहिष्णुता (२) क्रोध (३) अदेखाई अमर्षण, अमर्षित, अविन् वि० क्रोधी; असहिष्णु (२) अदेखाईवाळू अमृत अमल वि० निर्मळ ; शुद्ध (२) श्वेत; प्रकाशित अमंगल, अमंगल्य वि० अशुभ (२) अमा वि० अमाप (२) अ० सार्थ; -नी साथे (३)स्त्री० चन्द्रनी सोळमी कळा (४) अमावास्या अमात्य पुं० प्रधान; सचिव अमात्र वि० अमाप; मर्यादारहित अमानन न०, अमानना स्त्री० अपमान; तिरस्कार; अवगणना अमानिता स्त्री नम्रता; निरभिमानीपणुं अमानुष, अमानुष्य वि० अलौकिक; अद्भुत (२) दिव्य अमायिक, अमायिन् वि० निष्कपटी अमावसी, अमावस्या, अमावासी, अमावास्या स्त्री० अमास अमित वि० अमाप ; अनंत (२) अज्ञात अमिताभ वि० अत्यंत तेजस्वी अमित्र पुं० शत्रु; विरोधी; हरीफ अमिष वि० छळ विनानुं (२) पुं० लौकिक भोग पदार्थ (३) मांस अमुक वि० कोई एक ; फलाणुं अमतः अ० त्यांथी (२) परलोकमांथी अमुत्र अ० त्यां; ते स्थळे (२)परलोकमां; बीजा जन्ममा अमुष्यकुल न० खानदान कुळ; प्रसिद्ध अमुष्यपुत्र पुं० कुळवान पुत्र अमूर्त वि० मूर्त रूप विनानु; निराकार अमूल, अमूलक वि० मूळ वगरनुं (२) उपादानकारण रहित (३) प्रमाण रहित; आधार विनानुं अमल्य वि० जेनी किंमत आंकी न ___शकाय तेवू; घणुं ज कीमती अमृत वि० नहि मरी गयेलु (२) अविनाशी; अमर (३) अमरपणुं निपजावनाएं (४) सुन्दर; इष्ट (५) पुं० देव (६) शिव; विष्णु (७) न० अमरपणुं; मोक्ष (८) स्वर्ग (९) अमर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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