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________________ ५०४ शैशिर शृंखलक शृंखलक पुं० सांकळ (२)पगे डेरावाळू प्राणी (दूर चाल्युं न जाय ते माटे) शृंखला स्त्री० जुओ 'शृंखल' शृंग न० शिंगडु (२) शिखर; टोच (३) ऊंचाई (४)प्रभुत्व (५) रणशिंगुं (६) अभिमान (७) बाणनी शींगडाना आकारनी सोटी-कांड शृंगक पुं०, न० शिंगडु (२) पिचकारी शृंगवेर न० गंगा नदी उपरनुं एक शहेर (आजना मीरझापुर नजीक) शृंगाटक न० चार रस्ता भेगा थता होय ते स्थान (२) बार| शंगार पुं० क्रीडा के रति माटेनी स्त्रीपुरुषनी एक बीजा प्रत्येनी स्पृहा (२) शृंगाररस (३) विलास; रति (४) शणगार (५) हाथीना शरीर उपर सिंदूरथी करेलो शणगार शंगारचेष्टा स्त्री० शृंगारिक हावभाव शृंगाररस पुं० काव्यशास्त्रमा प्रसिद्ध आठ के नव रसमांनो प्रथम शंगारलज्जा स्त्री० प्रेमने कारणे ऊभी थयेली लज्जा शंगांतर न० शिंगडांना बे ऊंचा छेडा वच्चेनुं अंतर (गाय इ० नां) श्रृंगिका स्त्री० एक अस्त्र (२) शिला वगेरे फेंकवान यंत्र शंगिन् वि० शिंगडांवाळू (२) शिखरवाळ (३) पुं० पर्वत (४) हाथी (५) आखलो (६) शिव के तेमनो एक गण शु ९५० चीरीने टुकडा करवा (२) हणवू;ईजा करवी [(३)शिखर;टोच शेखर पुं० कलगी; तोरो (२) मुगट शेफ पुं०, न० पुरुषनी गुह्येद्रिय (२) वृषण; गोळी [फूलछोड; शहाळी शेफालि, शेफालिका, शेफाली स्त्री० एक शेमुषी स्त्री० बुद्धि; समजण शेवधि पुं० कीमती खजानो शेष वि० बाकी रहेलं (२) पुं०, न० बाकी रहेलं ते (३) वघेलं ते(४)पुं० परिणाम; - असर (५) अंत (६)मोत (७) शेषनाग (८) हाथी (९) प्रसाद; कृपा शेषशायिन् पुं० विष्णु प्रसाद शेषा स्त्री॰ देवने चडावेलां फूल वगेरेनो शेष अ० अंते, छेवटे (२) बाकीनी बधी बाबतमां (उदा० 'शेषे षष्ठी') शेष्य वि० उपेक्षा करवा योग्य शैक्य वि० शीकामां लटकावेलु (२) अणीदार (३) पुं० शीकुं(४)शींकामां राखेलु पात्र शैक्यायस न० लोही जेवा रंगन पोलाद शेक्ष वि० शास्त्रादिना अभ्यासवाळं शैघ्र, शैध्य न० त्वरा; वेग शैत्य न० ठंडक मिंदता; आळस शैथिल्य न० शिथिलता; ढीलापणुं(२) शैनेय पुं० सात्यकि शेल वि० पथराळ; पथ्थरनुं बनेलं (२) शिलायुक्त (३) पुं० पर्वत; खडक (४) पथ्थरनो ढगलो । शैलगुरु वि० पर्वत जेटलु भारे (२) पुं० हिमालय शैलजन पुं० पर्वतवासी शैलतनया, शैलपुत्री स्त्री० पार्वती शैलसार वि० पर्वत जेटलं दृढ के बळवाळू [वर्तणूक शैली स्त्री० ढब; रीत; पद्धति (२) शैलष पुं० नट शैलूषी स्त्री० नर्तिका; नटी शैलय वि० घणा खडकवाळू (२)पर्वतमांथी उत्पन्न थयेलु (३) पर्वत जेवू कठण (४) न० एक सुगंधी द्रव्य शैव वि० शिव संबंधी शैवल पुं० शेवाळ; लील शैवाल पुं० शेवाळ; लील (२) न० एक जातनुं सुगंधी लाकडं शिव न० बचपण शैशिर वि० शिशिर ऋतु संबंधी (२) हिममय ; बरफथी आच्छादित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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