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________________ शंखक ४९६ शाखिन् हाडकुं(३)हाथीना बे दंतूशल वच्चेनो शंसिन् वि० (समासने अंते) वखाणतुं भाग (४)कुबेरना नव निधिमांनो एक (२) कहेतुं (३) दर्शावतुं (४)भाखतुं शंखक पुं०, न० शंख(२)न० शंखनी चूडी शाक पुं०, न० खाई शकाय तेवां कंद, शंखध्म (-ध्मा) पुं० शंख फूंकनारों फळ, भाजी (२)पुं० सागनुं झाड (३) शंखनख पुं० एक दरियाई प्राणी शक लोकोनुं नाम (४) शालिवाहन शंखवलय पुं० शंखनी चूडी संवत (५) (सातमांथी) छठो द्वीप शंखांतर न० कपाळ शाकटिक पुं० गाडी हांकनारो शंखिनी स्त्री० स्त्रीओना चार वर्गमांनी शाकल वि० टुकडा संबंधी (२) पुं० एक (पद्मिनी, चित्रिणी, शंखिनी, __ ऋग्वेदनी एक शाखा हस्तिनी; सुंदर, गुणशीलयुक्त तथा शाकंभरी स्त्री० दुर्गा .कामोपभोगरसिक एवी स्त्री) शाकिनी स्त्री० दुर्गानी तहेनातमा रहेती शंतनु पुं० एक चंद्रवंशी राजा; भीष्मना दासी (पिशाचणी) [ने लगतुं पिता (गंगा अने सत्यवतीना पति) शाकुन वि० शुकनने लगतुं (२) पक्षीशंतम वि० हितकर; कल्याणकर एवं शाकुनिक पुं० (पक्षी पकडनारो) पारधी शंब वि० सुखी; भाग्यवान (२)दरिद्री शाकुल, शालिक वि० माछलान (३) पुं० वज्र (४) खेतरने बीजी वार शाक्त वि० शक्ति संबंधी (२) पुं० खेड, ते (५) लंबाईनु एक माप । जगतना परम तत्त्व रूपे शतिना शंबपाणि पुं० इंद्र [एक राक्षस देवी रूपने पूजनारो शंबर वि० उत्तम (२)पुं० प्रद्युम्ने हणेलो शाक्तीक पुं० शक्ति-भालाथी लडनारो शंबल पुं० न० किनारो; तट (२) शाक्तेय, शाक्त्य पुं० जुओ 'शाक्त' पु० प्रवासनु भाथु उखेडेलं (घाने) शाक्य पुं० बुद्धना कुळनुं नाम शंबाकृत वि० बे वखत खेडेलु (२) फरी शाक्यमुनि पु० बुद्ध शंबूक पुं० एक जातनी छीप (२) नानो शाक वि० इंद्र संबंधी शंख(३)एक शूद्र तपस्वी (शूद्रने निषिद्ध शाक्वर पुं० बळद एवी तपस्याओ करवा बदल रामे शाख पुं० कार्तिकेय तेने हण्यो हतो) शाखा स्त्री० डाळी (वृक्षनी) (२) शंभु वि० कल्याणकर; सुखप्रद (२) हाथ (३) विभाग ; तड (४) ग्रंथनो पुं० शिव (३) आदरणीय ऋषि । विभाग (५) अमुक गोत्र के मंडळमां शंयु वि० सुखी; समृद्ध (२)पुं० यज्ञनी चालतो वेदनो पाठ (६) कोई पण अधिष्ठाता देवता शास्त्रनो विभाग शंस् १ प० कहेवू; वर्णन करवू (२) शाखानगर न० शहेरनुं पलं प्रशंसा करवी (३) ईजा करवी शाखाबाहु पुं० डाळी जेवो कोमळ हाथ शंसा स्त्री० प्रशंसा (२) इच्छा; आशा शाखाभृत् पुं० वृक्ष (३) मान्यता; धारणा शाखामृग पुं० वांदरुं शंसित ('शंस्' - भू० कृ०) वि० वखाणेलं शाखाविलीन बि० डाळ उपर वेठेलं (२) कहेलु (३) इच्छेलु (४)निश्चित (जेम के पंखी) करेलु (५) खोटो आक्षप मूकेलं (६) शाखिन् वि० शाखावाळं (२) वेदनी अनुष्ठान करेलुं; आचरेलु - कोई शाखाने अनुसरतुं (३) पुं० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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