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________________ विवर्तवाद ४६६ विवेकपदवी विवर्तवाद पं० बाह्य जगत भ्रम - विवरण करवू(५)जाणकार (६) न० आभास छे, बह्म ज सत्य छे एवो निर्जन- एकांत स्थान वेदांतदर्शननो सिद्धांत विवित्सा स्त्री० जाणवानी इच्छा । विवतित वि० गोळ फरेल के फेरवेलं विविध वि० अनेक प्रकारचं ; भातभातर्नु (२) घुमावेलु (३)कापीने टुकड़ा करेलु विवृ ५, ९ उ० ढांकवू (२) उघाडवं; विवर्धन न० वृद्धि; वधारवं ते (२) . खुल्लू करवू (३)प्रगट करवू; दर्शाव कापवू ते (४)बोलq (५)विवरण करवु(६) विवलग १५० कूदq; ऊछळवू फेलावq विवश वि० परवश; असहाय; जात विवृज् १० उ० के प्रेरक० वर्जh; त्याउपर काबू विना- (२) स्वतंत्र ; ताबे गq (२)-विनानुं करवू (३) बातल न थयेलं (३) बेशुद्ध (४) मृत राखवु (४)वहेच विवस १५० परगाम के परदेशमा रहे विवत् १ आ० गोळ-चक्राकार फरवं (२) वसवाट करवो (३) २ आ० (२)गबडवु(३)बाजुए खसेडवू; वाळव कपडां बदलवां (४) पहेरवं (४) बनवु, थर्बु (५) पाछा वळव -प्रेरक० देशनिकाल कर (६) जुदां जुदां रूप धारण करवां विवस्वत पुं० सूर्य (२) आ मन्वंतरना मनु विवृत वि० खुल्लं; प्रगट (२)स्पष्ट (३) विवह १५० हांकी काढवू; दूर करवू जाहेर करेलु (४)विवरण करेलु (२) परणवं विवृतद्वार वि० उघाडा दरवाजाविवाद पुं० तकरार; झघडो; फरियाद बारणांवाळ (२) चर्चा (३) विरोध (४) आज्ञा विवृतभाव वि० खुल्ला दिलनुं विवादिन वि० झघडतुं; तकरार करतुं; विवृतम् अ० खुल्ले खुल्लं; प्रगटपणे फरियाद करनारं विवत्त वि० गोळ फरतुं; गबडतुं ; घूमतुं विवास पुं०, विवासन न० देशनिकाल विवत्ति स्त्री० गोळ फरवं ते (२)गबडवं करवू ते (२) वियोग; विच्छेद ते(३) वेगळं खसी जq ते (४)विकास विवाह पुं० परिणय; लग्न विवद्ध वि० वधेलं; मोटं थयेलं (२) विवाहदीक्षा स्त्री० लग्नविधि पुष्कळ ; घj (२)समृद्धि विवाहनेपथ्य न० लग्न माटेनो पहेरवेश विवृद्धि स्त्री० वृद्धि; वधारो; विकास विवाहित वि० परणेलं विवध १ आ० वधq (२) समृद्ध थवु(३) विविक्त (वि+विज्' तथा 'वि+ ऊंचुं जवं विच् 'नुभू० कृ०) वि० जुएं करेलु; -प्रेरक० वधारवू; विकसावq (२) अलग पाडलं (२) निर्जन; एकांत ऊंचु करवू (३) -ना निमित्ते (-३) (३) एकल (४) जुएं तारवेलु (५) अभिनंदवू निर्दोष (६) -थी मुक्त; विना (७) विवेक पुं० सारासार समजवानी-छुटा ज्ञानयुक्त [तुं; एकाकी पाडवानी बुद्धि (२)विचारणा ; तपास विविक्तसेविन् वि० एकांत स्थान इच्छ- (३) साचुं ज्ञान विविग्न वि० बीनेलं; गाभरु विवेकज्ञ वि० विवेकबुद्धिवाळं विविच् ३, ७ उ० छुटुं-जुएं करवू (२) विवेकश्वन पुं० विवेकबुद्धिवाळो माणस विवेक करवो (३)निर्णय करवो (४) विवेकपदवी स्त्री० विचारणा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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