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________________ विरलभक्ति विरोध विरलभक्ति वि० विविधता विनान; विरिंच, विरिचि पुं० ब्रह्मा एकसरखं विरु २ प० रडवं ; विलाप करवो (२) विरलम् अ० भाग्य ; वारंवार नहि तेम । अवाज करवो (३)बूम पाडवी विरस वि० स्वाद विनानं (२)न गमे विरुग्ण वि० भागीने टुकडा थयेलं (२) तेवं; त्रास उपजावे तेवू (३) क्रूर; बूलु थयेलं लागणीरहित विरुच १ आ० दीपवू; प्रकाशवं (२) विरह पुं० वियोग; छूटा पडवं ते (खास प्रगट थq; देखावु (३)आगळ पडता करीने प्रेमीथी)(२)अभाव; न होवापणुं ___ थq(४)खुश कर विरहित वि० विहो'; विनानु (२)-थी विरुच पु० अस्त्र उपर बोलातो मंत्र विरुत वि० चीस पाडेल (२) अवाज छूटुं पडेलु(३)एकाकी । (२)एकाकी भरेलं; गाजतुं (३) न० चीस के बूम विरहिन् वि० प्रेमीजनथी छूटुं पडेलु पाडवी ते (४) कोलाहल (५) विरंच, विरंचि पुं० ब्रह्मा विरंज १, ४ उ० रूखा थई जवू के रंग गुंजारव; कलरव विरुति स्त्री० चीसो पाडवी ते ऊडी जवो (२) धिक्कार ; अणगमो विरुद पुं०, न० राजानी स्तुति-प्रशंसा थवो (३)वैराग्य थवो विरुदित न० मोटी चीस (२) विलाप विरंजित वि० स्नेह पोछो थयो होय । विरुद्ध वि० रूंधेलं; अटकावेलुं (२) तेवू; विरक्त थयेलं ऊलटुं; प्रतिकूळ; सामेनुं (३) न० विराग पुं० रंग बदलावो ते (२)वलण विरोध; दुश्मनावट बदलावं ते ; असंतोष ; अणगमो (३) विरुध् ७ उ० विरोध करवो वैराग्य'; आसक्तिनो अभाव -कर्मणि विरुद्ध होवं; विरोध होवो विराज १ उ० दीपq; प्रकाशq (२) विरुह १५० ऊगर्बु (२) ऊंचे चडवू -ना जेवू देखावू (३)शोभी ऊठवू __ -प्रेरक० रुझावु (घानु) (२) रोपवू विराज वि० उत्तम; श्रेष्ठ(२)शासक- (३)देशनिकाल कर । राजकर्ता एवं (३) पुं० क्षत्रिय (४) विरूढ वि० ऊगेलं; फूटलं (२) नीकब्रह्मांड (५) ब्रह्मानुं प्रथम संतान ळेलु; जन्मेलु (३)वधेलु (४)खीलेलं विराज पुं० गरुड (पंखीओनो राजा) (५) उपर चडेलु (६) रुझायेलं (घा) विराजित वि० प्रकाशित; प्रकाशतु(२) विरूप वि. कदरू'; बेडोळ (२) जुदा प्रगट थयेलुं के करेलु रूप के स्वभाववाळ विराट पुं० मत्स्य देशनो राजा (पांडवो विरूपक वि० कदरूपं; भयंकर तेने त्यां गुप्तवास रहेला) विरूपाक्ष पुं० शिव (त्रिलोचन) विरात्र पुं०, न० रातनो अंतभाग विरेचन न० जुलाब; रेच विराध ४ प० अपराध करवो; खोटुं विरोक पुं०, न० छिद्र; काणुं लगाडवं विरोचन पुं० सूर्य (२) चंद्र (३)अग्नि विराम पुं० अंत; थोभवू ते (२)विश्रांति (४) प्रहलादनो पुत्र ; बलिनो पिता विराव पुं० अवाज; कोलाहल विरोचनसुत पुं० बलिराजा । विरावण वि० राव-पोकार करावनाएं विरोध पुं० विरुद्धता (२) सामनो; विराविणी स्त्री० अवाज; रणकार ___ दखल (३)घेरो (४) नियंत्रण (५) द्वेष, विरिन्ध पुं० स्वर; ध्वनि शत्रुवट (६)कजियो; तकरारं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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