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________________ वाद वाचालना ४३७ करतुं (२) वातोडियु (३) बडाश वाडव पुं० ब्राह्मण (२) वडवाग्नि मारनारु [क्रिया वाण पुं० अवाज (२) बाण (३) वाचालना स्त्री० वाचाळ बनाववानी सो तारवाळी वीणा वाचासहाय पुं० वातो करीने आनंद वाणिज, वाणिजिक पुं० वेपारी पामी शकाय तेवो साथी - सोबती वाणिज्य न०, वाणिज्या स्त्री० वेपार वाचिक वि० वाचाने लगतुं (२) वाणिनी स्त्री० चतुर-तरकटी स्त्री शाब्दिक; मोढा- (३) पुं० वक्तृत्व- (२) नटी; नाचनारी (३) स्वच्छंदी छटावाळं भाषण (४) न० मोंए अने मदमत्त स्त्री कहेवरावेलो संदेश वाणी स्त्री० बोली; भाषा (२) बोलवाचोयुक्ति वि० बोलवामां कुशळ एवं वानी शक्ति (३) अवाज (४) ग्रंथ (२) स्त्री० बोलछा; भाषण (३) (५) स्तुति (६) सरस्वती देवी . चतुराईभरी वातचीत वात वि० फूंकायेलं; फूंकेलं (२) वाच्य वि० जेने कहेवान के संबोधवानं पुं० वायु; पवन (३) शरीरनी त्रण छे तेवू; कहेवा योग्य(२)शब्द वडे सीधुं धातुमांनी एक - वायु (३) संधिवा कहेवायेलु (लक्ष्य के व्यंग्य नहि तेवू) (४) बेवफा के धृष्ट यार (३) निंदा करवा योग्य ; ठपको आपवा वातकिन् वि० संधिवावाळं योग्य (४) न० निंदा; ठपको (५)शब्दनो। वातपट पुं० सढ अभिधाशक्तिथी नोकळतो अर्थ वातात्मज पुं० हनुमान (२) भीम वाच्यता स्त्री०, वाच्यत्व न० निंदा; वातायन पुं० घोडो (२) न० बारी; ठपको (२) अपकीति हवा माटेन बाकुं (३) झरूखो वाज पुं० पांख (२) पींछु (३) बाण- वातायमान वि० पवननी पेठे दोडतुं पींछ (४) न० घी (५) अन्न वातालि (-ली) स्त्री० वंटोळियो वाजसनि पुं० सूर्य (२) अन्नदाता वाताश्व पुं० पवनवेगी घोडो वाजसनेयिन् पुं० याज्ञवल्क्य वाताहति स्त्री० पवननो तीव्र झपाटो वाजिन वि० वेगीलं; झडपी (२) वातिक वि० पवनना तोफानवाळू मजबूत (३) पांखवाळं (४) पुं० (२) संधिवावाळ (३) गांडु (४) घोडो (५) सूर्य (६) पंखी पुं० वातव्याधिथी थयेलो ताव (५) वाजिभ, वाजिभूमि स्त्री० ज्यां घोडा खुशामतियो (६) एक देवयोनि बहु होय तेवी जगा वातुल, वातूल वि० वातव्याधिवाळू वाजिमेध पुं० अश्वमेध यज्ञ (२) गांडु (३) बडाईखोर (४) वाजीकरण न० कामभोगनी शक्ति पु० पवननो वंटोळ वधारनार औषध के प्रयोग वात्या स्त्री० पवनन तोफान वाट पुं०, न० वाडो; वाड के भीतथी वात्सल्य न० संतान प्रत्ये- वहाल घेरेली जगा (२) वाडी (३) जिल्लो वात्सल्यबंधिन् वि० संतान प्रत्ये ममता वाटक पुं० जुओ 'वाटिका' के वहाल देखाडतुं वाटधान पुं० जमीनदार वात्स्यायन पुं० न्यायभाष्यना कर्तार्नु वाटिका स्त्री० वाडी; उपवन (२) __ नाम (२) कामसूत्रना कर्ता- नाम घरथाळनी जमीन वाद पुं० बोलवू ते; वातचीत करवी सं.ग.-२८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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