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________________ लुठित लिपिक ४२० लिपिक पुं० लहियो लीला स्त्री० क्रीडा; रमत (२) श्रृंगारलिपिकर पुं० लहियो (२) लेपनारो, चेष्टा; विलास (३) सुगमता; सरळता धोळनारो, कडियो इ० रमतमां के सहेलाईथी थर्बु ते (५) लिपी स्त्री० जुओ ‘लिपि' देखाव; मळतापणुं (६) सौंदर्य (७) लिप्त ('लिप्' न भू० कृ०) वि० लीपेलं ढोंग; वेष (८) अनादर; तुच्छकार (२) चोपडेलु; खरडेलु (३) विष लीलाकमल न० हाथमां लीला अर्थे चोपडेलु (बाण इ०) [इच्छा राखेलं कमळ लिप्सा स्त्री० पाछु मेळववानी इच्छा (२) लीलाखेल वि० लीलाथी खेलतुं के फरतुं लिप्सु वि० लाभनी इच्छावाळं; लीलागार पुं०, न०, लीलागृह, लीलागेह मेळववानी इच्छावाळं न० क्रीडागृह; आनंद-प्रमोदनुं स्थान लिह, २ उ० चाटवं (२) चाखवू लीलाचतुर वि० लीलायुक्त हावभावथी लिंग न० चिह्न; निशानी ; प्रतीक (२) सुंदर देखातुं खोटं निशान; ढोंग (३) पुरावो; लीलातामरस न० जुओ 'लीलाकमल' साबिती (४) हेतु(न्या०) (५) जाति- लीलादग्ध वि० प्रयत्न विना-रमतमांज दर्शक चिह्न (६) शिवनुं प्रतीक (जे बाळी नाखेलं पूजाय छे) (७) सूक्ष्म शरीर; लिंग लीलानटन, लीलानृत्य न० आनंद - देह (८) अनुमान (९) उपाधि माटे करेलु नृत्य; लीलायुक्त नृत्य लिंगदेह पुं०, लिंगशरीर न० देहथी छूटो लीलापन न० जुओ 'लीलाकमल' पडेलो जीव जेनो आश्रय करीने रहे छे लीलाभरण न० मात्र खुशी खातर ते सूक्ष्म शरीर (पांच प्राण, पांच पहेरेलं (किंमत विनानुं) आभूषण ज्ञानेंद्रिय, पांच सूक्ष्मभूत, मन अने लीलायित न० लीला बुद्धि -ए सत्तरतुं बनेलु) लोलारविंद न० जुओ 'लीलाकमल' लिगिन् वि० चिह्नवाळं (२) -ना लीलावज न० इंद्रना वज्र जेवा आकारन वेशवाळू; ढोंगी (३) सूक्ष्म शरीरवाळं एक ओजार (४) पुं० ब्रह्मचारी; ब्राह्मण तपस्वी लीलावती स्त्री० सुंदर- मनोहर स्त्री ली १५०,४ आ० पीगळवू; ओगळवू (२) विलासी स्त्री (३) दुर्गा (२) ९५०, ४ आ० चोटवू; वळगq लीलाशुक पुं० लीला अर्थे पाळेलो पोपट (३)४ आ० भेट (४) अढेलीने बेस, लोलासाध्य वि० सहेलाईथी सिद्ध करी के सूर्बु(५)छुपावं; छुपाईने रहे, (६) _शकाय तेवू -मां लवलीन के आसक्त थर्बु (७) लीलांग वि० रमणीय अवयवोवाळं अलोप थर्बु [चाखेलु लुट् १, ४ प० लोटवू; आळोटवू (२) लोढ ('लिह, नुं भू० कृ०) वि० चाटेल; लूटq (३) १ आ० सामनो करवो लीन ('ली' नुं भू० कृ०)वि० चोटेखें; लुट १ प० मार; ठोकी पाडवं वळगेलं (२) छुपायेलु (३) आराम (२) १ आ० जमीन उपर आळोटर्बु करतुं; अलीने सूतेलं (४) पीगळेलं (३) १० उ० लूटवू (४) ६ प० (५) एकरूप' थयेलं; निकट संबंधथी आळोटवू; गबडवू . जोडायेलु (६) लवलीन (७)लुप्त थयेलं लुठित वि० आळोटतुं गबडतुं (२)न० लीनता स्त्री० -मां छुपाई जर्बु ते. जमीन उपर आळोटq ते (घोडा-) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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