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________________ लन्य ४१७ लवली लभ्य वि० प्राप्त करी शकाय ते, (२) निशानी (८) धजा (९) पुं० घोडो जडी शके तेवू (३) उचित; योग्य (४) (१०) पुं०, न० शणगार पहोंचाडवा लायक ललामन् वि० अलंकार; भूषण (२) ते लय पुं० चोंटवू ते; जोडाण (२)संतावू ते वर्गनुं श्रेष्ठ ते (३)ध्वजा (४)तिलक ते (३)पीगळी जq ते (४)देखाता बंध ललित वि० क्रीडा करतुं (२) विलासी थर्बु ते; नाश; लोप; प्रलय (५)एकाग्र (३)सुंदर; रम्य (४) इष्ट (५)हळवू; ध्यान-चिंतन (६)विश्राम; थोभq ते नरम (६) न० क्रीडा; लीला (७) (७)विश्रांतिनुं स्थान (८)नृत्य, गीत विलासनी चेष्टा (८) मनोहरता; अने वाजिंत्रनो मेळ - संबंध (९) सुंदरता (९) कोई पण साहजिक संगीतमां कोई स्वर काढवामा लागतो चेष्टा (१०) निर्दोषता; सरळता समय (द्रुत, मध्य, विलंबित) (१०) ललितपद वि० श्रृंगार रसना शब्दोवाळू मूर्छा (११) बाणनी झडपी गति ललितललित वि० अति सुंदर लयन वि० विश्रांतिस्थान; घर (२) ललितलुलित वि० शिथिल छतां सुंदर विश्रांति (३) वळगवू-चोंटq ते .. ललिता स्त्री० सुंदर स्त्री(२)स्वच्छंदी लल १ उ० लीला-क्रीडा करवी (२) स्त्री (३) दुर्गानुं एक स्वरूप १० उ० के प्रेरक० लालयति-ते] ललिताभिनय वि० सुंदर अभिनयोवाळं रमाडवू; लाड लडाववां (३) इच्छवं ललितार्थ वि० श्रृंगार रसना शब्दोवाळू (४) १० उ० ललयति-ते लालन लव पुं० चूंटवू ते (२)लणवू ते (पाक) करवू (५) इच्छद् (६)जीभ हलाववी (३)भाग; अंश (४) कण; टी'; बहु लण्डब न० भमरडो। नातुं प्रमाण (समासने अंते) (५) ललत् वि० रमतुं; क्रीडा करतुं (२) समयनो बहु सूक्ष्म अंश (फ्लकारानो आम तेम फरकतुं-हालतुं-घूमतुं छठ्ठो भाग) (६) वाळ; ऊन (७) ललना स्त्री॰ स्त्री (२) पत्नी (३) रामचा एक पुत्रनुं नाम स्वच्छंदी स्त्री (४) जीभ लवण वि० खाएं (२) सुंदर (३) पुं० ललनिका स्त्री० नानी अथवा दु:खी स्त्री खारो रस- स्वाद (४) खारो समुद्र ललंतिका स्त्री० लांबो हार के माळा (५) मधु राक्षसनो पुत्र (शत्रुघ्ने मार्यो ललाट न० कपाळ हतो) (६) एक नरक (७) न० मीठु ललाटपट्ट पुं० कपाळनी सपाटी लवणजल पुं० समुद्र ललाटंतप वि० कपाळने तपावतुं (२) लवणस्यति प० (मीठानी इच्छा करवी) अति त्रास आपनारु (३) पुं० पूर्व लवणार्णव, लवणालय पुं० समुद्र ललाटिका स्त्री० कपाळ उपर पहेराती लवणांतक पुं० शत्रुघ्न (लवण राक्षसने सोनानी सेर (२.) चंदन वगेरेथी __ मारनार) करेलु कपाळ उपरतुं तिलक लवणांबुराशि पुं० समुद्र; महासागर ललाम वि० सुंदर; मनोहर (२) कपाळ लवणांभस् पं० समुद्र उपर सफेद डाघ-निशानवाळू (३) लवणिमन् पं० खारापणुं (२) लावण्य न० कपाळनुं आभूषण; शणगार(४) लवन न० कापवू-लणवू ते (२)दातरडु ते ते वर्गनुं श्रेष्ठ ते (५)कपाळ उपरतुं लवम् अ० थोडं पण निशान (६) तिलक; टीखें (७) लवली स्त्री० एक वेल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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