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________________ अपोह हांकी काढ; दूर करवुं ( २ ) तजवुं (३) विरोध करवो; दलील करवी अपोह पुं० दूर करवुं ते (२) तर्कथी शंकानुं निवारण करवुं ते ( ३ ) विपरीत तर्क अपोहन न० जुओ 'अपोह' (२) तर्कशक्ति अपौरुष, अपौरुषेय वि० कायर; बीकण (२) मनुष्यथी नहि करायेलु; ईश्वरकृत (३) न० कायरता; निर्वळता ( ४ ) ईश्वरी शक्ति अप्यय पुं० पासे जवुं - जोडावुं - मळवु ते (२) लय; नाश [ (२) अप्रस्तुत अप्रकृत वि० मुख्य नहि तेवु; प्रासंगिक अप्रगल्भ वि० अनुद्धत; नम्र ( २ ) शरमाळ (३) बीकण; कायर अग्रज वि० निःसंतान ( २ ) नहि जन्मे लुं (३) प्रजा वगरनुं ( राज्य ) अप्रजाता स्त्री० वांझणी स्त्री अप्रणीत वि० विधि - संस्कारथी पवित्र न करेलुं ( २ ) न रचेलुं अप्रतिकर्मन् वि० अजोड कर्म के सिद्धिवाळं (२) सामनो के उपाय न थई शके बुं अप्रतिकार वि० जेनो उपाय नथी तेव (२) सामनो न करवो ते अप्रतिपक्ष वि० बिनहरीफ ( २ ) असदृश अप्रतिपत्ति स्त्री० अस्वीकार; नहि लेवु ते (२) अक्रिया (३) उपेक्षा ( ४ ) समजणनो अभाव (५) अनिश्चय ( ६ ) तरतबुद्धिन स्फुरवी ते बिनान अप्रतिभ वि० शरमिंदं (२) प्रतिभा अप्रतिम वि० अनुपम ; बिनहरीफ अप्रतिरथ वि० जेनो सामनो करे तेवरे बीज योद्धो नथी ते अप्रतिरूप वि० जेना समान रूपवाळु बीजुं नथी तेवुं ( २ ) सरखामणी न थई शके ते अप्रतिष्ठ वि० प्रतिष्ठा - आधार विनानुं (२) अस्थिर; चंचल (३) ख्याति विनानुं Jain Education International २९ अप्राप्तकाल अप्रतिष्ठित वि० प्रतिष्ठारहित; अस्थिर (२) ख्याति विनानुं; अप्रसिद्ध अप्रतिहत वि० अटकावी के रोकी न शकाय ते ( २ ) रुकावट विनानुं; निर्विघ्न ( ३ ) निराश नहि थयेलुं अप्रतीकार वि० जुओ 'अप्रतिकार' अप्रतीत वि० असंतुष्ट (२) अस्पष्ट अर्थवाळं (३) जेनी पासे जवुं मुश्केल छे बुं अप्रतीति स्त्री० समजावुं नहि ते ( २ ) अविश्वास अप्रत्यक्ष वि० नजरे न पडतुं; परोक्ष अप्रत्यय वि० अविश्वासु ( २ ) अज्ञानी (३) पुं० अविश्वास ( ४ ) न समजावुं ते अप्रधृष्य वि० अजेय ; अजित अप्रमत्त वि० प्रमाद रहित; सावध अप्रमद वि० आनन्द के हर्ष वगरनुं अप्रमाण वि० अपरिमित; पुष्कळ (२) आधार, पुरावो के साबिती वगरनुं (३) अविश्वसनीय अप्रमेय वि० जेनी तुलना न थई शके तेवुं ( २ ) अपरिमित अगाध ( ३ ) स्पष्ट न समजी शकाय तेवुं; अगम्य अप्रवृत्ति स्त्री० प्रवृत्तिनो अभाव; निष्क्रियता ( २ ) प्रेरणानो अभाव - निरुत्साह अप्रशस्त वि० प्रशंसा करवा योग्य नहीं ते; तिरस्कार करवा योग्य अप्रसक्त वि० अनासक्त अप्रसंग पुं० आसक्तिनो अभाव ( २ ) अयोग्य समय ( ३ ) संबंधतो अभाव अप्रस्तुत वि० असंबद्ध (२) अर्थ वगरनुं (३) आकस्मिक ( ४ ) तैयार नहि ते बुं अप्राकृत वि० ग्राम्य नहि तेवुं ( २ ) मौलिक नहि तेवुं ( ३ ) असामान्य अप्राप्त वि० नहि मेळवेलुं (२) नहि आवेलुं (३) नहि पहोंचेलु अप्राप्तकाल वि० अयोग्य समयनं; For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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