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________________ ४१० रि राध (४) ने भागे आवी पडवू (४५० पण) (५)वध करवो; ईजा करवी; नाश करवो (६)४ प० अनुकूळ थर्बु (७) सिद्ध-पूर्ण थर्बु (८) -नुं हित जोवू (९) सफळ नीवडवू राध पुं० वैशाख महिनो राधा स्त्री० समृद्धि; सिद्धि (२) एक प्रसिद्ध गोपी (३) कर्णने उछेरनारी पालक माता राधेय पुं० कर्ण राम वि० आनंद आपनाएं (२) सुंदर (३) श्याम (४) श्वेत (५) पुं० परशुराम (६) बळराम (७) रामचंद्र (दशरथना पुत्र) रामगिरि पुं० एक पर्वत (केटलाकने मते बुंदेलखंडनो चित्रकूट; अथवा नागपुर नजीकनो रामटेक) रामचंद्र पुं० राम (दशरथना पुत्र) रामणीयक वि० सुंदर; रम्य (२) न० सुंदरता; रमणीयता रामण्यक न० रमणीयता रामभद्र पुं० राम ; रामचंद्र रामा स्त्री० सुंदर स्त्री (२) प्रिया (३) कोई पण स्त्री (४) खानदान स्त्री राव पुं० बूम ; चीस (२) अवाज; नाद रावण वि० चीसो पाडतुं (२) पुं० लंकानो राक्षस राजा रावणि पुं० इंद्रजित (रावणनो पुत्र) (२) रावणनो कोई पण पुत्र रावित न० अवाज राशि पुं०, स्त्री० ढगलो; समूह (२) नक्षत्रनां बार झूमखांमांनुं प्रत्येक (मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धन, मकर, कुंभ अने मीन) (३) गणितनो आंकडो (सरवाळा, गुणाकार इ० थी मळतो) राष्ट्र न० राज्य ; साम्राज्य (२)प्रांत; प्रदेश (३) लोक; प्रजा राष्ट्रभेद पुं० राज्यना भागला थवा ते राष्ट्रिक पुं० देश के राज्यनो वतनी (२) शासक ; 'गवर्नर' राष्ट्रिय, राष्ट्रीय वि० राज्यनु; राष्ट्रनुं (२) पुं० राजा (३) राजानो साळो (४) राज्यनो अमलदार रास् १ आ० चीस पाडवी; बूम पाडवी रास पुं० बूमाबूम; धांधळ (२) अवाज (३)एक जातनुंगोळ कुंडाळामां करातुं नृत्य (जेमके, श्रीकृष्ण-गोपिकाओनुं) रासक न० एक जातनुं गौण नाटक रासभ पुं० गधेडो राहित्य न० रहितपणुं; अभाव राहु पुं० एक राक्षस; सूर्य-चंद्रने ग्रसे छे ते ग्रह (२) ग्रहण राहग्रसन न० ग्रहण (सूर्य-चंद्रनुं) राहुशत्रु पुं० चंद्र रांकव वि० रंकु मृगना वाळनुं बनेलं (२) न० रंकु मृगना वाळy बनावेलु वस्त्र (३) कामळो [वांसनो दंड रांभ पुं० संन्यासी के ब्रह्मचारीनो रिक्त ('रिच ' न भू० कृ०)वि० खाली करेलु (२)खाली (३) छूटुं पाडेलु (४) निरुपयोगी (५) न० खाली जगा (६) निर्जन स्थळ; वेरान रिक्तपाणि, रिक्तहस्त वि० खाली हाथवा ; कशी भेट न लावनारुं रिक्तीकृ ८ उ० खाली करवू (२) छोडी देवु (३) चोरी जq [सोनुं रिक्थ न० वारसो (२) मिलकत (३) रिच ७ उ० खाली करवू (२)- रहित करवू;-विनानुं करवु (३) छूटुं पाडवू (४)तजी देवू (५)१,१० प० तजी देवं (६) छूटुं पाडवू रिपु पुं० शत्रु; दुश्मन रिपुकाल पुं० मृत्युनो देव रिपुसूदन वि० शत्रुनो नाश करनारु रिरसा स्त्री० क्रीडा करवानी इच्छा रिष् १,४ प० ईजा करवी (२)हणवू Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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