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________________ मात्र ३७७ माननीय मात्र न० (लंबाई-पहोळाई-ऊंचाई- माधुकर वि० मधुकर - मधमाख संबंधी कद-अंतर-संख्या वगेरेनु) माप के तेना जेवू (उदा० 'माधुकरी वृत्तिः') (उदा० 'अंगुलिमात्रम्', 'क्षणमात्रम्') माधुकरी स्त्री० घेर घेरथी थोडं लईने (२) (कोई पण बाबतनुं) समस्तपणुं भिक्षा भेगी करवी ते (जेम मधमाख के आखो वर्ग (उदा० 'जीवमात्रम्') अनेक फूलोमांथी मध एकळं करे छे) (३) (कोई पण बाबतमां)ए एक ज; (२) पांच घेरथी मांगेली भिक्षा बीजं वधु नहि ते (उदा० वाचा- माधुर न० मल्लिकालतानुं फूल मात्रेण) (४) (भूतकृदंत साथे) अमुक माधुरी स्त्री० मीठाश; मधुरता क्रिया थई के तरत ज, एवो अर्थ (२) शराब; मध बतावे छे (उदा० भुक्तमात्रे) माधुर्य न० मधुरता; मीठाश (२) मात्रा स्त्री० माप (२) धोरण; नियम आकर्षक सौंदर्य (३) (स्त्रीने तेना (३) मापनो एकम (४)अंश (५) अणु प्रियतम माटे होय तेवों) श्रीकृष्ण (६) छेक नहि जेवू ते (७) हिसाब; प्रत्ये प्रेमभाव गणतरी (८) मालमिलकत (९) माध्यम वि० वच्चेनुं, वचलुं; मध्यनुं काव्य के संगीतमा समयनी गणनानो माध्यस्थ, माध्यस्थ्य न० निष्पक्षता (२) एकम (१०) मूळ भौतिक तत्त्व (११) अपेक्षा न राखवी ते (३) झघडामां भौतिक सृष्टि (१२) नागरी वर्णोना पतावट माटे वच्चे पडवं ते मथाळे आवतुं - ' इ० चिह्न माध्वीक न० महुडांनो दारू (२) द्राक्षमात्राभस्त्रा स्त्री० पैसानी कोथळी नो दारू (३) द्राक्ष मात्रालाभ पुं० धनप्राप्ति मान् १ आ० [मीमांसते] विचार, मात्रास्पर्श पु० बाह्य भौतिक पदार्थोनो (२) १५० , १० उ० मान आप इंद्रिय साथेनो संयोग मान पुं० आदर, संमान (२) आत्ममात्सर्य न० अदेखाई (२) अणगमो संमान; आत्मविश्वास (३) घमंड; माथक पुं० नाश करनारो अभिमान; मोटाई (४) मान धवामाथुर वि० मथुरामां बनेलुं के मथुरानुं यानी लागणी (५) अदेखाईथी चडेलो मादक वि० मदमत्त करनारु (२) गुस्सो (स्त्रीने) (६) गुस्सो (७) हर्षित करनारुं [मारा सरखं न० माप; धोरण (८)प्रमाण ; साबिती मादक्ष,मादश (-श) वि० मारा जेवं; (९) सरखापर्यु माद्री स्त्री० पांडु राजानी बीजी राणी मानकलह, मानकलि पुं० अदेखाई(सहदेव-नकुलनी माता) भरेला गुस्साथी ऊभी थयेली तकरार माधव वि० मध जेवू- गळयु (२) मधD मानग्रहण न० रूठवू ते बनेलं (३) वसंत ऋतुने लगतुं (४) मानद वि० मान -- आदर करतुं (२) पुं० श्रीकृष्ण (५) वसंतऋतु (काम- गर्विष्ठ. (३) अभिमान तोडनाएं देवनो मित्र) (६) वैशाख महिनो मानदंड पुं० मापवानो गज (७) इंद्र (८) (ब० व०) यादवो मानधन वि० खूब मान मळयु होय माधविका स्त्री० एक लता के मळतुं होय तेवू माधवी स्त्री० मधमांथी बनावेलुं पेय मानन न०, मानना स्त्री० मान ; आदर; (२) वासंतीलता (सफेद सुगंधी फूल संमान (२) वध करवो ते थाय छे) (३) पृथ्वी (४) तुलसी माननीय वि० मान आपवा योग्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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