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________________ भगवती ३४७ भयानक भगवती स्त्री० दुर्गा (२) लक्ष्मी (३) भट्टारक वि० पूज्य; संमाननीय (२) कोई पण आदरणीय स्त्री पुं० संत; ऋषि (३) देव (४) राजा भगवदीय पुं० विष्णुभक्त भट्टिनी स्त्री० पटराणी नहि तेवो राणी भगिनिका स्त्री० नानी बहेन (२) खानदान महिला भगिनी स्त्री० बहेन (२) ऐश्वर्यवाळी भण् १५० बोलवू; कहेवू (२) वर्णवळू के भाग्यवान स्त्री (३) कोई पण स्त्री (३)नामथी ओळखq(४)अवाज करवो भगिनीपति पुं० बनेवी भणन, भणित न०, भणिति स्त्री० बोल; भगिनीय पुं० बहेननो पुत्र; भाणो वाणी; वातचीत [संबोधन भगीरथ पुं० एक सूर्यवंशी राजा (जे भदंत पुं० बौद्ध भिक्षु माटेनुं मानवाचक गंगाने पृथ्वी पर लाव्यो हतो) भद्र वि० समृद्ध;सुखी(२)शुभ कल्याणभग्न ('भंज् 'भू० कृ०) वि० भांगेलं; कर (३) मुख्य ; आगेवान (४) अनुकूळ तूटेलु (२)हताश थयेलु (३) रोकेलं; (५) मनोहर; सुंदर (६) माया; अटकावेलं (४)छेक ज हरावलं(५)नष्ट कृपाळु (७)प्रशंसापात्र (८) प्रिय (९) भग्नपरिणाम वि० (कार्य) पूरुं करतां कुशळ; प्रवीण(१०)न० सुख; सद्भाग्य; अटकावायेलुं निराश बनेलं समृद्धि (११)पुं० एक जातनो हाथी भग्नमनोरथ वि० मनोरथोनी बाबतमां भद्रक वि० शुभ; मंगळ (२) सद्गुणी भग्नव्रत वि० पोतानां व्रत-प्रतिज्ञानो (३) सुंदर(४)पुं० एक कठोळ (५) भंग करनाएं; व्रत खंडित कर्य होय तेवं देवदार वृक्ष (६) न० बेसवार्नु एक भग्नाश वि० हताश; निराश आसन (७) अंतःपुर भग्नी स्त्री० बहेन [होय ते, भद्रकांत पुं० सुंदर पति के प्रेमी भग्नोद्यम वि० जेनो प्रयत्न विफळ गयो भद्रदिश् स्त्री० शुभ दिशा (दक्षिण) भज १ उ० भाग पाडवा; हिस्सा पाडवा भद्रपीठ न० राजसिंहासन (२)हिस्सो मेळववो (३) स्वीकारवू भद्रमुख वि० 'शुभमुखवाळं' (मान(४)-नो आशरो लेवो (५) सेवईं; वाचक संबोधन) अपनावq(६)भोगवq; अनुभवq (७) । भद्रमुखी स्त्री० (शुभ मुखवाळी) भली तहेनातमा रहे; सेवा करवी (८) स्त्री; आदरणीय स्त्री पूजवू; उपासवू (९)पसंद करवू (१०) भद्रंकर वि० कल्याणकारक ; मंगळकारी उपभोग करवो (११)-ने भागे आववं भद्रा स्त्री० सुभद्रा; कृष्ण-बळरामनी (१२) अनुग्रह करवो (१३) -मां बहेन (२)गाय(३)स्वगंगा मंडवं; -मां लागवं भद्राकरण न० हजामत भजन न० भजq ते ; सेवq ते (२)धारण भद्राकृ ८ प० हजामत करवी करवं ते; मालिक होवू ते (३)भाग भद्रासन न० राजानुं सिंहासन(२)योगर्नु पाडवा ते (४)-नी तहेनातमा रहेवूते एक आसन [बोलवू; कहेवू भजमान वि० भाग पाडतुं (२) भोग- भन् १५० पूजq (२) बूम पाडवी (३) वतुं (३) छाजतुं; उचित भय न० बीक; डर(२)जोखम भट पुं० वीर; लडवैयो; योद्धो (२) भयप्रद वि० भय उपजावनाएं; भयंकर भाडूती सैनिक (३)दास ; नोकर भयस्थान न०, भयहेतु पुं० भय, कारण भट्ट पुं० स्वामी; मालिक (२) पंडित; भयंकर वि० भयजनक (२) जोखमवाळं विद्वान (३) भाट; चारण भयानक वि० भयंकर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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