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________________ प्रियसख ३३१ प्रेक्षित प्रियसख पुं० वहालो मित्र संतोष (२) कृपा (३) प्रेम; ममता प्रियसखी स्त्री० वहाली के विश्वासु सखी (४)रुचि; लगनी; व्यसन प्रियसंवास पुं० प्रियजननो सहवास प्रीतिदान न०, प्रीतिदाय पुं० प्रेमथी प्रियसुहृद् पुं० प्रिय मित्र; खास मित्र आपेली भेट आपेलं धन प्रियस्वप्न वि० निद्रा जेने प्रिय छे तेवू प्रीतिधन न० प्रेम के मित्रताने कारणे प्रियहित वि० हितकर तेम ज प्रिय प्रीतिपूर्वकम्, प्रीतिपूर्वम् अ० प्रेमपूर्वक प्रियंकर वि० प्रेमाळ; मायाळू प्रोतिप्रमुख वि० माया प्रेमभाववाळु प्रियंगु स्त्री० एक वेल (तेने स्त्रीना प्रीतिभाज वि० प्रेमपात्र (२)संतुष्ट;खुश स्पर्शथी फूल बेसे छे) [बनेलं प्रीतिमय वि. प्रेम के प्रीतिने कारणे प्रियंभविष्ण, प्रियंभावुक वि० प्रेमपात्र उद्भवेलं (जेम के आंसु) प्रियंवद वि० प्रिय लागे तेवू बोलनारु प्रीतियुज् वि० प्रिय; वहालं (२) पुं० एक पंखी प्रीतिरसायन न० प्रेम रूपी आंजण (२) प्रिया स्त्री० पत्नी; प्रियतमा (२) स्त्री प्रेम के आनंद उत्पन्न करनार पेय (३) एक जात, मद्य प्रीतिसंयोग पुं० प्रेमनो संबंध प्रियाख्य वि० सारा समाचार कहेनारु प्रीतिस्निग्ध वि० प्रेमभीतुं (आंख) प्रियाख्यान, प्रियाख्यानिक न० सारा प्रीत्या अ० प्रेमथी; प्रीतिपूर्वक (२) समाचार खुशीमां आवीने; खुशीथी प्रियातिथि वि० जेने अतिथि प्रिय छे तेवं प्रे (प्र+इ) २ प० जवं; पहोंचवू (२) प्रियाधान न० प्रिय करवू ते विदाय थर्बु (३) मरण पामवं प्रियार्थम् अ० महेरबानी तरीके प्रेक्ष १ आ० जो ; निहाळवं प्रियाह वि० प्रेम अथवा मायाळूताने प्रेक्षक पुं० जोनारो (२) निरपेक्षपणे __ मात्र निहाळनार पात्र (२)मायाळू प्रियाल पुं० एक वृक्ष; 'पियाल' प्रेक्षण न० जोवू ते; निहाळवं ते (२) देखाव; दृश्य (३) आंख (४) जाहेर प्रियेण अ० खुशीथी प्रियोपभोग पुं० प्रिय जने (पुरुष के । देखाव के प्रदर्शन(५)नाटकनी रजूआत प्रेक्षणक न० देखाव ; आभास स्त्रीए) करेलो उपभोग प्रेक्षणीय वि. जोवा योग्य ; जोवू गमे पी ९ उ० खुश करवू (२) खुश थर्बु (३) तेवू(२)विचारवा योग्य स्नेह बताववो (४) राजी रहेq (५) प्रेक्षणीयक न० देखाव; दृश्य ४ आ० संतुष्ट थवं (६)-ना उपर प्रेम प्रेक्षा स्त्री० जोवू ते(२) देखाव (३) थवो; चाहवू (७) १ ५०, १० उ० जाहेर दृश्य के रजूआत(नाटक इ० नी) खुश कर (४) विचार; विचारणा (५)शोभा; प्रीणन वि० खुश करतुं (२) न० खुश रमणीयता [काम करनारुं करवू ते (३) खुश करनार वस्तु । प्रेक्षाकारिन् वि० डायु; विचारीने प्रीणित वि० खुश थयेलु; राजी थयेलं प्रेक्षागार न० नाट्यशाला; 'थियेटर' प्रीत ('प्री' नुं भू० कृ०)वि० प्रसन्न ; (२)सभागृह [भजवातुं नाटक खुश (२) राजी; आनंदी (३) संतुष्ट ; प्रेक्षाप्रपंच, प्रेक्षाविधि पुं० रंगभूमि उपर तृप्त (४)प्रिय (५)मायाळ प्रेक्षित ('प्रेक्ष् 'नुं भू००)वि. जोयेलं; प्रीति स्त्री० खुशी; तृप्ति; आनंद; निहाळेलु (२) न० दृष्टि ; नजर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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