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________________ ३२४ प्रस्मृति प्रस्कंद १५० कूदी पडवु(२)हमलो करवो प्रस्थान न जवानीकळवं ते (२) आगमन प्रस्कंदिका स्त्री० संग्रहणी (रोग) (३) मोकली देवं ते (४)सरघस (५) प्रस्कुंद पुं० चक्राकार वेदी लश्करनी कूच (६) मृत्यु (७) पंथ; प्रस्खल १५० हडसेला खावा; धक्का संप्रदाय (८)भिक्षाव्रत वागवा(२)ठोकर खावी; लथडियुं खावं प्रस्थानत्रय न०, प्रस्थानत्रयो स्त्री० भगप्रस्तर पुं० पांदडां फूल वगेरेनी शय्या वद्गीता, उपनिषदो अने ब्रह्मसूत्र (२)पथारी (३) सपाटी (४)पथ्थर; -ए त्रणनो समुदाय शिला (५) दर्भनी एक मूठी (६) प्रस्थापन न० मोकलवू,वळावq के विदाय ग्रंथनो भाग; फकरो करवं ते (२) साबित करवं ते (३) प्रस्तार पुं० पांदडां फल वगेरेनी शय्या उपयोग करवो ते [वळाववा योग्य (२) पथारी (३)सपाटी (४) झाडी प्रस्थापनीय वि० मोकलवा योग्य; (५) घाट; ओवारो प्रस्थापित वि० मोकलेलं; वळावेलु प्रस्ताव पुं० आरंभ (२) प्रस्तावना (३) (२) स्थापित करेलु (३) प्रेरेलं; उल्लेख (४) प्रसंग ; अवसर (५)चालु धकेलेलं (४) ऊजवेलुं (उजाणी इ०) मुद्दो; प्रकरण (६) प्रारंभिक स्तवन प्रस्थायिन् वि० विदाय थतुं; जतुं; प्रस्तावना स्त्री० स्तुति; वखाण (२) मुसाफरी के कूच करतुं आरंभ ; शरूआत (३) उपोद्धात प्रस्थित वि० मुसाफरीए नीकळेल के प्रस्तावसदश वि० प्रसंगने छाजे तेवं ऊपडेलु (२) मृत (३) निर्मायेलु (४) प्रस्तावे अ० योग्य प्रसंगे न० विदाय थर्बु ते प्रस्तावेन अ० योग्य प्रसंगे; योग्य समये प्रस्थिति स्त्री० विदाय (२) मुसाफरी (२)प्रसंगवशात् ; कोईक प्रसंगे प्रस्नव पुं० झरवू के झमवू ते (२)प्रवाह; प्रस्तु २ उ० स्तुति करवी; वखाणवू धारा (जेमके दूधनी) (३) ब० व० (२)प्रारंभ करवो (३) उत्पन्न करवू आंसु (४)पेसाब [नरम ; कोमळ (४) कहेवू; प्रतिपादन करवू प्रस्निग्ध वि० चीकगुं; तेलवाळु (२) प्रस्तुत वि० स्तुति करेलुं; वखाणेलु (२) प्रस्नु २ प० रेडवू (२) टपकवू; आरंभेलु (३) सिद्ध करेलु; तैयार (४) झमवू (३) २ आ० दूध आपq बनेलं (घटना) (५)प्रासंगिक; उपा- प्रस्तुत वि० झमतुं; झरतुं (२) आपतुं डेलु (वातचीतना मुद्दारूपे) प्रस्नुतस्तनी वि० स्त्री० जेना स्तनमांथी प्रस्थ वि० जतुं; रहेवा जतुं (२) (वात्सल्यने कारणे) दूध झमे छे तेवी मुसाफरीए नीकळतुं (३) दृढ़ ; स्थिर प्रस्नुषा स्त्री० पौत्रवधू (४) पुं०, न० सपाट मेदान (५) प्रस्फुट १० उ० चीर; फाडq (२) पर्वतनी टोच (६)एक माप (३२ पल __ ऊघडवू; खूलवू (३) ताळी पाडवी जेटलं) (७)तेटला वजननं जे कंई ते प्रस्फुट वि० खीलेलं (२) खुल्लं; जाहेर प्रस्था १ आ० [प्रतिष्ठते] प्रयाण करवू; (३) स्पष्ट ; उघाडु जवा नीकळवू (२)तरफ जq के आगळ प्रस्फुर् ६ प० स्फुरवू; भ्रूजवू (२)पहोळं धप, (३) चालवू; खसवं ___थq; प्रसरवू(३)दूर सुधी फेला, -प्रेरक० विदाय आपवी (२) काढी प्रस्फुरित वि० हालतुं; कंपतुं मूकवू (३) धकेलवं प्रस्मृति स्त्री० विस्मृति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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