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________________ प्रश्रित ३२२ प्रसादपरामुख प्रश्रित वि० नम्र विनयी प्रसवन न० बाळकने जन्म आपवो ते प्रश्लेष पुं० गाढ संबंध के आलिंगन प्रसवबंधन न० फूल-फळनुं दींटुं प्रश्वास पुं० श्वास लेवो ते प्रसववेदना स्त्री० प्रसव वखतनी पीडा प्रष्ठ वि० अग्रेसर; मुखियो; आगेवान प्रसवंती स्त्री० प्रसव आपती स्त्री प्रसकल वि० खुब भरावदार प्रसवित पुं० पिता प्रसक्त वि० आसक्त; वळगेलुं (२) प्रसवित्री स्त्री०. जननी; माता चोटेलं (३) लगनीवाळू (४) नजीकर्नु प्रसवोन्मुख वि० प्रसूति के सुवावडनी (५) सतत; अखंड तैयारीमा होय तेवू प्रसक्तम अ० सतत; चाल प्रसव्य वि० ऊलटुं (२)डाबी बाजु वळेलु प्रसक्ति स्त्री० आसक्ति (२)संबंध (३) के फरेलु (३) अनुकूळ लागु पडवू ते (४)खंत; प्रयत्न(५)प्राप्ति प्रसह १ आ० सहन करवु (२) सामनो प्रसत्ति स्त्री० कृपा; प्रसन्नता (२) करवो (३) प्रयत्न करवो (४) हिंमत निर्मळता; पारदर्शकता करवी; शक्तिमान थq। प्रसद् १ प० प्रसीदति प्रसन्न थ; प्रसह्य अ० बळात्कारे; जोरजुलमथी खुश थर्बु (२) संतुष्ट थq; शांत थर्बु (३) (२) अत्यंत (३)जीतीने (४)एकदम; स्वच्छ थवू; निर्मळ थर्बु (४) सफळ थर्बु तरत ज (५) अवश्य । प्रसन्न वि० स्वच्छ ; निर्मळ (२)खुश; प्रसंख्यान पुं० भरपाई करवू ते (रकम) संतुष्ट (३) कृपावंत (४) स्पष्ट समजाय (२) न० गणतरी (३)चिंतन, मनन तेवू(५)साचुं; खरं लगभग साचुं (४) कीर्ति; ख्याति प्रसन्नकल्प वि० लगभग शांत थयेलं (२) प्रसंग पुं० आसक्ति; प्रीति (२) संबंध; प्रसन्नसलिल वि० स्वच्छ जळवाळं समागम (३) व्यभिचार (४) -मां प्रसन्ना स्त्री० मदिरा;दारू [पुं० विष्णु लागु रहे ते (५) बनाव; घटना (६) प्रसन्नात्मन वि० कृपावंत ; खुश थयेलु(२) परिणाम आवी पडवं ते प्रसनेरा स्त्री० एक जातनी मदिरा प्रसंगवशात् अ० संयोगवशात् प्रसभ पुं० जुलम ; बळात्कार प्रसंगिता स्त्री० आसक्ति; लगनी प्रसभदमन न० बळात्कारे दमन करवं ते प्रसंगिन् वि० आसक्त ; संबद्ध (२) प्रासंप्रसभम् अ० बळात्कारे; जोरजुलमथी गिक; कोईक वार बनतुं (३) गौण (२)अत्यंत (३) अनुचितपणे प्रसंज् १ प० [प्रसजति ] आसक्त थर्बु प्रसर पुं० आगळ वधq के धपq ते (२) -कर्मणि० चोटबुं; वळगQ (२) निर्विघ्न गति (३) विस्तृत थर्बु ते (४) परिणामरूपे आवी पडवू; प्रसंग आववो कद; जथो (५)प्रवाह; पूर (६)अव- प्रसंजित वि० बनावेल अस्तित्वमा आणेलु काश ; तक (७) गोचर; क्षेत्र (आंखD) प्रसंदान न० दोरडु; बंधन प्रसरण न० दोडी जq ते (२)नासी जदूं प्रसाद पुं० कृपा (२) शांति; स्वस्थता ते(३)फेलावू ते [सरकतुं (३)निर्मळता (४) देव वगेरेने अर्पण प्रसपिन् वि० आगळ वधतुं; फेलातुं (२) करेलुं भोजन (५) बक्षिस; भेट प्रसव पुं० जन्म आपवो ते; प्रसूति (२) प्रसादक वि० निर्मळ करनारु (२)शांत संतति;फरजंद (३)जन्मस्थान; उत्पत्ति- पाडनारु (३)खुश करनारं स्थान (५) फूल (६) फळ ; परिणाम प्रसादपराङमुख वि० कोईनी कृपा न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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