SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 332
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रयुज i ( ५ ) ध्यानमग्न ( ६ ) प्रेरेलु (७) गतिमान करेलु प्रयुज् ७ आ० प्रयोग करवो; वापर (२) निमणूक करवी (३) आप (४) हलाव; गतिमान करवुं ( ५ ) प्रेरवुं ( ६ ) आचरवुं ; करवुं ( ७ ) नाट्यप्रयोग करवो ( ८ ) . व्याजे धीरखं ( ९ ) झुंसरीए जोडवं (१०) फेंकवुं ( अस्त्र) ( ११ ) योग्य होवु ; छाजवं प्रयुत न० दश लाखनी संख्या प्रयुद्ध वि० उग्रपणे लडनारुं ( २ ) न० युद्ध प्रयोक्तृ वि० उपयोग करनाएं ( २ ) अमल करनाएं ( ३ ) प्रेरनारुं ( ४ ) लेखक; कर्ता (५) नाट्यप्रयोग करनारुं (६) फेंकनारुं (बाण इ० ) प्रयोग पुं० उपयोग; वापर ( २ ) फेंक ते; प्रयोग करतो ते (३) अभिनय करवो ते; भजववुं ते (४) प्रत्यक्ष उपयोग, व्यवहार के अमल ('शास्त्र'थी ऊलटं ) ( ५ ) योजना; युक्ति प्रयोगचतुर, प्रयोगनिपुण वि० (कळानो) प्रयोग करवामां कुशळ; अनुभवो प्रयोगातिशय पुं० नाटकनी प्रस्तावनानो एक प्रकार (सूत्रधार पोतानुं काम अधूरुं राखी बीजा पाना प्रवेशनी सूचना करतो चाल्यो जाय ते) प्रयोगिन् वि० प्रयोग करनारुं (२) प्रयोजनवाळे (३) प्रेरनाएं प्रयोजक वि० योजनाएं, करनाएं, प्रेरनाएं, नीमनाएं इ० (जुओ ' प्रयुज् ' ) प्रयोजन न० उपयोग ( २ ) जरूर; अगत्य ( ३ ) हेतु; लक्ष ( ४ ) उपाय ; साधन (५) कारण; सबब प्ररुच् १ आ० खूब प्रकाशवुं ( २) गमव प्ररुदित वि० खूब विलाप करतुं प्ररुह् १ प० ऊगवुं (२) रुझावुं (घा वगेरे) प्ररूढ वि० ऊगेलुं; विकसेलुं (२) जन्मेलुं; उत्पन्न थयेलुं (३) वधेलुं (४) खूब ऊंड गयेलुं (५) लांब वधेलु ३१८ Jain Education International प्रलुप्त प्ररोचन वि० रुचि उपजावनाएं (२) नं० प्रेरवुते (३) उदाहरण; दृष्टांत (४) लोभावते; आकर्षतुं ते ( ५ ) प्रदर्शन प्ररोह पुं० अंकुर; फणगो (२) कुंपळ ; पल्लव (३) वंशज (४) तेजनो अंकुर प्रलप् १ ५० बोलवु; वात करवी (२) बकवाट करवो (३) फावे तेम असंबद्ध बोलवु ( ४ ) विलाप करवो प्रलपन न० बोलवं ते; वातचीत ( २ ) बकवाट ; प्रलाप (३) विलाप प्रलपित वि० बोलेलं; बबडेलु (२) न० बोलते प्रलब्ध वि० छतरायेलुं; ठगायेलुं प्रलभ् १ आ० छेतरवु; ठगवुं प्रलय पुं० विनाश (२) (कल्पने अंते थतो) सृष्टिनो विनाश ( ३ ) मोटो विनाश बरबादी (४) मृत्यु ( ५ ) मूर्छा प्रलंब वि० लांबु; लबडतुं (२) ऊंचं; देखाई आवे ते (३) धीमुं; विलंब करतुं (४)पुं० लटकतुं - लबडतुं एवं ते ( ५ ) शाखा (६) कंठे पहेरेली लांबी माळा ( ७ ) कंठी ( ८ ) स्तन प्रलंबित वि० लटकतु; झूलतुं प्रलंभ पुं० मेळववुं ते (२) छेतरखुं ते प्रलंभन न० छेतर ते (२) छेतरपिंडी; दगाबाजी (३) मश्करी प्रलाप पुं० वात; वातचीत (२) बकवाट; बबडाट (३) विलाप प्रलापिन् वि० बोलतुं; बोलनारुं; बात करतुं (२) बबडाट करतु; प्रलाप करतुं प्रली ४ आ० ओगळी जवुं (२) भळी जवुं; समाई जवं (३) अदृश्य थवुं (४) नाश पावो प्रलीन वि० ओगळी गयेलुं (२) नाश पामेलुं (३) मूर्छित (४) ढंकाई गयेलुं; छुपाये (५) मृत प्रलुठ् १ प० जमीन उपर आळोटवुं (२) क्षुब्ध थवुं; ऊछळवं प्रलुप्त वि० लूंटायेलं For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy