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________________ पुलोमारि २८९ पुंगव पुलोमारि पुं० इंद्र पुष्पमास पुं० चैत्रमास (२) वसंतऋतु पुष १, ४, ९५० पोषकुं; उछेर, (२) पुष्परजस् न० फूलनी रज; पराग पोषण कर (३)विकसाव; वधार, पुष्परथ पुं० मुसाफरी माटेनो रथ (४)प्राप्त करवु (५)दर्शावर्तु; प्रगट पुष्पराग पु० पोखराज कर, (६)खीलq (७)प्रकाशq पुष्परेणु पु० पराग पुष् वि० पोषतुं (२) व्यक्त करतुं पुष्पलावी स्त्री० माळण पुष्कर न० नील कमळ (२) हाथीनी पुष्पवती स्त्री० रजस्वला स्त्री सूंढनुं टेरवू (३) ढोल उपरनुं चामडं पुष्पवर्ष पु०, पुष्पवर्षण न० फूलोनो (४) तरवार- फळं (५) आकाश; वरसाद विाडी अंतरीक्ष (६)पुं० तळाव; सरोवर (७) पुष्पवाटिका, पुष्पवाटी स्त्री० फूलनी एक जातनं ढोल (८)एक जातनो मेघ । पुष्पवृष्टि स्त्री० फूलनो वरसाद (जे दुकाळ लावे छै) (९)पं०, न० पुष्पवेणी स्त्री० फूलमाळा विश्वना सात महा द्वीपोमांनो एक पुष्पशर, पुष्पशरासन पुं० कामदेव पुष्कराक्ष पुं० विष्णु [आवे छे) पुष्पाकर वि० फूल खूब थतां होय पुष्करावर्तक पुं० एक मेघ(जेनाथी दुकाळ तेवू (वसंतऋतु) पुष्करिणी स्त्री० हाथणी (२) कमळो- पुष्पागम पुं० वसंतऋतु वाळू तळाव (३) तळाव; सरोवर (४) पुष्पाजीव पुं० माळी कमळनी वेल [हाथी पुष्पायुध पुं० कामदेव पुष्करिन् वि० खूब कमळवाळु (२)पुं० पुष्पासव न० मध पुष्कल वि० पुष्कळ ; अति (२) पूर्ण; पुष्पासार पुं० पुष्पोनो वरसाद पूरेपूरु (३) समृद्ध; भव्य ; सुंदर पुष्पांजलि पुं० खोबो भरीने फूल (४) उत्तम ; श्रेष्ठ (अर्पवां ते) पुष्ट ('पुष्' न भू० कृ०) वि० पोषेढुं; पुष्पिणी स्त्री० रजस्वला पोषायेलु (२) जाडु; लठ्ठ; मोटुंभारे पुष्पित वि० फूलवाळं; फूल भरेलु पुष्टांग वि० हृष्टपुष्ट ; जाडं (२)खीलेलं (३) फूल जेवू (वाणी) पुष्टि स्त्री० पोषण; पोषवं ते (२) (४)-थी समृद्ध वृद्धि; समृद्धि (३) हृष्टपुष्टता पुष्पोद्गम पुं० फूल बेसवां ते पुष्टिद वि० पुष्टिकारक पुष्पोद्यान न० फूलवाडी पुष्प ४ प० विकस; खोलवू पुष्य पुं० पोष मास (२) एक नक्षत्र पुष्प न० फूल (२) स्त्री- रज (३) पुस्त न० चोपडवं ते; रंग करवो ते कुबेरनुं विमान (४) पोखराज (२) माटी, लाकडु के धातुमाथी पुष्पक न० फूल (२) कुबेरन विमान __करेली आकृति (३)पोथी; हस्तप्रत पुष्पकेतु, पुष्पचाप, पुष्पषनुस्, पुष्प- पुस्तक न० पोथी; चोपडी धन्वन् पुं० कामदेव पुस्तकर्मन् न० रंग के लेप करवो ते पुष्पधारण पुं० विष्णु पुंख पुं०, न० बाणनो पीछांवाळो छेडो पुष्पध्वज पुं० कामदेव पुंगव पुं० आखलो; सांढ (२) पुष्पपुर न० पाटलिपुत्र नगर (पटना) (समासने अंते) ते ते वर्गमां श्रेष्ठ पुष्पबाण पुं० कामदेव (उदा० 'मुनिपुंगव') Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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