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________________ पलितछद्मन् २७६ पक्तिता पलितछमन् वि० पळियां पाछळ छुपा- पश्चात् अ० पाछळथी; पाछली बाजुए येलु (वृद्धावस्था) (२) पाछळ ; पाछली बाजु (३) पल्यंक पुं० पलंग पछीथी (४) छेवटे (५)पश्चिम बाजुपल्याणित वि० पलाणेलं एथी (६) पश्चिम तरफ पल्लव पुं०, न० कंपळ; नवं पान (२) पश्चात्कृत वि० पार्छ पाडी दीधेलं नवी डाळी (३) कळी (४) पालव; पश्चात्ताप पुं० पस्तावो वस्त्रनो छेडो [छल्लं (ज्ञान) पश्चादहस् अ० पाछले पहोरे पल्लवग्राहिन वि० उपरचोटियु ; उपर- पश्चार्य पुं० पाछलो भाग; पाछळनो पल्लवित वि० नवी कुंपळोवाळ (२) भाग (शरीरनो) (२) पछीनो अ? विस्तारित (३) अळताथी रंगेल (४) भाग (३) पश्चिम बाजु पुं० अळतो पश्चिम वि० पश्चिम दिशान; आथपल्लविन् वि० कुंपळोवाळं; अंकुरित मणुं (२) छेवटचें; छेल्लु (३) त्यार पल्लि (-ल्ली) स्त्री० नानुं गामडु (२) पछी-; पाछळ थनारुं । घरोळी पश्चिमरात्र पुं० रातनो छेवटनो भाग पल्वल न० नानुं तळाव; खाबोचियुं । पश्चिमा स्त्री० पश्चिम दिशा पयत् वि० पावन करनारु (२) वेगे पश्य वि० जोनाएं; जोत गति करतुं पश्यत् वि. जोतुं; देखतुं; निहाळतुं पवन वि० पवित्र; स्वच्छ (२) पुं० पश्यतोहर पुं० मालिक देखतो होय ने वायु; हवा (३) प्राणवायु; श्वास चोरनार (जेम के सोनी) (४) पावन करनार (वायु) पश्यंती स्त्री० वाणीनी चार स्थितिमांपवनतनय पुं० भीम (२) हनुमान नी बीजी (जुओ परा') (२) वेश्या पवनपदवी स्त्री० आकाश; अंतरीक्ष पंक पुं०, न० कादव; कीचड (२) पवनभू पुं० हनुमान (२) भीम तेना जेवो गाढ लोदो (३) पाप पवमान पुं० पवन; वायु; हवा (२) पंकच्छिद् पुं० डहोळू पाणी साफ करवा गार्हपत्य अग्नि जेनुं फळ वपराय छे ते झाड पवमानसख पुं० अग्नि पंकज न० कमळ पवि पुं० इंद्रनुं वज्र (२) गर्जना; कडाको पंकजकोश पं. कमळनो दोडो पवित्र वि० पावन; शुद्ध (२) पाप- पंकजनाभ पुं० विष्णु रहित (३)न० घी होमवामां वपराता पंकजन्मन् पुं० ब्रह्मा (बे) दाभ (४) जनोई पंकजिनी स्त्री० कमळनो छोड-वेल पशु पुं० जानवर; चोपगुं प्राणी (२) (२) कमळनो समूह (३) घणां कमळ यज्ञमां होमवानुं प्राणी (बकरुं इ०) ऊगतां होय तेवू स्थळ (३)जंगली जानवर पंकिल वि० कादव भरेलु पशका स्त्री० कोई पण नानू जानवर पंकेज, पंकेतह (-ह) न० कमळ पशुधात पुं० यज्ञ माटे पशुनो वध पंक्ति स्त्री० हार; पंगत; ओळ (२) पशुनाथ, पशुपति पुं० महादेव एक ज ज्ञातिना जमवा बेठला पशुमारम् अ० ढोरने मारे तेम लोकोनी पंगत (३) दशनी संख्या पश्च वि० पाछळy (२) पश्चिमनुं पंक्तिता स्त्री० हार; ओळ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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