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________________ द्विलय द्विलय पुं० ( गीत अने वाद्य पेठे) बे वस्तुओनुं साम्य (२) बेवडो लय ( ? ) द्विवचन न० बेने माटेनुं वचन ( व्या० ) द्विवर्ग पुं० बेनुं जोडकुं ( प्रकृति-पुरुष ; काम-क्रोध इ० ) द्विविध वि० बे प्रकारनुं द्विशस् अ० बब्बे ; जोडकामां द्विष् उ० द्वेष करवो; शत्रुता राखवी द्विष् वि० द्वेषयुक्त; शत्रुतावाळु ( २ ) पुं० शत्रु, वेरी द्विष, द्विषत् पुं० शत्रु द्विषंतप वि० शत्रुने पीडनारुं द्विष्ट ('द्विष्' नुं भू० कृ० ) franraj ( २ ) वेरी; विरोधी द्विस् अ० बेवार वि० द्वीप पुं०, न० बेट ( २ ) आश्रय-स्थान ( ३ ) पृथ्वीनो खंड ( मेरुनी आसपास तेवा चार, सात, नव के तेर गणाय छे) द्वीपवती स्त्री० पृथ्वी (२) नदी द्वीपिन् पुं० वाघ (२) चित्तो द्वेषा अ० बे प्रकारे; बे वार द्वेषाक्रिया स्त्री० बे भाग करवा ते द्वेष पुं० अणगमो; धिक्कार ( २ ) शत्रुता द्वेषण वि० द्वेष करनारुं ( २ ) पुं० शत्रु (३) न० शत्रुता ; वेर द्वेषिन्, द्वेष्टृ पुं० शत्रु; दुश्मन द्वेष्य पुं० द्वेष करवा योग्य ( २ ) अप्रिय ; प्रतिकूल (३) पुं० शत्रु वक् अ० ( गुस्सानो उद्गार) धगिति अ० एक क्षणमा; एकदम धत्तूर पुं० धंतूरो धन न० द्रव्य; मिलकत; खजानो (२) अत्यंत मूल्यवान के प्रिय वस्तु धनक पुं० लोभ ; तृष्णा धनक्षय पुं० धननो नाश Jain Education International २२२ ध धनपति बेणुं भिन्नता द्वैत न० द्वैतवाद पुं० प्रकृति-पुरुष, जीवात्मापरमात्मा, ब्रह्म-जगत - ए जुदां भिन्न छे एम माननारो वाद द्वैतीयोक वि० बीजूंं द्वैध वि० बे प्रकारनुं (२) बेवडुं; बमणुं (३) न० बे होवापणुं ( ४ ) संशय ; अनिश्चितता ( ५ ) विरोध; भेद द्वैधीभाव पुं० बे प्रकारे वुं - होते (२) द्वित्व; भेदभाव ( ३ ) संशय; अनिश्चतता ( ४ ) वेर (५) प्रतिवाद ( ६ ) अंदरथी एक अने बहारथी भिन्न एवो भेदभाव द्वैधीभू १५० बे भाग पडवा ( २ ) अनिश्चितता थवी द्वैपायन पुं० वेदव्यास ( द्वीपमा जन्मेला ) द्वैप्य वि० द्वीप संबंधी; द्वीपमां रहेतुं द्वैमातुर पुं० (बे माताओवाळु) गणपति (२) जरासंध द्वैमातृक वि० नदीना तेम ज वृष्टिना एम बे जळथी पाक थतो होय तेवो देश द्वैरथ पुं० प्रतियोद्धो; शत्रु (२) न० बे रथीओनुं युद्ध द्वैराज्य न० बे राजाओ वच्चे वहेंचायेलो देश ( २ ) सरहद द्वघर्थ वि० बे अर्थवाळु (२) बे हेतुओवाळु दूधवर वि० ओछामा ओछु बे द्वाहिक वि० दर बे दिवसे आवतो धनजात न० कुल मिलकत; समग्र कीमती वस्तुओ धनद पुं० कुबेर धनदानुज पुं० रावण ( कुबेरनो नानो भाई) धनधानि स्त्री० खजानो; तिजोरी धनपति पुं० कुबेर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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