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________________ देवदार अर्जुननो शंख (४) 'अमुक' - 'फलाणों' एवो अर्थ दर्शाववा माटे वपरातो शब्द देवदारु पुं०, न० देवदारनुं वृक्ष देवबुंदुभि पुं० देवनुं नगारुं देवदेव पुं० शंकर ( २ ) विष्णु ( ३ ) ब्रह्मा (४) गणेश देवघानी स्त्री० इंद्रनी नगरी बेवन् पुं० दियर बेवन पुं० पासो (२) न० पासा खेलवा ते देवनदी स्त्री० गंगा ( २ ) पवित्र नदी देवना स्त्री० द्यूतक्रीडा देवनागरी स्त्री० संस्कृत भाषा जेमां लखाय छे ते लिपि देवनिकाय पुं० स्वर्ग (२) देवोनो समूह देवपथ पुं० स्वर्ग ; आकाश (२) आकाशगंगा २१७ देवपादाः पुं० ब० व० राजाने माटे वपरातुं मानवाचक' संबोधन देवपुर न०, देवपुरी स्त्री० इंद्रनी राजधानी - अमरापुरी देवप्रिय पुं० शिव देवभूमि स्त्री० स्वर्ग देवभोग पुं० देवोने लायक भोग देवमणि पुं० कौस्तुभ मणि ( २ ) सूर्य (३) घोडानी डोक उपरनो वाळनो भमरो देवमातृक वि० वरसाद उपर आधार राखतुं (नहेर वगेरे उपर नहीं ) देवयजन न० यज्ञ करायो होय ते भूमि देवयज्ञ पुं० पंच महायज्ञोमांनो एक देवयज्य न०, देवयज्या स्त्री० देवनी मूर्तिनो वरघोडो देवयान वि० मोक्ष आपनारुं ( २ ) न० विमान (३) पुं० मोक्षनो मार्ग देवयुग पुं० सतयुग बेवर पुं० दियर ( २ ) पति देवराज ( - ज ) पुं० देवोनो राजा इंद्र देव पुं० नारद (२) (भृगु, अत्रि वगेरे ) देवतुल्य ऋषि Jain Education International देशीय [मिलकत देवलोक पुं० स्वर्ग देवस्व न० देवोनी मिलकत; धार्मिक देवागार पुं०, न० देवालय; मंदिर देवाधिप पुं० इंद्र देवानांप्रिय पुं० देवोने प्रिय ( २ ) बकरो (३) मूर्ख; गमार ( ४ ) तपस्वी देवायतन पुं० मंदिर; देवालय देवारण्य न० देवोनुं उपवन - नंदनवन देवारि पुं० देवोनो शत्रु - दानव देवालय पुं० मंदिर ( २ ) स्वर्ग देवांगना स्त्री० अप्सरा देवित, देविन् पुं० जुगारी देवी स्त्री० देव स्त्री (२) देवता ( दुर्गा, सरस्वती, सावित्री इ० ) ( ३ ) राजानी पटराणी देव पुं० दियर देश पुं० स्थळ; स्थान ( २ ) प्रदेश ; विभाग; राष्ट्र ( ३ ) आखानो अंश के बाजु (४) गोचर - क्षेत्र देशक पुं० राजा ( २ ) आचार्य (३) भोमियो; मार्गदर्शक देशकंटक पुं० जाहेर आफत देशकालज्ञ वि० योग्य स्थळ अने समय जाणनारुं [आचार देशधर्म पुं० देशनो धर्म; स्थानिक देशना स्त्री० सूचना; निर्देश; आज्ञा देशरूप न० योग्यता; औचित्य देशाचार पुं० स्थानिक आचार-रिवाज देशाटन न० प्रवास; मुसाफरी देशांतर न० अन्य देश देशिक वि० स्थानिक (२) पुं० गुरु (३) प्रवासी (४) भोमियो देशित वि० कहेलुं; सूचवेलुं आज्ञा करेलुं (२) उपदेशेलुं; सलाह आपेलुं देशीय वि० स्थानिक; प्रांतिक ( २ ) -तुं रहेवासी (समासने छेडे ; उदा० 'मगधदेशीय') (३) लगभग; नजीकतुं (उदा० " अष्टादशवर्षदेशीया " ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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