SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 22
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - अतिपातिन् अतिव्याप्ति आवी पडबुं ते (जेम के दुःख-) (५) मतिरिच् (घणुंखरुं कर्मणि प्रयोगमा) विरोध (६) नाश (समासमा) -थी वधी जq (२) वधारानुं होवू मतिपातिन् वि० वेगमां पाछळं पाडी देतुं अतिरूप वि० अति रूपाळं(२)रूप वगरनु अतिप्रबंध पुं० अतिवेगथी के एक पछी (३) पुं० निराकार (ब्रह्म) एक जलदी आव ते अतिरेक पुं० अधिकता; अतिशयता (२) अतिप्रवद्ध वि० अतिशय वधी गयेलं भिन्नता (३) वधारो; नकामो वधारो (२) प्रबळ के आक्रमक बनेल अतिरोमश,अतिलोमश वि० घणा वाळअतिप्रश्न पुं० मर्यादा बहारनो प्रश्न (२) वाळू (२)पुं० मोटो वानर (३)जंगली पूरतो जवाब मळवा छतां फरी करातो बकरो प्रश्न अतिवर्तन न० क्षमा करवा योग्य अपराध अतिप्रसंग स्त्री. अत्यंत आसक्ति (२) अतिवतिन् वि० चडियातु; श्रेष्ठ (२) अति निकटता (३) तोछडापणुं उल्लंघन करनार अतिभू १५० नीकळवू; ऊ, थर्बु (२) अतिवह १ प० पार लई जर्बु -थी वधी जवं -प्रेरक० पसार करवू (समय) (२) अतिभूमि स्त्री० पराकाष्ठा ; अंतिम हद -थी छटकवू (३) उपाडीने लावq; (२) मर्यादानुं उल्लंघन खसेडवू (४) अनुसरवू (मार्ग) अतिमर्त्य वि० जुओ अतिमानुष अतिवाद पुं० कठोर वाणी; निंदा;ठपको अतिमर्याद वि० मर्यादा बहारनुं (२) वधारीने बोलवू ते (३) वधारे अतिमात्र वि० प्रमाण बहारनु; अतिशय बोलवू ते अतिमात्रम् अ० वधारे पडतुं होय तेम अतिवादिन् वि० वधु बोलनार(२)वीजानुं अतिमानुष वि०माणसथी न थई शके तेवू __ तोडी पाडी पोतानी वात कहेनार अतिमाय वि० मायाथी पर; मुक्त । अतिवाहक पुं० जीवना सूक्ष्म शरीरने अतिमुक्त वि० संसारनी मायाथी मुक्त दोरी जनार देव (२) मोती (- ना हार) थी चडियातुं अतिवाहन न० पसार करवू - व्यतीत (३) पुं० एक लता (माधवी लता) करवू ते (२) अत्यंत परिश्रम करवो ते; (४) एक वृक्ष वृक्ष भारे बोजो ऊंचकी जवो ते (३) दूर अतिमुक्तक पुं० माधवी लता (२) एक करवू ते अतिमृत्यु वि० मृत्युने तरनारु (२)पुं० अतिवाहित वि० पसार करेलु ; व्यतीत मोक्ष अतिविष्ठित वि० वीरताथी लडनारं२) अतिया २ प० उल्लंघन करवू ; आज्ञानो __ मर्यादानुं उल्लंघन करनारं भंग करवो (२) चडियातुं थर्बु अतिवृत् १ आ० ओळंगी जवू; उल्लंघन अतियात वि० वेगवंतुं करवू (२)पसार थर्बु (समयनु) (३) अतिरथ पुं० बिनहरीफ योद्धो (रथमां उपेक्षा करवी बेसी लडनारो) अतिवृष्टि स्त्री० वधारे पडतो वरसाद अतिरभस पुं० अतिशय वेग अतिवेल वि० मर्यादाने ओळंगी गयेलू अतिरंहस् वि० घणुं झडपी - वेगीलं अतिवेलम् अ० अत्यंत (२) कवखते अतिरिक्त वि० श्रेष्ठ- चडियातुं (२) अतिव्याप्ति स्त्री० लक्ष्य न होय तेवी जुईं; भिन्न (३) खाली (४) अतिशय वस्तुनो समावेश थवोते (२)नियमनो (५) वधारे पडतुं; वधारानुं गमेतेम खेंचीने विस्तार करवो ते करेल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy