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________________ तारक १९४ स्वच्छता के पारदर्शकता (४) मोटुं के सुंदर मोती (५) तंतु; तांतणो (६) पुं०,न० ग्रह अथवा तारो (७) आंखनी कीकी (८) न० रू' (९) बीजकोष (खास करीने कमळनो) तारक वि० तारनाएं; उद्धारनारुं; रक्षण करनारुं (२) पुं० सुकानी (३) तारो (४) कीकी [कीकी तारका स्त्री० तारो; खरतो तारो (२) तारकिणी स्त्री० ताराओवाळी रात्रि तारकित वि० ताराओथी भरेलु तारण वि० उद्धारनारं; पार लई जनारु (२) न० जीतनार ते (३) उद्धारनार ते तारणि (-णी) स्त्री० होडी; मछवो । तारतम्य न० तफावत; विशिष्टता (गुण, प्रमाण, मूल्य वगेरेनी सापेक्षता के चढता-उतरतापणुं) तारा स्त्री० ग्रह के तारो (२) कीकी ताराधिप, तारापति पुं० चंद्र (२) वालि (३) बृहस्पति तारापथ पं० आकाश; अंतरीक्ष तारामैत्रक न० आंख मळतां ज ऊभी थती प्रीति; आकस्मिक प्रेम तारित वि० पार करेलु ; उद्धारेलू तारुण्य न० जुवानी तारेय पृ० बुधनो ग्रह (२) वालिनो ताराथी थयेलो पुत्र - अंगद ताकिक पुं० नैयायिक (२) तत्त्ववेत्ता तार्भ पुं० कश्यप ऋषि [(४) पक्षी ताऱ्या पं० गरुड (२) अरुण (३) रथ तार्तीय, तार्तीयीक वि० त्रीचं ताल पुं० ताडवृक्ष (२) ताळी (३) फडफडाट (जेमके, हाथीना काननो) (४) ताल आपवो ते (संगीत) (५) कांसीजोड (६) ताळू (७) शंकर (८) अंगूठो अने वचली आंगळी वच्चेनो टूको गाळो (९) ऊंचाई- अमुक माप तांतव तालकेतु पुं० भीष्म पितामह तालपत्र न० ताडपत्र (लखवा माटे वपरातुं) (२) कान, एक घरेणुं । तालफल न० ताडफळ [एक ओजार तालयंत्र न० ताळंकूची (२) वाढकापर्नु तालवन न० ताडनुं वन तालवृंत न० पंखो तालव्य वि० तालुस्थानी तालापचर, तालावचर पुं० नर्तक; नट तालिक पुं० हाथनो खुल्लो पंजो (२) ताळी (३) ग्रंथ के हस्तप्रत बांधवानुं ढांकण ताली स्त्री० एक जातनोताड (२)ताळी तालीपट्ट न० एक जातनुं कर्णभूषण तालीवन न० ताडनुं वन तालु न० ताळवू तालुस्थान वि० ताळवाना प्रदेशने लगतुं - त्यांथी उच्चारातुं तावक, तावकीन वि० तारुं तावत् वि० तेटलं; तेटलं मोटुं; तेटलुं वधारे (२) तमाम; समूचुं (३) थोडंक; जरा (४) अ० प्रथम; पहेलां (५). दरम्यान; त्यां सुधी (६) हमणां ज; तरत ज (७) 'ज' (भार बताववा) (८) खरेखर; नक्की (९) सर्वथा; संपूर्णपणे तावत्कृत्वस् अ० तेटली वार (गणतरी) तावत्फल वि० एवा फळवाळं तावन्मात्रम् अ० तेटलं ज । तावन्मात्रे अ० तेटला. स्थळे तांडव पुं०, न० नृत्य; नर्तन (२) शंकरर्नु भयंकर नृत्य (३) नृत्यकळा तांडवित वि० नचावेलं; नाचतुं (२) जोसथी नाचतां चक्राकारे फरतुं तांत ('तम्'- भू००) वि० थाकेलं (२) पीडित (३) करमाई गयेलं तांतव वि० तंतु - तांतणानुं बनेलं (२) न० कांतवूते; वणवू ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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