SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 191
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जघन्यज १७७ जनित्री जघन्यज पुं० नानो भाई (२) शूद्र जनक वि० उत्पन्न करनारु (२) पुं० जटा स्त्री० बावाओ माथे राखे छे ते के पिता (३) विदेह - मिथिलाना राजा तेवू केशनुं झूड (२) वडवाई जेवू मूळ -सीताना पिता जटाजूट पुं० जटानो जूडो । जनकतनया, जनकनंदिनी, जनकसुता, जटाधर वि० जटा धारण करनारु (२) जनकात्मजा स्त्री० जनकपुत्री सीता पुं० शंकर (३) तपस्वी जनचक्षुस् न० सूर्य जटामंडल न० जटानो जूडो जनता स्त्री० जन्म (२) जनसमाज जटामौलि पुं० जटानो मुगट जनन वि० उत्पादक (२) न० जन्म; जटाल वि० जटावाळु; जटाधारी (२) उत्पत्ति (३) उत्पन्न करवू ते जटानी पेठे गूंथायेखें जननी स्त्री० माता जटि स्त्री० जटा (२)वड (३) समूह जनपद पुं० जाति ; प्रजा (२) देश; जटिन् पुं० शंकर (२) पीपळो प्रदेश; राज्य (३) (पुर - नगरथी जटिल वि० जटाधारी; जटावाळं (२) ऊलटुं) गामडानो भाग; देश अटपटुं; गूंचवायेलु (३)पुं० शिव (४) जनप्रवाद पुं० अफवा; लोकोक्ति जनयितृ वि० उत्पन्न करनारुं (२) पुं० जटी स्त्री० जुओ 'जटि' पिता (३) ब्रह्मा जठर वि० कठण (२) घरडु; वृद्ध (३) जनयिष्णु पुं० उत्पन्न करनार बांधेलं (४) पुं०, न० पेट; उदर (५) जनलोक पु० सात लोकमांनो पांचमो गर्भाशय (६) बखोल ; अंदरनो भाग जनवाद पुं०, जनश्रुति स्त्री० अफवा; जठराग्नि पुं० खाधेलं पचावनारो लोकोक्ति (२) आळ ; कलंक जठरनो अग्नि - जठरनी शक्ति जनसंबाध वि० लोकोनी भीडवाळं। जड वि० ठंडु; अकडाई गयेलं (२) जनस्थान न० दंडकारण्यनो एक भाग निश्चल ; स्तब्ध (३) मूर्ख; ठोठ जनंगम पुं० चांडाल । जडता स्त्री०, जडत्व न० आळस ; काम जना स्त्री० जन्म ; उत्पत्ति तिवं करवानो अणगमो (२) मूर्खपणुं; जनाकीर्ण वि० लोको टोळे वळ्या होय बेवकूफाई (३) मूर्छा; बेभानपणु जनातिग वि० असामान्य'; अलौकिक जडिमन् पुं० जडता; ठंडापणुं (२) जनाधिप पुं० राजा मूर्खता; बेवकूफाई (३) मूर्छा जनार्णव पुं० मोटो जनसमुदाय ; काफलो जडीकृ ८ उ० जड, हिलचाल विनानुं जनार्दन पुं० विष्णु ; कृष्ण के मूछित बनावी देवू जनांत पु० निर्जन स्थान (२) प्रदेश जतु न० लाख (२) अळतो (३) यम (४) संमुखता; सान्निध्य जतुगह न० लाख वगेरेनुं बनावेलुं घर जनांतिकम् अ० बीजा न सांभळे तेम; (पांडवोने सळगावी मूकवा) एक बाजुए (नाटकमां) जत्रु न० हांसडीनुं हाडकुं; हांसडी । जनि स्त्री० जन्म ; उत्पत्ति (२)माता जन् ४ आ० [जायते ] जन्म; उत्पन्न जनित वि० जन्मेल (२) जन्म आपेलं थएँ (२) ऊगg; फूटवू (३) बनवू (३) बनेलं; थयेलं जन पुं० प्राणी; मनुष्य ; व्यक्ति (स्त्री जनित पुं० पिता के पुरुष) (२) लोको; जनसमुदाय जनित्री स्त्री० माता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy