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________________ अजया अप्रेसरः मप्रेसर वि. आगळ जनार (२) पुं० आगेवान; नेता अग्न्य वि० सौथी आगळy (२)प्रथम; श्रेष्ठ (३) पुं० मोटो भाई अध वि० पापी;दुष्ट(२)न० पाप; दुष्कर्म (३)दुःख; संकट (४) सूतक; अशीच अघनाशन वि० पापनो नाश करनारं अघमर्षण न० पापनाशक सूक्त -मंत्र अधर्म वि० ठंड; शीतळ अघायु वि० पापी जीवन गाळनाएं अघासुर पुं० एक राक्षसनुं नाम-बक राक्षसनो भाई अघोर वि० भयंकर नहीं तेवू (२)पुं० शिव (३) शिवनो भक्त अघोष वि० अवाज वगरनु; शांत (२) कठोर उच्चारवाळ (३) पुं० वर्णमाळामां मुख्य पांच उच्चारस्थानोना पहेला बे वर्णो तथा श्, ष, स्-एम तेरमांनो प्रत्येक बळद अघ्न्य वि० नहि मारवा योग्य (२) पुं० अध्न्या स्त्री० गाय मिद्य अघ्रय वि० न संघवा लायक (२) न० अच पुं०संस्कृत व्याकरणमां स्वरनं नाम अचक्षुस् वि० आंधळं; आंख वगरनुं; अंध (२)न० बगडेली आंख अचर वि० स्थिर; स्थावर अचरम वि० छेल्लुं नहि तेवं; वचलुइ० अचल वि० स्थिर; निश्चल; कायमनुं (२)पुं० पर्वत (३) शंकु;खीलो (४) 'सातनी संख्या अचलपति पुं०हिमालय पर्वत; मेरु पर्वत अचला स्त्री० पृथ्वी अचलाधिप पुं० हिमालय पर्वत अचित्त वि० अतळ ; अचिंत्य (२) समजण वगरनु; जड़; मूर्ख अचिर वि० अल्पजीवी; क्षणिक (२) हमणांनु; तरतर्नु [स्त्री० वीजळी अधिरघुति, अधिरप्रभा, अचिरमास अचिरम्, अचिरस्य, अचिरात, अधिराय, मचिरेण अ० बहु पहेलां नहि तेम; हमणां; तरत; जलदी अचितनीय वि० चितवी न शकाय तेवू; विचारमा न आवे तेवू अचितित वि० ओचितुं अचित्य वि० जुओ 'अचिंतनीय' अचेतन वि० चेतन वगरनुं निर्जीव (२) भान विनानु; बेशुद्ध [चित्त वगरनुं अचेतस् वि० चेतन वगरनु; अचेतन(२) अचेष्ट वि० चेष्टारहित; क्रियारहित अच्छ वि० स्वच्छ; निर्मळ; शुद्ध (२) पुं० रीछ (३) स्फटिक अच्छंदस् वि. वेद भणी न शके तेवू - यज्ञोपवीत-रहित (२) वेदाध्ययन माटे अनधिकारी (३) गद्यात्मक अच्छिद्र वि० दोष वगरनुं (२) काणा वगर, (३) न० दोषरहित कार्य (४) दोषनो अभाव अच्छिन्न वि० अखंड अच्छेद्य वि० टुकड़ा न करी शकाय तेवू अच्छोद न० हिमालयना एक सरोवरनुं नाम अच्छोदन् वि० स्वच्छ पाणीवाळ अच्युत वि० च्युत न थाय तेवू (२) अविनाशी (३) पुं० विष्णु (४) कृष्ण अज वि० नहि जन्मेलं; अनादि; सनातन (२) पुं० परमात्मा; विष्णु; शंकर; ब्रह्मा (३) जीवात्मा (४) चन्द्र (५) कामदेव (६) बकरो अजगर पुं० एक मोटो साप अजन्मन् वि० जन्म विनानु; शाश्वत (२) पुं० मोक्ष अजपा स्त्री० वगर प्रयले - श्वासोच्छ्वासथी थतो जाप (हंस) अजपाल पुं० भरवाड अजय वि० अजेय (२) पुं० पराजय अजया स्त्री० भाग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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