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________________ चैत्यपाल १७४ छदिस् चैत्यपाल पुं० चैत्यनो रखेवाळ चोल पुं०, चोली स्त्री० चोळी; कबजो चैत्यमुख पुं० यतिनुं कमंडलु (२) पग सुधी पहोंचे तेवू वस्त्र चैत्यवृक्ष पुं० पूजाने स्थाने ऊगेलो पीपळो चोष्य वि० चूसवा योग्य (२) न० चैत्र पुं० ते नामनो मास __ चूसवानो पदार्थ चैत्ररथ न० कुबेरनु उपवन चौक्ष वि० जुओ 'चोक्ष' चैत्रसख पुं० कामदेव चौर पुं० जओ 'चोर' राखq ते चैद्य पुं० चेदिराज ; शिशुपाळ चौर्य न० चोरी; लूट (२)गुप्तता; गुप्त चैल न० वस्त्र; कपडु चौल न० चूडाकर्म चोक्ष वि० शुद्ध; स्वच्छ (२) प्रमाणिक च्यवन न० च्युत थवं ते (३) सुंदर; देखावडु (४) कुशळ च्यादन वि० च्युत करना; (२) न चोच न० तज (२)छाल (३) चामडु काही मूक ते; पदच्युत करवु ते । चोदना स्त्री० प्रेरवं-मोकल-धकेल :- च्यु १ आ० नीचे पडी जवू; च्युत थर्बु हांक, ते (२)विधि; आज्ञा (२)वहार नीकळवं-झरवु-टाकवू चोदित ('चुद्'- भू०कृ०)वि० प्रेरेलं; (नळवं; खसी जवू;च्युत थर्बु (४) मोकलेलं; आज्ञा करेलुं (२) दलील लर थ; अदृश्य थर्बु तरीके रजू करेलु च्युत् १५० टपकवू; झर (२) सरी चोद्य वि० प्रेरवा योग्य : मोकलवा योग्य पडg; नीकळी पडवू (२) उल्लेखवा योग्य (३) न० प्रश्न च्युत ('च्यु' भू० कृ) वि० पडी गोमु; शंका (४) आश्चर्य च्यवेलुं (२) नष्ट (३) भट (४) चोर पु० चोरी करनार, चोरी जनार खोवायेखें चोरिका स्त्री० चोरी; लूट च्युति स्त्री० च्यवq ने रात थर्बु ते (२) चोरिकाविवाह पुं० गुप्त लग्न झरतुं ते; टपकचं ते (३) अदृश्य थQ चोरित वि० चोरेलु (२) न० चोरी ते; नाश (४) -विनाना थर्बु ते छग. छगल पुं० बकरो छटा स्त्री० समुदाय;पंक्ति; परंपरा (२) तेजपुंज; तेजनो चमकार [छत्तर छत्र पुं० बिलाडीनो टोप (२) न० छत्री; छत्रघर, छत्रधार पुं० छत्र धारण करनार छत्रपति पुं० सम्राट ; चक्रवर्ती राजा छत्रिका स्त्री० नानुं छत्र (२) बिलाडीनो टोप [(२) पुं० हजाम छत्रिन वि० छत्रवाळू छत्र धारण करनारं छत्वर पुं० घर (२) लतामंडप छद् १, १० उ० ढांकवु (२)ओढवू (३) संताडवू छव पुं०, छदन न० ढांकण ; आच्छादन (२) पांख (३) पांदडु (४) म्यान छदि स्त्री०, छदिस् न० छापरुं के छाज छान् न० वेष ; स्वांग (२)बहानुं (३) कपट; युक्ति (४) घरनुं छापरुं छारूपेण अ० वेश धरीने ; छूपे वेशे छपिन् वि० कपटी; ढोंगी (२) (समासने __ अंते)-नो वेश लेनाएं छन्न ('छद्'- भू० कृ०)वि० ढंकायेखें; __ ढांकेलं (२) छुपावेल (३) खानगी छर्द पुं०, छर्दन न०,छर्दि,छर्दिका,छर्दिस् स्त्री० ऊलटी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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