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________________ गवांपति गवांपति पुं० गोवाळ (२) सांढ (३) अग्नि ( ४ ) सूर्य गवेषु १ आ०, १० प० शोधवं; शोध करवी ( २ ) अत्यंत इच्छा करवी; प्राप्त करवा प्रयत्न करवो गवेष वि० शोधतुं (२) पुं० शोध गवेषण न०, गवेषणा स्त्री० शोध; तपास गवेषित वि० शोधेलं; तपास करायेलुं गवोद्ध पुं० उत्तम गाय अथवा सांढ गव्य वि० गायनुं; गाय संबंधी ( २ ) गायमाथी उत्पन्न ययेलुं (दूध, छाण इ० ) ( ३ ) गायने योग्य - हितकर ( ४ ) न० गायनुं धण; गोसमूह ( ५ ) दूध ( ६ ) गोचर जमीन (७) गोरोचन ( ८ ) धनुष्यनी पणछ - दोरी गव्यूत न०, गव्यूति स्त्री० बे कोश जेटलं अंतर (२) गोचर; चरो गहन वि० गाढुं; ऊंडु (२) दुर्गम (३) दुर्बोध; कठिन ( ४ ) गंभीर ; भव्य (५) न० दुर्गम जंगल गह्वर वि० ऊंड; दुर्गम (२) मनमां गूंचवायेलुं (३) न० ऊंडो खाडो (४) जंगल; झाडी (५) गुफा (६) दुर्गम स्थान (७) समस्या ; कोयडो ( ८ ) पुं० निकुंज; लतामंडप हरित वि० विचारमां खोवाई गयेलुं (२) संतायेलं; छुपायेलुं गंगा स्त्री० गंगानदी गंगाज पुं० भीष्म (२) कार्तिकेय गंगाद्वार न० हरिद्वार गंगापुत्र पुं० भीष्म (२) कार्तिकेय गंगावतार पुं० गंगानुं स्वर्गमांथी पृथ्वी पर आव [ति स्थान गंगासागर पुं० गंगा ज्यां समुद्रने मळे छे गंगासुत पुं० भीष्म (२) कार्तिकेय गंगोद्भेद पुं० गंगानुं मूळ गंगोल पुं० एक मणि ( गोमेद ) गंज पुं०, न० खजानो; भंडार; कोठार (२) दाणापीठ Jain Education International गंधर्व गंजन वि० चडियातुं (२) विजयी गंड पुं० गाल (२) हाथीनो गंडस्थळ (३) गूमडुं ( ४ ) गेंडो (५) गांठ गंडक पुं० गेंडो (२) गांठ ( ३ ) गूमडुं (४) अंतराय; विघ्न [ नाम ( २ ) गेंडी गंडकी स्त्री० उत्तर हिंदनी एक नदीनुं गंडग्राम पुं० मोटुं गाम गंडभित्ति स्त्री० भींत जेवो पहोलो गाल (२) हाथीनो मद झरे छे ते भाग गंडभेद पुं० चोर गंडमाल पुं०, गंडमाला स्त्री० गळानी गांठ उपर सोजो आववो ते गंडल पुं० भूकंप वगेरेथी गबडी गयेलो मोटो पथ्थर [कुंभस्थळ गंडस्थल न० हाथीना लमणानो भाग; गंडीर पुं० शूरवीर ( २ ) पहेलवान (३) बीजाने बचाववा माटे लडनार गंड पुं०, स्त्री०, गंडू स्त्री० ओज़ीकुं; तकियो (२) गांठ (३) सांधो गंडूष पुं० कोळो (२) खोबो ( पाणीनो) isोपधान न० गालमसूरियुं गंतव्य वि० जवा लायक; जवा माटेनुं गंत्री स्त्री० बळदगाडी गंध पुं० सोड; वास (२) सुवास (३) सुगंधी पदार्थ ( ४ ) गंधक (५) गर्व ; अभिमान (६) चंदननो लेप ( ७ ) संबंध; सगाई (८) पाडोशी (९) सरखापणुं (१०) (समासमा ) ' बहु ओछु' - एवो अर्थं बतावे (उदा० 'घृतगंधि') (११) न० सोडम; वास ( १२ ) अगरु गंधक पुं० एक खनिज पदार्थ गंधकाली स्त्री० व्यासमाता - सत्यवती गंधगज, गंधद्विप पुं० उत्तम जातिनो हाथी गंधन न० सतत प्रयत्न; खंत ( २ ) हिंसा; वध (३) प्रगट करं ते; सूचन गंधर्व पुं० देवोनो गवैयो; एक देवजाति (२) गायक (३) घोडो (४) मूआ पछीनी अने जन्म्या अगाउनी जीवनी स्थिति १५४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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