SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 152
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३८ कृतनामषेय कूटागार न० उपरनी मेडी कृफवाकु पुं० कूकडो कूणित वि० मींचेलं (२) संकोचेलु कृच्छ वि० कष्टसाध्य (२) दुःखद; कूप पुं० कूवो (२) पोलाण; खाडो कष्टकारक (३) दुष्ट ; अनिष्ट (४) कूपदंड पुं० कूवाथंभ (वहाणनो) कष्टकारक दशामां आवी पडेलु (५) कूपमंडूक पुं० कूवामांनो देडको (२) पुं०, न० संकट ; पीडा; मुश्केली (६) बिनअनुभवी माणस (ला.) उपवासादि शारीरिक कष्ट ; तप कृपयंत्रघटिका स्त्री० रेंट कृच्छम,कृच्छात्,कृच्छग अ० मुश्केलीथी कूपार पुं० महासागर कृत् ६५० [कृतति] काप कूपिका स्त्री० नदी वच्चेनो खडक कृत् वि० (समासने अंते) करनाएं कबर पुं०, न०, कबरी स्त्री० गाडानो (उदा० पापकृत्') (२)पुं० धातुमाथी घोरियो .. नाम, विशेषण आदि बनाववा वपरातो कूर पुं०, न० भात (रांधेलो) | प्रत्यय (व्या०) (३)ए प्रत्यय लागीने कूर्च पुं०, न० दाढी (वाळ) (२) चूंटी . बनतो शब्द (व्या०) (३)कुचडो; पीछी; झूडो कृत ('कृ'न भू० कृ०) वि० करेलु; कूई १ उ० कूदq (२) खेलकुं आचरेलु (२) बनावेलु; रचेल (३) कूर्दन न० कूदq ते (२)खेल हणायेल (४) मेळवेलु;खरीदेखें (५) कर्पर पुं० कोणी (२)ढींचण नीमेल (६) न० कार्य; कर्म; करेलु ते कूर्पास, कूसिक पुं० चोळी ; कांचळी (७) उपकार; सेवा; लाभ (८) कूर्म पुं० काचबो सत्ययुग (१७२८००० वर्षनो) (९) कूल न० किनारो; तीर; तट चार चिह्नवाळी पासानी बाजु कूलमुव्रज वि० किनारोतोंडी नाखनाएं कृतक वि० बनावेल ('नैसगिक'थीऊलट) (नदी, हाथी इ०) नाखनाएं (२)दत्तक लीधेलं (३) ढोंगथी करेलं; कूलमुबह, कलंकष वि० किनारो धोई देखाव पूरतुं कूलंकषा स्त्री० नदी [(२)चतुर; कुशळ कूष्मांड पुं० कोळं कृतकर्मन् वि० जेनु कार्य पूर्ण थयु छ तेवू कृतकाम वि० जेनी कामनाओ पूर्ण थई कृ० ८ उ० करवं; काम करवू (२) बनावq (३) रचवू; बांधवू; तैयार छे तेवू ; परितृप्त कर (४) गोठवq (५) उत्पन्न कर, कृतकृत्य वि० पोताचं कार्य - पोतानी (घडो; अवाज) (६) कहे; वर्णन फरज पूरी करी चूक्यु होय तेवु (२)तेना करवु (७) परिणाम लावq (८)अमल संतोषवाळं जेने तक मळी छे तेवं करवो; आचर, (९)त्यागq; काढवू कृतक्षण वि० अधीराईथी राह जोतुं (२) कृतघ्न वि० बीजाए करेलो उपकार (मळ-मूत्र) (१०)धारण करवू (११) मूक ; राखq (१२) नीम, (१३) भूली जाय तेवं रांधh; पाक करवो (१४) गणवं; कृतज्ञ वि० सामाना उपकारनी कदर मानवू (उदा० 'तृणीकृत') (१५) करनारु (२)साचुं कर्तव्य जाणनारुं वितावq; पसार करवु (समय) (१६) कृतषी वि० संस्कारेली बुद्धिवाळू (२) -तरफ वळवू ; निश्चय करवो (उदा० बुद्धिशाळी; शाणुं; विचारवंत 'मति करोति') (१७) उपयोगमा आवदूं कृतनामधेय वि० नामवाळु; -ना नामे कु० ५ उ० ईजा करवी; मारी नाखवू ओळखातुं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy