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________________ अ० अव्यय ( क्रियाविशेषण इ० ) अ० क्रि० अकर्मक क्रियापद आ० आत्मनेपदी धातु इच्छा० इच्छादर्शक रूप उ० परस्मैपदी तेम ज आत्मनेपदी - एम उभयपदी धातु उदा० उदाहरण तरीके, जेम के कर्मणि० कर्मणि रूपमा अर्थ गणित गणितशास्त्रनो शब्द ज्यो० ज्योतिषशास्त्रनो शब्द द्वि० व० द्विवचन न० नपुंसक लिंग नाट्य० नाट्यशास्त्रनो शब्द न्या० न्यायदर्शननो शब्द प० परस्मैपदी धातु पुं० पुंलिंग प्रेरक० प्रेरक रूपमा अर्थ ब० व० बहुवचन बौद्ध० बौद्ध ग्रंथोनो शब्द भू० कृ० भूतकृदंत ( कर्मणि ) संकेतोनी समज Jain Education International १२ योग० योगदर्शननो शब्द ला० लाक्षणिक अर्थ व० कृ० वर्तमान कृदंत वि० विशेषण वि० [स्त्री० विशेषण स्त्रीलिंग वेदान्त० वेदांतदर्शननो शब्द व्या० व्याकरणशास्त्रानो शब्द स० ना० सर्वनाम ( ते विशेषण पण गणाय एटले साथ वि: पण मूक्युं छे ) . ० संगीत संगीतशास्त्रनो शब्द सांख्य० सांख्यदर्शननो शब्द स्त्री० स्त्रीलिंग - अक्षरनी आगळनी आ निशानी ते अक्षरनो विकल्प दर्शावे छे, जेम के तुंब (बी) एटले तुंब अने तुंबी बने समजवानां छे. १-२-३-४-५-६-७-८-९-१० धातुना अर्थनी शरूआतमां मूकेला आ आंकडा ते या गणनो छे ते दर्शावे छे. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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