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________________ उपरितन १०५ उपसदन उपरितन वि० उपरखें; वधु उपरनु उपविष्ट वि० बेठेलु (२)आवी पहोंचेलं उपरिष्टात अ० उपर; ऊंचे; पछी; (३) -मां लागेलं - मंडेलु। पछीथी ; पाछळथी; आगळ उपर उपवीत न० यज्ञोपवीत - जनोई (२) उपरिष्ठ वि० उपर रहेल यज्ञोपवीत आपवानी धार्मिक क्रिया उपरुष ७ उ० अटकाव; हरकत करवी उपवृंहण न० जुओ 'उपबृंहण' । (२) घेरो घालवो (३) त्रास आपवो उपवेद पुं० गौण वेद (आयुर्वेद, धनुर्वेद, (४) केद कर (५) छुपावq गांधर्ववेद, स्थापत्यवेद) उपरोध पुं० रुकावट; प्रतिबंध; विघ्न उपवेश पुं०, उपवेशन न० बेसबुं ते (२) (२) घेरवं ते (३) त्रास ; पीडा -मां लागq ते (३) मूकवू ते (४)ताबे उपल पुं० पथ्थर; खडक (२) रत्न । थq ते उपलभ १० प० तपासवू ; जोवू (२) उपशम पुं० शांत पडवू-विराम लेवो लक्षमा लेवू; विचार (३) आंकवू; ते; शमवू ते (२)शांति ; निवृत्ति (३) निशानी करवी इंद्रियनिग्रह उपलक्षण न० निहाळवू ते; जोवू ते (२) उपशमन न० शांति ; निवारण ; शमन चिह्न ; विशेष लक्षण उपशय पुं० नजीक सूवं ते (२) उपलब्ध वि० मळेलु; मेळवेलं (२) संतावानुं स्थान ; भराई रहेवानी जगा जाणेलं; समजेल जान _ (शिकारीनी) (३) रोगनुं शमन उपलब्धि स्त्री० प्राप्ति; लाभ (२)बोध; उपशल्य न० गामनी भागोळ उपलभ् १ आ० जोवू; जाणवू (२) उपशांति स्त्री० शांत थवं ते; शांत प्राप्त करवं; मेळवद् पाडवं ते (२) निवृत्त थर्बु ते उपलल १०प० लाड लडाववां उपश्रुत वि० सांभळेलु (२) स्वीकारेलुं; उपलंभ पुं० प्राप्ति (२) बोध ; अनुभव वचन आपेलं (३)जाणवू ते;खातरी करवी ते (४) उपश्रुति स्त्री० सांभळवू -कान मांडवा जोवू ते ; दर्शन खरडावं ते (२) ज्यां सुधीनुं संभळाय ते अंतर(३) उपलिप् ६ प० लेप करवो (२)लेपाईं; एक अलौकिक वाणी; वनदेवतानी उपलेप पुं० लेप करवो ते (२) लीपवं भविष्यसूचक वाणी (४) वचन; ते; लीपण स्वीकारनुं वचन उपवन न० बगीचो; वाडी उपश्लिष् ४५० आलिंगवु (२) नजीक उपवर्तन न० प्रदेश (२) राज्य (३) जवं- पहोंचवू व्यायामशाळा (४) भेजवाळी जगा -प्रेरक० नजीक स्थापq - राख उपवास पुं० व्रत के नियम तरीके न खाएं उपश्लिष्ट वि० नजीकर्नु; नजीक मूकेलु ते (इंद्रियभोगमात्रनो त्याग करवो ते) उपश्लोकयति (श्लोक बडे स्तुति करवी) उपवाहन न० नजीक लावधू के लई उपष्टंभ पुं० टेको; आधार; उत्तेजन जवू ते उपसक्त वि० आसक्त उपवाह्य पुं०, उपवाह्या स्त्री० राजानो उपसद् १५० [उपसीदति पासे बेसवं हाथी (नर के मादा) (२) राजानुं वाहन (२) सेवा करवी (३) (मेळववा) उपविश् ६ प० वेसवू; नीचे बेसवु (२) प्रयत्न करवो (४) हमलो करवो पडाव नाखवो (३) आथम उपसदन न० नजीक आववं के जq ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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