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________________ उपधा १०३ उपपन्न (२) मोकलवू; उत्पन्न करवू (३) सोंपवू पहोंचाडवू- लई जq (४) सिद्ध कर; (काम के अधिकार) (४) छेतर पेदा करवू (५) यज्ञोपवीत आपवू उपधा स्त्री० उपर स्थापq ते (२)छळ; उपनीत वि० पासे लवायेलु (२)जनोई कपट; यक्ति; उपाय (३) परीक्षा दीधेलु (३) जाणेलु (४) मेळवेलु (५) उपधान न० समीप मकवू ते (२) ओशीकुं बक्षिस करायेलं (३) विशेषता; श्रेष्ठता (४)प्रणय;प्रेम उपनुन्न वि० हंकायेलं; धकेलायेलु उपधाव १ उ० –नी तरफ दोडवू (२) उपनेत वि० पासे लई जना के लावनाएं मदद लेवा माटे दोडवू (२) पुं० यज्ञोपवीत आपनार आचार्य उपधि स्त्री० छळ ; कपट उपनेत्र न० चश्मां उपध्मानीय पुं० 'प्' अने 'फ्' नी वच्चे उपन्यस ४ प० नजीक - उपर-नीचे आवतो महाप्राण विसर्ग (व्या०) मूकवू (२) अनामत मूकवू; सोंपवू उपनगर न० मुख्य नगरनु परुं; 'सबर्ब'. (३) रजू करवू; सूचव; दर्शाववू उपनम् १५० आवी पडवू ; वळवू (२) (४) समजाववं; वर्णन करवू बनवू; घटवू उपन्यस्त वि० पासे लवायेलं; मकायेलं उपनत वि० नजीक आवेलं;प्राप्त थयेलं; (२) कहेवायेलं; रजू थयेल; सूचवायेलु आवी पडेलं (२)बनेलं:थयेल (३) रज (३) थापण तरीके सोंपायेलं करेलं; अलु (४)ताबे थयेलु, नमेलु उपन्यास पुं० नजीक मूकवू ते (२) उपनति स्त्री० नमन (२) नजीक पहोंचर्चा थापण; गीरो (३) सूचन; कथन (४) ते (३) वलण प्रस्तावना ; रजूआत (५) समाधान उपनद्ध वि० मढेलं; ढांकेलं उपपति पुं० यार उपनयन न० नजीक लई जवं - लाववं ते उपपत्ति स्त्री० उत्पत्ति; जन्म (२) (२) अर्पq ते (३) यज्ञोपवीत आपq ते । कारण; हेतु (३)तर्क ; दलील; युक्ति उपनिषा ३ उ० नजीक मूक-लई जर्बु (४) पुरावो; प्रमाण (५) उपाय ; (२) अर्पवु; सोंपवू (३) उत्पन्न करवू इलाज ; साधन (६)औचित्य' ; योग्यता उपनिपातिन वि० अचानक आवी पडतुं (७) अंत (८) संबंध (९) स्वीकार उपनिबद्ध वि० लखेल; रचेलुं (२) चर्चेलं (१०)सिद्धि ; प्राप्ति (११) अणधार्यु उपनिर्झर पुं० हमलो - अकस्मात एवं ते उपनिविष्ट वि० रहेवास करीने रहेल उपपद् ४ आ० पासे जq; पासे आवर्बु (२) घेरो नाखेलं 'कॉलोनी' (२)प्राप्त करवु (३) बनवू; थq (४) उपनिवेश वि० संस्थान; वसाहतं; संभवित होवू (५) छाजवू; शोभवू उपनिषद् स्त्री वेदनी अंतर्गत गणातो, (६) हुमलो करवो (७) रजू करवू तेना गूढ अर्थाने स्पष्ट करतो, तथा उपपद न० पूर्वे बोलायेलो के आगळ ब्रह्मविद्यानुं प्रतिपादन करतो तात्त्विक मुकायेलो शब्द (२) समासनो पहेलो ग्रंथ (२) गूढ रहस्य ; गूढ विद्या (३) शब्द (३) उपाधि; अटक ब्रह्मज्ञान उपपन्न वि० मेळवेलु ; प्राप्त करेलु (२) उपनिहित वि. नजीक मूकेलु (२)वक्षेलं -नी साथे आवेलुं - रहेलं (३)योग्य; उपनी १५० पासे लई जवू ; पासे लावQ सुसंगत (४) साबित - सिद्ध थयेलं (२) अर्पण करवु (३) -नी स्थितिए (५) संभवित; शक्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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