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________________ उत्तट उत्तट वि० किनारा उपर थईने वहेतुं उत्तप् (उद् + तप्) १५० तपावq (२) संताप, [थयेल (३)संतापेलं उत्तप्त वि० तपावेलु ; तपेलु (२) गुस्से उत्तम् ४ प० चिंतातुर थq; व्याकुळ थएँ; संताप पामवो उत्तम वि० श्रेष्ठ (२) मुख्य (३)प्रथम उत्तमर्ण पुं० लेणदार उत्तमांग न० शरीरनुं मुख्य अंग - माथु उत्तर वि० उत्तर दिशान (२) उपरन - ऊंचु (३)श्रेष्ठ; मुख्य (४) (समयना क्रममां) पछी, (५) भविष्य-; अंतन (६) अधिक; वधारे (७) चडियातुं;-थी पर;-थी बहार (८) डाबु (९) युक्त; सहित; -नुं मुख्यत्वे बनेलु ; अनुसरातुं (१०) पुं० भावि परिणाम ; भविष्यकाळ (११) न० उत्तर; जवाब (१२)बाकीनुं - शेष ते (१३) आच्छादन (१४) उत्तर दिशा (१५)श्रेष्ठता; चडियातापणु (१६) परिणाम (१७) आधिक्य उत्तरकाय पुं० शरीरनो उपरनो भाग उत्तरकाल वि० भविष्य- (२) पुं० भविष्यनो समय क्रिया उत्तरक्रिया स्त्री० मरण पछीनी अंतिम उत्तरत्र अ० पछीथी; आगळ (२) बीजी बाजु ('पूर्वत्र' थी ऊलटुं) (३) उत्तर तरफ तेवं; उद्धत उत्तरदायक वि० सामो जवाब आपे उत्तरपक्ष पुं० उत्तर अथवा डाबी बाजु (२) कृष्णपक्ष (३) वादमां पछीनोजवाबरूप भाग ('पूर्वपक्ष'थी ऊलटुं) उत्तरपथ पुं० जुओ 'उत्तरापथ' उत्तरपश्चिमा स्त्री० वायव्य खूणो उत्तरपूर्वा स्त्री० ईशान खुणो उत्तरम् अ० उपर (२) पछी उत्तरमीमांसा स्त्री० वेदांतदर्शन (पूर्वमीमांसा पछी-) THARTH उत्तार उत्तरवयस् न० वृद्धावस्था; घडपण उत्तरंग वि० ऊछळतां मोजांवाळू (२) ऊछळतुं उत्तरंगि वि० हांफतं [वारसो उत्तराधिकार पुं० वारस तरीकेनो हक; उत्तरापथ पुं० उत्तरनो मार्ग, दिशा के प्रदेश राशिषट्कमा जq ते उत्तरायण न० सूर्यनुं उत्तर तरफना उत्तरार्ध पुं०, न० शरीरनो उपरनो अर्ध भाग (२) ग्रंथनो पाछलो अर्ध भाग उत्तरासंग पुं० उत्तरीय वस्त्र उत्तराहि अ० उत्तरे; उत्तर बाजुए उत्तरीय, उत्तरीयक न० उपर ओढवानु वस्त्र उत्तरेण अ० उत्तर तरफ; उत्तरे उत्तरेधुस् अ० बीजे दिवसे; पछीने दिवसे उत्तरोत्तर वि० अधिकाधिक; वधु ने वधु; हमेश वधतुं जतु (२) न० प्रत्युत्तर उत्तरोत्तरम् अ० वधारे ने वधारे (२) सतत उत्तंभ (उद्+स्तंभ्) ५, ९, प० टेको आपवो -प्रेरक० वधारवं (२) उश्केर, उत्तंभ, पुं०, उत्तंभन न० टेको आपबो ते (२) आधार उत्तंस पु० घरेणुं (२) शिरोभूषण; कलगी (३) कर्णभूषण [करेल उत्तंसित वि० शिरोभूषण तरीके धारण उत्तान वि० विस्तृत; पहोळं करेलु (२) मों ऊंचं रहे तेम - चत्तुं - पीठ उपर सूतेलु (३) उघाडेलं ; ऊंचु करेलु (४) खुल्लु; संकोच विनानुं (५) छीछरुं उत्तानहृदय वि० खुल्ला हृदयवाळं उत्ताप पुं० खूब गरमी (२) संताप; त्रास (३) जुस्सो (४) गुस्सो (५) चिंता उत्तार पुं० उपर थईने लई जq ते (२) पार करवं ते (३) किनारे ऊतरवू ते (४) बचाव ते (५) –थी अळगा थQ - छूटq ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016092
Book TitleVinit Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopaldas Jivabhai Patel
PublisherGujarat Vidyapith Ahmedabad
Publication Year1992
Total Pages724
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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