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________________ जैन पारिभाषिक शब्दकोश/भूमिका प्रस्तुत कोश से पूर्व आगमों पर आधारित अनेक कोशों का निर्माण किया जा चुका है। आगमों पर आधारित कोश-साहित्य१. एकार्थक कोश२४ २. निरुक्त कोश२५ ३. देशीशब्द कोशः ४. आगम वनस्पति कोश ५. आगम प्राणी कोश ६. आगम वाद्य कोश ७. आगम शब्दकोश ८. श्री भिक्षु आगम विषय कोश खण्ड-१ ९. श्री भिक्षु आगम विषय कोश खण्ड-२ जैन पारिभाषिक कोश की अपेक्षा आचार्य तुलसी के वाचनाप्रमुखत्व में हमने उज्जैन में विक्रम संवत् २०१२ को आगम-सम्पादन का कार्य शुरू किया। सम्पादन के साथ आगमों के विषयीकरण की कल्पना की गई। इस कार्य का दायित्व मोहनलालजी बांठिया ने लिया। वह कार्य कोलकाता में श्रीचंद चोरड़िया के द्वारा सम्पादित हो रहा है। आगमों के अध्ययन का क्षेत्र बढ़ा और उनके अंग्रेजी अनुवाद की अपेक्षा हुई। प्रोफेसर नथमल टाटिया और मुनि महेन्द्रकुमारजी ने आगमों के अंग्रेजी अनुवाद का कार्य शुरू किया। उस कार्य में पारिभाषिक शब्दों के अनुवाद की समस्या रही पर दोनों ही जैन दर्शन के अध्येता रहे इसलिए समस्या का समाधान होता गया। जैन आगम तथा जैन साहित्य का अंग्रेजी अनुवाद जैन तत्त्व विद्या और जैन दर्शन को न जानने वाले विद्वानों से कराने का प्रसंग आया। उस समय पारिभाषिक शब्दों के अनुवाद की समस्या उभर कर सामने आई। विक्रम संवत् २०५३ (सन् १९९६), जैन विश्व भारती, लाडनूं में गुरुदेव तुलसी का चातुर्मासिक प्रवास। मैं, प्रोफेसर टाटिया और साध्वी विश्रुतविभा-हम सब गुरुदेव की सन्निधि में बैठे। चिन्तन के पश्चात् जैन पारिभाषिक शब्दकोश को अंग्रेजी भाषा में तैयार करने का निर्णय लिया गया। चिंतन, निर्णय और क्रियान्विति-यह गुरुदेव की कार्यशैली का सूत्र था। चिंतन के पश्चात् निर्णय हुआ और निर्णय क्रियान्विति में बदल गया और जैन पारिभाषिक शब्दकोश आकार लेने लगा। प्रोफेसर डॉ. टाटिया और साध्वी विश्रुतविभा दोनों कार्य में संलग्न हो गए। मैं परिभाषा लिखाता और डॉ. टाटिया अंग्रेजी में अनुवाद करते। कुछ दिनों के बाद दोनों का कार्य गुरुदेव ने देखा और इतनी प्रसन्नता प्रकट की, लगा कि कोई चिर संजोया सपना मूर्त बन रहा है। चतुर्मास के बाद डॉ. टाटिया के स्वास्थ्य की अनुकूलता नहीं रही और हमारी भी लाडनूं से यात्रा शुरु हो गई। कोश-निर्माण का कार्य स्थगित हो गया। वि. सं. २०५४ (सन् १९९७) में गणाधिपति गुरुदेव का स्वर्गवास हो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016091
Book TitleJain Paribhashika Shabdakosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2009
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationDictionary, Dictionary, & agam_dictionary
File Size17 MB
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