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________________ तृतीयोकः राघो. उपामपनामादिसूची Itमानि । तत्संकेतनामानि प्रथमांकः द्वितीयांकः १५७-१ योगतत्त्वोपनिषत् १ यो. त. पद्यात्मकः १५८-२ २ योगत. पद्यात्मकः १५९ योगराजोपनिषत् योगरा. पद्यात्मक: १६. योगशिखोपनिषत् यो. शि. अध्यायात्मकः पद्यात्मकः १६१ योगोपनिषत् योगो. पद्यात्मकः १६२ राजश्यामला- रा. श्या. र वाक्यात्मकः रहस्योपनिषत् १६३ राधिकोपनिषत् राधिको. वाक्यात्मकः १६४ राघोपनिषत् प्रपाठात्मकः वाक्यात्मकः १६५ रामपूर्वतापिन्युपनि. रा.पू. रामपू. उपनिषदात्मकः पद्यात्मकः १९६ रामरहस्योपनिषत् रामर. अध्यायात्मकः पद्यात्मकः वाक्यात्मकः ११७ रामोतरतापिन्युपनि. रामो., रामोत्त. खण्डात्मकः । मंत्रात्मकः वाक्यात्मकश्व १६८ रुद्रहृदयोपनिषत् रुद्रहृ. पद्यात्मकः १६९ रुद्राक्षजाबालोपनि. रु. ना. पद्यात्मकः वाक्यात्मकश्च १७०. रुद्रोपनिषत् रुद्रो.,रुद्रोप. वाक्यात्मक १७१ लक्ष्म्युनिषत् वाक्यात्मकः १७२ लांगूलोपनिषत् लांगूलो. मंत्रात्मकः १७३ लिलोपनिषत् लिलो. वाक्यात्मकः ० वाजसनयिसंहिता वा. सं. अध्यायात्मकः मंत्रात्मकः ( यजुर्वे.) (कंडिकात्मकः) १७४ वज्रपञ्जरोपनिषत् व. पं. वाक्यात्मकः १७५ वज्रसूचिकोप. व.सू., वज्रसू. वाक्यात्मकः १७६ वनदुर्गोपनिषत् वनदु. वाक्यात्मकः पद्यात्मकश्च १७७ वराहोपनिषत् वराहो. अध्यायात्मकः पद्यात्मकः १७८ वासुदेवोपनिषत् वासुदे., वासु. वाक्यात्मकः १७९ विश्रामोपनिषत् विश्रामो. पद्यात्मकः १८० विष्णुहृदयोपनिषत् विष्णुहूं. खण्डात्मकः मन्त्रात्मक १८१ वैतथ्यप्रक. ( मांडू, ! वैतथ्य, पद्यात्मकः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016083
Book TitleUpnishad Vakya Mahakosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajanand S Sadhale
PublisherRupa Books Jaipur
Publication Year1991
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size23 MB
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