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________________ का अधिष्ठात्री सरिअ देखा ८८० पाइअसहमहण्णवो सरभेअ-सरिस्सव सरभेअ वि [दे] स्मृत, याद किया हुआ (दे सरसी स्त्री [सरसी] बड़ा तालाब-तड़ाग | नाह पुं['नाथ] समुद्र (धर्मवि १०१)। ८, १३)। (औपः उप पृ ३८, सुपा ४८५) रुह न देखो सरिआ। सरमय पुं.ब. [शर्मक] देश-विशेष (पउम [रुह] कमल (सम्मत्त १२०; १३६)। सरिअ वि [स्मृत] याद किया हुमा (पउम सरस्सई स्त्री [सरस्वती] १ वाणी, भारती, ३०, ५४, सुपा २२१, ४६२)10 ६८, ६५)। भाषा (पान; प्रौप) । २ वाणी की अधिष्ठात्री सरिअ देखो सरि% सदृश; 'सोभेमारणा सरय पुन [ शरद् ] ऋतु-विशेष, प्रासोज देवी (सुर १, १५)। ३ गीतरति नामक पाश्विन तथा कार्तिक का महीना (पएह २, | सरियं संपत्थिया थिरजसा देविंदा' (औप)। इन्द्र की एक पटरानी (ठा ४, १-पत्र सरिन [सृतम् ] अलं, पर्याप्त, बसः २–पत्र ११४ गउड से १,२७ गा ५३४; स्वप्न ७०, कुमाः हे १,१८); 'मुय माणं २०४६ रणाया २-पत्र २५२)। ४ एक | 'बहुरिणएण सरि' (रयरण ५०)। मारण पियं पियसरयं जाव वच्चए सरयं (वजा राज-पत्नी (विपा २,२--पत्र ११२)।५ | सारआली[सरित् ] नदी (कुमा; हे १. | १५; महा) एक जैन साध्वी जो सुप्रसिद्ध कालकाचार्य वह ७४) + °चंद [चन्द्र] शरद् ऋतु का [पति] समुद्र (से चाँद (णाया १, १-पत्र ३.)। देखो की बहिन थो (काल) ७, ४१, ६, २) सर = शरद् ।। सरह पुं[शरभ] १ शिकारी पशू की एक | सारआ ना दे] माला, हार (पएह १, जाति (सुपा ६३२)। २ हरिवंश का एक ४-पत्र ६८ कुप्र ३; सुपा ३४३)। सरय पुं[शरक काठ-विशेष, अग्नि उत्पन्न राजा (पउम २२, ९८)। ३ लक्ष्मण के सरिक्ख । वि [सहक्ष] सदृश, समान, करने के लिए अररिग का काष्ठ जिससे घिसा एक पुत्र का नाम (पउम ११, २०)। ४ सरिच्छ ) तुल्य (प्राकृ ८६ प्राप्र हे १, जाता है वह (णाया १,१८-पत्र २४१)। एक सामन्त नरेश (पउम ८, १३२)। ५ १४२, २, १७ कुमा(~ सरय पुंन [सरक] १ मद्य-विशेष, गुड़ तथा एक वानर (से ४, ६)। ६ छन्द-विशेष | सरिक्त वि[स्मर्ट] स्मरण-कर्ता (ठा - घातकी का बना हुवा दारू (परह २, ५- (पिंग) पत्र ४४४) पत्र १५०; सुपा ४८५; गा ५५१ मा कुप्र सरह पु[दे] १ वृक्ष-विशेष, वेतस या बेंत सरिभरी स्त्री [दे] समानता, सरोखाई, १०)। २ मद्य-पान (वजा ७४) 10 का पेड़ (दे ८, ४७)। २ सिंह, पञ्चानन गुजराती में 'सरभर'; 'तनो जाया दोएहवि सरय देखो स-रय = स-रत । (दै ८, ४७; सुर १०, २२२)। सरिभरी' (महा १०) सरय (अप)[सरस] छन्द-विशेष (पिग) सरह (अप) वि [श्लाघ्य] प्रशंसनीय (पिंग) सरिर देखो सरीर (पव २०५)। सरल पुं[सरल] १ वृक्ष-विशेष (पएण १ सरहस देखो स-रहस - स-रभस । - सरिवाय पु[दे] प्रासार, वेगवाली वृष्टि पत्र ३४)। २ ऋतु, माया-रहित (कुमा; सरहा स्त्री [सरघा] मधु-मक्षिका (दे २, (दे ८, १२) । १००) सण) । ३ सीधा, अवक्र (कुमाः गउड) V | सरिस वि[सहरा] समान, सरीखा, तुल्य सरहि पुंस्त्रो [शरधि] तूणीर, तीर रखने का । (हे १, १४२; भगः उव, हेका ४८) सरलिअ वि [सरलित] सीधा किया हुआ भाथा-तरकस (मे ७०)। (कुमा: गउड) सरिस पुन [दे] १ सह, साथ; सरा नी [दे] माला (दे ८, २)। 'का समसीसी तियसिदयाण सरली स्त्री [दे] चौरिका, क्षुद्र कीट-विशेष, सराग देखो स राग = स-राग । वडवालणस्स सरिसम्मि । झींगुर (दे ८, २) सराडि स्त्री शिराटि, शराडि] पक्षी की उपसमियसिहीपसरो सरलीआ स्त्री [दे] १ जन्तु-विशेष, साही, एक जाति (गउड) मयरहरो इंधणं जस्स। जिसके शरीर में काँटे होते हैं। २ एक जात सराव शिराव] मिट्टी का पात्र-विशेष, (वजा १५४)। का कीड़ा (दे ८, १५)। सकारा, पुरवा (दे २, ४७; सुपा २६६) | "पाढत्तो संगामो बलवइणा तेण सरिसोत्ति सरव पुं[शरप] भुजपरिसपं की एक प्रकार सरासण देखो सरससण = शरासन । (महा)। २ तुल्यता, समानता (संक्षि ४७); (सूअ २, ३, २५) सराह वि [दे] दर्पोद्धर, गर्व से उद्धत (दे "अंतेउरसरितेणं पलोइयं नरवरिदेणं' (महा)सरस वि [सरस] रस-युक्त (प्रौपः अंत; | सरिसरी देखो सरिभरी (महा) । गउड)। "रण पुं[रण्य] समुद्र, सागर सराय पुं[दे] सर्प, साँप (दे ८, १२) सरिसव पु [सप] सरसों (चंड; भोप (से ६, ४३) सरि वि [ सदृश 1 सदृश, सरीखा, तुल्य ४०६: सं ४४; कुमा; कम्म ४, ७४; ७५; सरसिज, न [सरसिज] कमल, पद्म (भग; णाया १, १-पत्र ३६; अंत ५ ७७ गाया १,५–पत्र १०७) . सरसिय ) (हम्मीर ५१; रंभा)। हे १, १४२, कुमा)। सरिसाहुल वि [दे] समान, सदृश (दे सरसिरुह न [सरसिरह] कमल, पद्य (उप सरि स्त्री [ सरित् ] नदी (से २, २६; सुपा ८, ६) ७२८ टी; सम्मत्त ७६). ३५४; कुप्र ४३, भत्त १२३; महा) सरिस्सव देखो सरीसव (पउम २०,९२) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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