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समय - समस्सिअ
सूमनि २६; कुमाः दं २२) । ५ पदार्थ, चीज, बस्तु सम्म १११४) ६, इशारा (सूनि २६ पिंड ६; प्रापः से १, १६) । ७ समीचीन परिणति, सुन्दर परि णाम ८ श्राचार, रिवाज एकवाक्यता (सुमनि २६) १० सामायिक, संयम- विशेष । (बिसे १४२१), "खेत न ["क्षेत्र] कालोपलक्षित भूमि, मनुष्य-लोक, मनुष्य-क्षेत्र (भगः सम ६८ ) । ज्ज, ण, न वि ['ज्ञ] समय का जानकार (घण ३६; गा ४०५३ पि २७६) ।
समय देखो समय = स-मद ।
समय [समकम् ] १ युगपत्, एक समयं साथ ( २१६ से १९६६ B १९६७: सुर १, ५: महा; गउड ११०६ ) । २ सह, साथ (गा ६१) ।
समया देखो सम-या । समयाध [समया] पास, नजदीक (गुपा १८८ ) 1.
समर तक [स्मृ] याद करना. समरणीय ( चठ २७; नाट, शकु ६ ), समरियव्व (रमण २८ ) 1
पाइअसद्दमत्रो
समलंकर सक [समलम् + कृ] विभूषित करना । समलंकरे ( श्राचा २, १५, ५) । संकृ. समलंकरेत्ता (प्राचा २, १५, ५) । समलंकार सक [समलम् + कारय ] विभूषित करना, विभूषा युक्त करना । समकारे (श्री) समलंकारेशा । संकृ.
( श्रौष) 1
समलद्ध ( श्रप) वि [ समालब्ध] विलिप्त (भवि)। समल्लिअ श्रक [ समा + ली ] १ संबद्ध होना। २ लीन होना। ३ सक. प्रश्रय करना । समल्लियइ ( श्राक ४७) । वकृ. समल्लिअंत (से १२, १०) 1 समझीण वि[समालीन] अच्छी तरह जीन (औप ) 1
सकवण वि[समवतीर्ण] भवती (मुपा २२) ।
समवद्वाण न [समयस्थान ] सम्यग् मनस्थिति ( अझ १४७) । ~
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समवह्नि श्री [समवस्थिति] ऊपर देख 'कोई बिति मुखीणं सहावसमवट्टिई हवे चरणं' (अज्भ १४६) ।
समर देखो सबर (हे १, २५८ षड् ) । स्त्री. समवत्ति देखो समवन्ति = सम-वर्तिन् । 'री (कुमा) 1
समय देखो समवे । समवसर देखो (प्रामा) । ~ समवसरण देखो समोसरण ( सूनि ११६ ) । समवसरिअ देखो समोसरिअ = समवसृत (धर्मनि ३० ) । समवसेअ वि [समवसेय ] जानने योग्य, ज्ञातव्य (सा ४) ।
समर पुंन [समर] युद्ध लड़ाई १२ ४७; उप ७२८ टी; कुमा) । २ छन्द - विशेष (पिंग) लोहकारशाला (उत्त० अध्य १ गा० २६) । [दित्य ] श्रवन्तीदेश का एक राजा ( स ५) । समर वि[स्मार] कामदेव संबन्धी, कामदेव का ( मन्दिर प्रादि ) ( उप ४५४) । समरवि[स्मर्तृ] स्मरण कर्ता (सम समवाइ वि [ समवायिन् ] समवाय संबन्ध का समवाय संबन्धी (विसे १९२६; धर्मसं ४८७) । समवाय [समवाय ] १ संबन्ध-विशेष, गुण-गुणी आदि का संबन्ध (विसे २१०८ ) । २ संबन्ध (पउम ३६, २५ घर्मंसं ४८१ विवे ११६) । ३ समूह, समुदाय ( सू २, १२२४०० २७० हि २० चारा २ विसे ३५९३ टी) । ४ एकत्र
१५) 1 समरण न [स्मरण] स्मृति, याद (धर्मवि २०, श्राप ६८ ) । समरसद्दय पुं [दे] समान उम्रवाला (दे २२)
समराइअवि [] पिष्ट, पिसा हुआ (षड् ) । समरी देखो समर = शबर। समरे देखो समर (ठा १-पत्र ४४४ ) - करना 'कार्ड तो dena
(विसे
८६७
२५४६) । ५ जैन अंग-ग्रंथ विशेष, चौथा अंग-ग्रंथ (सम १) ।
समवे श्रक [समय + इ] १ शामिल होना । २ संद्ध होगा। समवेद (शी) (मोह १३), समयति (विसे २१०६) -
समवेद (शौ) वि [समवेत ] समुदित एकत्रित (मोह ७८ ) |
दे
८, १३ सुर १, ८ वज्जा ३२ १५४; विवे ४५; सम्मत्त १४५ कुप्र ३३४ ) । समस्सअ सक [समा + श्रि] श्राश्रय करना । समस्सइ ( पि ४७३) । संकृ. समस्सइअ (पि ४७३) -
समरसस क [समा + श्वस् ] श्राश्वासन प्राप्त करना, सान्त्वना मिलना। समस्सराम (शी) (पि ४७१) देऊ. समस्तसि (शी) (नाट, शत्रु १११ ) 1
समोसर = समव + सृ | समस्ससिद (शौ ) देखो समासत्थ (नाटमृच्छ २५८)।
समस्सा श्री [समस्या ] बाकी का भाग जोड़ने के लिए दिया जाता श्लोक चरण या पद आदि (सिरि ६६८ कुप्र २७ सुपा १५५) समस्सास सक [समा + श्वासय] सान्त्वना करना, दिलासा देना। समस्सासदि (शी) (नाट) कु. समस्साअंत (अभि २२२) । हे. समस्सासिदं (शी) (नाट मृच्छ८१) ।
समस्सास पुं [समाश्वास] प्राश्वासन (विक्र ३५) ।
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समसम क [ समसमाय ] 'सम' 'सम' आवाज करना । वकृ. समसमंत (भवि )
समसरिस देखो सम-सरिस 1 समसाण देखो मसाण; 'समसाणे सुन्नघरे देवले धावितं वस' (सुपा ४०) 1 | समसीस वि [दे] १ सदृश, तुल्य । २ निर्भर (दे ८, ५० ) । ३ न स्पर्धा (से ३, ८) । समसीसि स्त्री [दे] स्पर्धा, बराबरी समसीसी
(सुपा ७; वज्जा २४; कप्पू
समस्सासण न [समाश्वासन] ऊपर देखो (मे ७५) ।
समस्सि वि [समाश्रित] माध्य में स्थित, श्राश्रित (स ६३५ उप पृ ४७ सुर १३, २०४; महा) -
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