SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 838
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७६८ पाइअसहमणवो . विआरणा-विइण्ण विआरणा स्त्री [वितारणा] विप्रतारणा, विआलय वि [विदारक] विदारण-कर्ता | 'पण्णत्ति स्त्री [प्रज्ञप्ति] पाँचवाँ जैन अंगठगाई (उप ६१६) (सूअनि ३६) ग्रन्थ (भग १, १ टी)। विआरय वि [विचारक] विचार करनेवाला | विआलय पुं[विकालक] एक महा ग्रह, | विआह वि [वित्राध] बाध-रहित (भग १, (पउम ८, ५) ज्योतिष्क देव-विशेष (सुज २०). १ टी) पण्णत्ति स्त्री [प्रनप्ति पाँचवाँ विआरि वि [विचारिन] ऊपर देखो (प्रौप)। विआलिउ न [दे] व्यालू, सायंकाल का | जैन अंग-ग्रन्थ (भग १, १ टी)। विआरिअ वि [विचारित] जिसका विचार | भोजन; 'जा महु पुत्तह करयलि लग्गइ सा | विआह स्त्री व्याख्या] १ विशद रूप से किया गया हो वह (दे १, १६८)। अमिएण वियालिउ मग्गई' (भवि)। अर्थ का प्रतिपादन । २ वृत्ति, विवरण ।। विआरिअ वि [विदारित] १ खोला हुआ. | विआलुअ वि [दे] असहन, असहिष्णु (दे पण्णत्ति स्त्री [प्रज्ञप्ति] पाचवाँ जैन अंग ग्रन्थ (भग १, १ टी)। फाड़ा हुमाः 'दूरविनारिअमुहं महाकायं विआव सक [वि + आप्] व्याप्त करना सीह' (णमि १२) । २ विदीर्ण किया हुआ, विआहिअ वि [व्याख्यात १ जिसकी व्याख्या की गई हो वह, वरिणत (श्रा २२)। (प्रामा)iv चीरा हुआ (भवि) २ उक्त, कथित; 'स एव भव्वसत्ताएं चक्खुभूए विआरिअ वि [वितारित] १ अपित, दिया विआवड देखो वावड=ध्यापृत (ोधभा विप्राहिए' (गच्छ १,२६, भग)।गया; 'वालि या सिरोहरा वियारिया दिट्ठी | (स ३३७) । २ ठगा हुमा, विप्रतारित; 'जइ विआवत्त पु[व्यावर्त्त] १ घोष और महाघोष | विइ स्त्री [वृति] रज्जु-बन्धन (प्रौप)। देखो पुण धुत्तेण अहं वियारिओ' (सुपा ३२४)। इन्द्रों के दक्षिण दिशा के लोकपाल (ठा ४, | वइ=वृति । विअइ वि [विदित] ज्ञात, जाना हुआ (पात्र; विआरिआ स्त्री [दे] पूर्वाह्न का भोजन (दे १-पत्र १९८; इक)। २ ऋजुवालिका नदी के तोर पर स्थित एक प्राचीन चैत्य (कप्प)। पिंड ८२; संबोध ४६ स १६२; महा)। | विइइन्न देखो विइकिण्ण (भग १, १ टीविआरिल्ल1 वि [विकारवत् ] विकारवाला, ३ पुंन. एक देव-विमान (सम ३२) पत्र ३७) विआरल्ल विकारयुक्त (प्राप्र; हे २, विआवाय पुं व्यापात भ्रश, नाश (प्राचा विइंचिअ वि [विविक्त] विनाशित (स १५६) । श्री.ल्ला (सुपा १६४) । १, ६, ५, ६ टि) १३५) । विआल देखो विआल = वि + चारय । वकृ. | विआविअ देखो वावढ = व्यापृत (धर्मसं विइंत सक [वि + कृत् ] काटना, छेदना। वियालंत (उबर ८२)। ६७६)। विईतेइ (णाया १, १४ टी-पत्र १८७)।विआल देखो विआर = वि + दारय । कृ. | विआस पुं[विकाश १ मुँह प्रादि की फाड़ विईत देखो विचिंत । वकृ. विइंतंत (गउड वियाणिय (सूअनि ३६; ३७)। खुलापन, 'थूलं वियासं मुहे' (सूत्र १, ५, २, ६७८) ३)। २ अवकाश (गउड २०१)। विआल पुं[विकाल] सन्ध्या, साँझ, सायंकाल | विइकिण्ण वि [व्यतिकीर्ण] व्याप्त, फैला विआस पुं [विकास] प्रफुल्लता (पि १०२; (दे ७,६१ कप्पू: विपा १, ५-पत्र ६३; हुमा (भग १, १-पत्र ३६)भवि)। हे ४, ३७७, ४२४, कस, भवि चारि वि विश्कत वि [व्यतिक्रान्त] व्यतीत, गुजरा विआस देखो वास = व्यास (राज) [चारिन्] विकाल में घूमनेवाला (णाया हुमा (ठा 8--पत्र ४४५; उवा; कप्प) १, १-पत्र ३८; १, ४; प्रौप)। विआसइत्तअ (शौ) वि [विकासयितृक] विइगिंछा । देखो वितिनिछा (प्राचा; विकसित करनेवाला (पि ६००) विआल [दे] चोर, तस्कर (दे ७,६०) विआसग वि[विकासक] ऊपर देखो (सुपा विआल वि [व्याल] दुष्ट; 'मोणं वियालं विइगिट्ठ वि [व्यतिकृष्ट] दूर-स्थित, विप्रकृट ६५८) पडिपहे पेहाए, महिस वियाल पडिपहे पेहाए, | विआसर वि विकस्वर] विकसनेवाला, (बृह १) विइगिण्ण देखो विइकिण्ण (कस) IN चिताचेल्लर वियाल पडिपहे पेहाए' (प्राचा । प्रफुल्ल (षड्)। २, १, ५, ४)। देखो वाल = व्याल ।। विआसि विविकासिन्] ऊपर देखो विइजत देखो वीअ = वीजय ।। विआल देखो विचाल (राज)। विआसिल्लS (पि ४०५, सुपा ४०२, ६) विइजत देखो विकिर ।। विआलग देखो विआलय = विकालक (ठा विआह सक [व्या + ख्या] व्याख्या करना । | विइण्ण वि [विकीर्ण] १ बिखरा हमाः २,३-पत्र ७७) कर्म, विमाहिति (गदि २२६)। 'विइएणकेसी' (उवा) । २ विक्षिप्त, फेंका विआलए देखो विआरण% विचारण (ोष | विआह पुं[विधाह] १ व्याह, परिणयन, | हुआ (से १०,३) । देखो चिकिण्ण, विकिन्न। ६६; विरो १७६; पिंड ५६७)। शादी (गा ४७६; नार-मालती ६)। २ | विइण्ण वि [वितीण] दिया हुआ, अर्पित विआला देखोविआरणा= विचारणा (विसे | विविध प्रवाह । ३ विशिष्ट प्रवाह । ४ वि. (गा ३४६, ६१७ से ८, ६५, १०, ३, हे ५४७ टी पिड ५६७). विशिष्ट संतानवाला (भग १, १ टी) ४, ४४४ महा)। विकासयितक] विइगिंठा । देखो वता) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy