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________________ रोहिणी-लंछ पाइअसहमहण्णवो ७१६ रोहिणी स्त्री [रोहिणी] १ नक्षत्र-विशेष (सम नववें बलदेव का माता का नाम ( सम शक्रेन्द्र के एक लोकपाल की पटरानी (ठा १०)। २ चन्द्र की पत्नी (था १६) । ३ १५२)। ६ एक विद्या देवी (संति ५) । ४,१-पत्र २०४)। १० तप-विशेष (पव मोषधि-विशेष (उरा ३४, १०० सुर १०, २७१, पंचा १६ २३)। ११ गो, गैया ७ शफ्रेन्द्र की एक पटरानी (ठा ८-पत्र (पान), रमण पूं [रमण] चन्द्रमा २२३)। ४ भविष्य में भारतवर्ष में तीर्थंकर ४२६)। ८ सत्पुरुष नामक किंपुरुषेन्द्र की (पास)। रोहीडगन [रोहोतक नगरहोनेवाली एक श्राविका (सम १५४)। ५ । एक अग्र-महिषी (ठा ४, १-पत्र २०४)।। विशेष (संथा ६८)। ॥ इन सिरिपाइअसहमहण्णवम्मि रपाराइसहसंकलणो तेतीसइमो तरंगो समत्तो॥ ल ल] मूर्ध-स्थानीय अन्तस्थ व्यजन [शोक] राक्षस वंश का एक राजा | लंध सक [लघु , लङ्घय ] १ लाँधना, वर्ण-विशेष (प्राप्र)। (पउम ५, २६५)+ हिव पुं [°धिप] अतिक्रमण करना। २ भोजन नहीं करना । लइ प्र. ले, अच्छा , ठीक (भवि) । लंका का राजा (उप पृ ३७५) । हिवइ | लंघइ, लंघेइ (महाभवि)। कर्म. लंधिज्जइ लइ देखो लय = ला। पु[धिपति] वही अर्थ (पउम ४६, १७)। (कुमा) । वकृ. लंघत, लंघयंत (सुपा २७१; लइअ वि [दे. लगित] १ परिहित, पहना लंका स्त्री [दे] शाखा (वज्जा १३०)। पउम ६७, २१)। संकृ. लंपित्ता, लंघिऊण हुना। २ अंग में पिनद्ध (दे ७, १८ पिंड (महा)। हेकृ. लंघेउं (पि ५७३)। कृ. लंख । पुंस्त्री [लङ्क बड़े बाँस के ऊपर खेल | ५६१: भवि)।| लंखगकरनेवाली एक नट-जाति (गाया १, | लंघणिज (से २, ४४), लंघ (कुमा १, लइअल्ल पु[दे] वृषभ, बैल (दे ७, १९)। । १-पत्र २, पण्ह २, ५-पत्र १३२, प्रौपः १७)। लइआ स्त्री [लतिका, लता] देखो लया कप्प) । स्त्री. खिगा (उप १०१४) । लंघण न [लङ्घन] १ अतिक्रमण (सुर ५, (नाट-रला ७; गउड; उप ७६८ टी)। लंगल न [लाङ्गल] हल, 'खित्तेसु वहति | १९२)। २ अ-भोजन (उप १३५ टी) । लइणा स्त्री दि] लता, वल्ली (षड् ; दे लंगलाण सया' (धर्मवि २४, हे १, २५६, लंघि वि [लडिन लंघन करनेवाला (कप्पू)।। लइणी ७, १८)। षड्८०)। लंघिअ वि [लचित] जिसका लंघन किया लउअ ' [लकुच] वृक्ष-विशेष, बड़हल का लंगलि पू[लाङ्गलिन्] बलभद्र, बलदेव गया हो वह (गउड) । गाछ (ोप; पि ३६८)। (कुमा)। लंच पुं[दे] कुक्कुट, मुर्गा (दे ७, १७) । लउडलकट] लकड़ी,लाठी, डंडा, ल उर, लंगलि। स्त्री [लागली ] वल्ली-विशेष, लंचा स्त्री लिञ्चा] घुस, रिश्वत, उत्कोच(पात्र लउल । यष्टि (दे ७, १६; सुर २, ८, औप)। लंगली ) शारदी लता (कुमा)। पएह १, ३-पत्र ५३; दे १,६२, ७, १७; लउस । पुलकुश] १ अनार्य देश-विशेष लंगिम पुंस्त्री दे] १ जवानी, यौवन । २ सुपा ३०८)। लउसय ) (पव २७४; इक) । २ पुंस्त्री.लकुश ताजापन, नवीनताः पिसुणइ तणुलट्ठी लंगिमं लंचिल्ल वि [लाश्चिक ] घूसखोर, रिश्वत देश का निवासी मनुष्य । स्त्री. सिया (णाया चंगिमं च (कप्पू)। १,१-पत्र ३७; औपः इक) ले कर काम करनेवाला (वव १)। लंका स्त्री [लङ्का] नगरी-विशेष, सिंहलद्वीप की | लंगूल न [लागूल] पुच्छ, पूंछ (हे १, लंछ सक [लञ्छ] १ भाँगना, तोड़ना। राजधानी (से ३, ६२; पउम ४६, १६ । २५६; पापः कप्पः कुमा) २ कलंकित करना। कर्म. लंछिज्जइ (दसनि कप्प)। 'लय विलय लंका-निवासी (वजा लंगूलि वि [लालिन्] पुच्छवाला, पशु ८, १४) । १३०)। सुंदरी श्री [सुन्दरी हनूमान की । (कुमा)। | लंछ पुं [लञ्छ] चोरों को एक जाति (विपा एक पत्नी (पउम ५२, २१), 'सोग लंगोल देखो लंगूल (सुज्ज १०, ८) १,१-पत्र ११)। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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