SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 770
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पाइअसद्दमहण्णवो मोणावणा-मौलि पएह २, १-पत्र १००) पय न [पद] मोरिय [मीय] १ एक क्षत्रिय-वंश। २ | मोह पुं[मोह) १ मूढता, प्रज्ञता, प्रज्ञान संयम, चारित्र (सूम १, १३, ६)। मौर्य वंश में उत्पन्न (पि १३४)। "पुत्त पुं| (माचाः कुमाः पराण १,१)। २ विपरीत मोणावणा स्त्री | दे] प्रथम प्रसूति के समय [पुत्र भगवान् महावीर का एक गणधर- ज्ञान (कुमा २, ५३)। ३ चित्त की व्याकुलता पिता की ओर से किया जाता उत्सव-पूर्वक प्रधान शिष्य (सम १६) (कुमा ५, ५)। ४ राग, प्रेम। ५ कामनिमन्त्रण (उप ७६८ टी) मोरी स्त्री [मोरी] १ मयूर पक्षी की मादा, क्रीड़ा; 'मोहाउरा मणुस्सा तह कामदुई सुहं मोणि वि[मौनिन् मौनवाला (उवः सुपा मोरनी (पि १६६; नाट-मृच्छ १८)। २ बिति' (प्रासू २८; पएह १, ४)। ६ मूर्खा, १४. संबोध २१)। विद्या-विशेष (सुपा ४०१)। बेहोशी (स्वप्न ३१, स ६६६)। ७ कर्म. मोला पुं[दे. भौलन] बाँधने के लिए गाड़ा विशेष, मोहनीय कर्म (कम्म ४, ६०६९)। मोत्त देखो मुत्त = मुक्त (धर्मसं ७५) । हुप्रा खूटा (उव) मोत्तव्य देखो मुच ।। ८ छन्द-विशेष (पिंग) मोलि देखो मउलि (कालः सम १९) मोहण न [मोहन] १ मुग्ध करना। २ मन्त्र मोत्ता देखो मुत्ता (से ७, २५; संक्षि ४; आदि से वश करना (सुपा ५६६)। ३ मूछा, मोल्ल देखो मुल्ल (हे १, १२४उव; उप पु प्राकृ ६ षड् ८०) १०४, रणाया १,१-पत्र ६० भग)। बेहोशी (निसा ९)। ४ वशीकरण, मुग्ध मोत्ति देखो मुत्ति = मुक्ति (परह १, ५-- करनेवाला मन्त्रादि-कर्म (सुपा ५६९)। ५ पत्र६४) मोस पुं [मोष] १ चोरी। २ चोरी का माल; काम का एक बारण । ६ प्रेम, अनुराग (कप्पू)। मोत्तिअ देखो मुत्तिअ (गा ३१०; स्वप्न ६३; 'राया जंपइ मोसं एसि अप्पसु' (सुप्प २२१; ७ मैथुन, रति-क्रिया (स ७६० पाया १,८ औपः सुपा २३१; महा, गउड) दाम न महा) जीव ३)। ८ वि. व्याकुल बनानेवाला [दाम छन्द-विशेष (पिंग)। मोस पुंन [मृपा] झूठ, असत्य भाषण; (स ५५७, ७४४)। मोहक, मुग्ध करनेमोत्तुआण, 'चउविहे मोसे पण्णत्ते', 'दसवि मोसे वालाः ‘मोहणं पसूर्णपि' (धर्मवि ६५; सुर मोत्तं पएणत्ते' (ठा ४, १: १०; औप, कप्प)। देखो मुच = मुच् । ३, २६; कपूर २५)। मोत्तूण मोसण वि [मोपण] चोरी करनेवाला (कुप्र मोहणिज वि [मोहनीय] १ मोह-जनक । ४७)। २ न. कर्म-विशेष, मोह का कारण-भूत कर्म मोत्थ देखो मुत्य (जी ६; संक्षि ४; पि १२५; | मोसलि ) स्त्री [दे. मुशली, मौशली] (सम ६६, भगः अंत; औप) । प्रामा) मोसली । वस्त्रादि निरीक्षण का एक दोष, मोहणी स्त्री [मोहनी] एक महौषधि (ती ५)। मोदअ देखो मोअग = मोदक (स्वप्न ६०)। वस्त्र प्रादि की प्रतिलेखना करते समय मुसल २ न. छन्द-विशेष (पिंग)। मोहर न [मौखर्य] वाचाटता, बकवाद (पराह की तरह ऊँचे या नीचे भीत आदि का स्पर्श २, ५–पत्र १४८; पुप्फ १८०)। मोब्भ [दे] देखो मुब्भ (दे ८, ४) । करना, प्रतिलेखना का एक दोष; 'बजेयव्वा मोहर वि [मौखर] वाचाट, बकवादी (ठा मोर [द] श्वपच, चाण्डाल (दे ६, १४०)। य मोसली तइया' (उत्त २६,२६, २५, प्रोष १०-पत्र ५१६)। मोर पुं [मोर] १ पक्षि विशेष, मयूर (हे १, २६५, २६६) । मोहरिअ वि [मौखरिक] ऊपर देखो (ठा १७१; कुमा)। २ छन्द-विशेष (पिंग)। मोसा देखो मुसा (उवा, हे १, १३६) । °बंध पुं[बन्ध] एक प्रकार का बन्धन मोह सक[ मोहय ६-पत्र ३७१; प्रौपः सुपा ५२०)। १ भ्रम में डालना । (सुपा ३४५) सिहा स्त्री [शिखा] एक मोहरिअन [मौखर्य] वाचालता, बकवाद २ मुग्ध करना। मोहइ (भवि)। वकृ. महौषधि (ती ५) मोहंत, मोहेंत (पउम ४, ८६, ११, ६६)। (उवाः सुपा ५१४)। मोरउल्ला) प्र. मुधा, व्यर्थ (हे २, २१४० कृ. देखो मोहणिज्ज । मोहि वि [मोहिन] मुग्ध करनेवाला (भवि)। मोरकुल्ला कुमा; चउप्पन्न पत्र-७७, मोह देखो मऊह (हे १, १७१; कुमाः कुप्र मोहणी बी [मोहिनी] छन्द-विशेष (पिंग)। सुमतिजिन-चरित्र) मोहिय वि [मोहित] १ मुग्ध किया हुआ मोरंड पुं[दे] तिल आदि का मोदक, खाद्यमोह वि [मोघ १ निष्फल, निरर्थक (से १०, (पएह १, ४, द्र १४)। २ न. निधुवन, विशेष (राज)। ७०; गा ४८२), 'मोहाइ पत्थरणाए सो पुण मैथुन, रति-क्रीड़ा (णाया १६-पत्र मोरग वि [मायूरक] मयूर के पिच्छों से सोएइ अप्पाणं' (अज्झ १७५, प्रात्म १)। १६५)। निष्पन्न (पाचा २, २, ३, १८)। क्रिवि. 'मोहं को पयासो' (चइय ७५०)। मोहुत्तिय वि [मौहूर्तिक] ज्योतिष-शास्त्र का मोरत्तय [दे] श्वपच, चाण्डाल (दे ६, २ असत्य, मिथ्याः 'मिच्छा मोहं विहलं जानकार (कुप्र ५)। .१४०)। अलिभं असचं असब्भूमं (पाप) मौलिअ देखो मोरियः 'णिवेदेह दाव एंदकुल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016080
Book TitlePaia Sadda Mahannavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovinddas T Seth
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1986
Total Pages1010
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy